बुधवार, 5 जून 2019

मात्र प्रतीकात्मक नहीं रह गया पर्यावरण दिवस को मनाना:वी एस नेगी

संवाददाता : नई दिल्ली 


                5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में बनाए जाने की वर्षगांठ पर विश्वभर में अनेक आयोजन किए जाएंगे। शैक्षिक सामाजिक और स्वैच्छिक संस्थाएं विविध स्तरों पर इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता और कार्यबद्ध होने के लिए प्रयासरत हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है।



हम आप को बता दे की ,वी एस नेगी, दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (EC) के सदस्य और शहीद भगतसिंह (सां) महाविद्यालय में भूगोल के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।


प्रजा टुडे के संवाददाता को उन्होंने बताया की इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। पिछले 48 वर्षों में पर्यावरण विश्व में अंधाधुंध विकास की अनेक योजनाओं का शिकार हुआ है। बड़ी ही चालाकी से विकास के पैरोकारों ने औद्योगिक, नगरीय और तकनीकी मापदंडों को मनुष्य की मूलभूत हाउ संरचनात्मक आवश्यकताओं का हवाला देते हुए प्रकृति के दोहन को इसके लिए आवश्यक बताया।


इसके फलस्वरूप बृहद पैमाने पर पर्यावरण के प्राकृतिक स्वरूप को बिना सोचे समझे तहस-नहस कर 21वीं सदी में स्मार्ट और अति विकसित शहरों की कल्पना को साकार करने का दिवास्वप्न दिखाया। इस अ नियोजित विकास का परिणाम आज हम सबके समक्ष इस रूप में आया है की 2019 में पर्यावरण दिवस के मूल मंत्र के रूप में "बीट द एअर पॉल्यूशन" को अपनाना पड़ा।


नेगी  जी ने बताया की पर्यावरण दिवस को मनाने का मकसद धरती पर बढ़ रहे प्रदुषण और ग्लोबलवार्मिंग को रोकना है। पर्यावरण दिवस लोगों को जागरुक करने के लिए मनाया जाता है। आज के दिन बड़े पैमाने पर विद्यालय, महाविद्यालय, संस्थानों, समुदायों, गैर सरकारी संगठनों, सरकारी मंत्रालयों और वैश्विक स्तरों पर नागरिक, विद्यार्थी, शोधार्थी, स्वयंसेवी और विभिन्न दायित्वों पर पदासीन व्यक्तियों द्वारा पर्यावरण जागरूकता के विभिन्न पहलूओं पर कार्यक्रमों की औपचारिकताएं निभाई जाती हैं।


उन्होने  कहा फिर भी यह देखने में आता है कि लगातार प्रयासों के बावजूद उत्तरोत्तर विकास की गति तीव्र होने से पर्यावरण का ह्रास उससे भी तीव्र गति से हो रहा है। शहर एयर पोलूशन के बड़े गुब्बारों के रूप में तब्दील होते जा रहे हैं। गांव में भी शहरी जीवन शैली के पहुंचने से वायु प्रदूषण तीव्रता से अपने पैर पसार रहा है। नियोजित और अवांछित विकास करने की होड़ में पर्यावरण संवर्धन और प्रबंधन आज सबसे पिछड़े और अछूते पक्ष बन कर रह गए हैं। अनियंत्रित औद्योगिक विकास, वाहनों की बढ़ती संख्या, अंधाधुंध वनस्पति व पेड़ों की कटाई, जल स्रोतों का अत्याधिक दोहन और मानवीय समुदायों का बड़ी मात्रा में कूड़ा और अपशिष्ट का उत्पादन/निस्तारण आज हमारे रिहायशी वातावरण में वायु प्रदूषण का बड़ा कारण हैं।


अंत मे कहा आवश्यकता है कि अब पर्यावरण दिवस को महज एक औपचारिकता के रूप में और केवल प्रतीकात्मक रूप में न मनाकर हमारी आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध और स्वस्थ वातावरण देने के लिए हम सटीक रूप से पर्यावरण का संरक्षण करें।