सोमवार, 13 जनवरी 2020

स्वामी विवेकानन्द के विश्व बन्धुत्व और आत्म-जागृति का संदेश आज के वैश्विक परिपेक्ष्य में प्रासंगिक : मुख्यमंत्री

संवाददाता : शिमला हिमाचल


      विश्व स्तर पर हिंदू धर्म और हिंदू आध्यात्मवाद के पुनरुत्थान का श्रेय स्वामी विवेकानन्द को जाता है। उन्होंने समाज, गरीबों और वंचितों के हित के लिए अथक प्रयास किए। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज कांगड़ा जिला के पालमपुर में योग और प्राकृतिक चिकित्सा के कायाकल्प हिमालयन अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित स्वामी विवेकानन्द जन्मोत्सव समारोह में उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह दिन पूरे देश में हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द न केवल एक आध्यात्मिक विचारक थे, बल्कि वे एक प्रखर विचारक, महान वक्ता और देशभक्त भी थे। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के स्वतंत्र चिंतन को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि विश्व बन्धुत्व और आत्म-जागृति का उनका संदेश आज के वैश्विक राजनीतिक उथल-पुथल के परिपेक्ष्य में और भी अधिक प्रासंगिक है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानन्द ने विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया और अपनी प्रारंभिक पंक्ति ‘मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों’ के साथ सभी को चैंका दिया। उनके इस वाक्यांश का श्रोताओं ने खड़े होकर अभिवादन किया और वेदांत के सिद्धांतों और उनके आध्यात्मिक महत्त्व का वर्णन किया और हिंदू धर्म को विश्व धर्मों के मानचित्र पर रखा।

 


 

जय राम ठाकुर ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं और जीवन के बारे में युवा पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए इस तरह के समारोह का आयोजन सराहनीय है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी की शिक्षाएँ कई लोगों के लिए प्रेरणा है और विशेषकर युवाओं के लिए उनके शब्द आत्म-सुधार के लक्ष्य बन गए हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी जी जातिगत भेदभाव के खिलाफ थे और सार्वभौमिक भाईचारे तथा समानता में विश्वास रखते थे।

 

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए। इस अवसर पर 104 छात्रों को सम्मानित किया गया। उन्होंने  सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार भी दिए जो एबीवीपी द्वारा हाल ही में आयोजित किए गए थे।

 

स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने विश्व को भारत की एकता के मूल सिद्धान्त से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने विश्व समुदाय को यह बताया कि इतनी भिन्नताओं के बावजूद राष्ट्र कैसे मानवता और भाईचारे के सूत्र से बंधा हुआ है। उन्होंने कहा कि अपने गुरू श्री रामकृष्ण परमहंस के परामर्श पर उन्होंने उनकी शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के लिए पूरे भारत की यात्रा की।

 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के क्षेत्रीय आयोजन सचिव विक्रान्त खंडेलवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का धार्मिक चिन्तन श्री रामकृष्ण की  आध्यात्मिक शिक्षाओं और उनके वैदिक दर्शन के व्यक्तिगत आंतरिककरण का एक मिश्रण था तथा उन्होंने निःस्वार्थ कार्य, पूजा और मानसिक अनुशासन के द्वारा आत्मा की दिव्यता को प्राप्त करने की शिक्षा दी।

 

सांसद राम स्वरूप शर्मा, विधायक राकेश पठानिया, अर्जुन सिंह, विशाल नैहरिया, मुल्क राज प्रेमी, रविन्दर कुमार, जिया लाल कपूर, अरुण मेहरा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बी.बी.एल. बूटेल, पूर्व विधायक दुला राम, प्रवीण शर्मा और मोहिंदर नाथ सोफत, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेता डाॅ. सुनील ठाकुर, राहुल राणा, आशुतोष और डाॅ. प्रदीप कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।