संवाददाता : राजसमंद राजस्थान
प्रदेश के उदयपुर मेडिकल कॉलेज की एसएनसीयू विंग के डॉक्टर्स ने मात्र 670 ग्राम वजन और 26 सप्ताह मे समय पूर्व जन्मे नवजात को जीवनदान देकर मिसाल कायम की है। नवजात को 75 दिन एसएनसीयू (स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) में रखने के बाद मंगलवार को स्वस्थ रूप से डिस्चार्ज भी कर दिया। इतने लंबे समय तक सरकारी अस्पताल में किसी नवजात को भर्ती रखने का संभवतः यह पहला मामला है।
राजसमंद जिले के नाथद्वारा के पास ग्राम की देवली बाई ने 27 अक्टूबर को बेटी को अपने घर में ही जन्म दिया। प्रसूता 18 वर्षीया देवली बाई का वजन केवल 40 किलो था तथा 26 सप्ताह की समय से पूर्व जन्मी कन्या का वजन महज 670 ग्राम था। बहुत कम वजन होने के चलते घरवाले उसे नाथद्वारा के सरकारी अस्पताल में लेकर आये। नाथद्वारा से एम्बुलेंस द्वारा उसे उदयपुर के लिए रैफर कर दिया। उदयपुर के महाराणा भूपाल अस्पताल मे पहुंचते ही तुरन्त उसका इलाज शुरू कर दिया गया। महिला के पति दिनेश भील मजदूरी कर जीवनयापन करते हैं।
नवजात की स्थिति अत्यधिक कम वजन होने की वजह से नाजुक थी। एसएनसीयू इंचार्ज डॉ. अनुराधा सनाढ्य ने तुरन्त इलाज प्रारम्भ किया। जरुरत के मुताबिक आक्सीजन, आईवी फ्लूड, रोग प्रतिरोधक दवाएं आदि दिए गए। पहले महीने बच्ची की स्थिति कई बार बिगड़ी। उसे चार बार रक्त भी चढ़ाया गया। पूरी निगरानी में रह रही नवजात का 10 से 15 ग्राम वजन बढ़ना शुरू हो गया। पूरे 75 दिन तक सीनियर डॉक्टर्स, रेजिडेंट डॉक्टर एवं नर्सिग स्टाफ ने दिन रात अथक प्रयास किया और 7 जनवरी, मंगलवार को एक किलो 375 ग्राम वजन की स्वस्थ कन्या को नर्सरी से डिस्चार्ज किया गया।
इस दौरान सरकार द्वारा दी जा रही सभी तरह की दवाइयां, भोजन व अन्य सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की गई। यही नहीं समय-समय पर डॉक्टर्स एवं स्टाफ द्वारा आर्थिक सहायता भी दी गई। डॉ. लाखन पोसवाल, प्रिंसिपल एवं नियंत्रक, रवीन्द्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज, उदयपुर, डॉ. आर. एल. सुमन, अधीक्षक, महाराणा भूपाल होस्पिटल उदयपुर, डॉ. सुरेश गोयल, विभागाध्यक्ष बाल चिकित्सा विभाग उदयपुर एवं डॉ. अनुराधा सनाढ्य, एसएनसीयू इंचार्ज के अथक प्रयासों से नवजात स्वस्थ व एवं परिवारजन खुश है।