रविवार, 23 फ़रवरी 2020

बीकानेर में शैक्षणिक विकास की अपार संभावनाएं, सतत एवं सामूहिक प्रयासों की जरूरत : उच्च शिक्षा राज्य मंत्री

संवाददाता : बीकानेर राजस्थान


      बीकानेर है एज्यूकेशन हब’ विषयक एक दिवसीय शिक्षा सम्मेलन शनिवार को बीकानेर के कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान के सभागार में आयोजित हुआ।

 

संवित सोमगिरि महाराज के सान्निध्य में आयोजित उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवरसिंह भाटी थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। समाज को आगे बढ़ाने में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बीकानेर में पांच विश्वविद्यालय और अनेक स्तरीय संस्थान हैं। यहां के विद्यार्थी चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विधि और अन्य सेवाओं में आगे बढ़ रहे हैं। इन्हें उचित मार्गदर्शन मिले तो और बड़ी सफलता प्राप्त हो सकती है। उन्होंने कहा कि यहां शैक्षणिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को सतत एवं सामूहिक प्रयास करने होंगे।

 


 

भाटी ने कहा कि आज का युग डिजीटल युग है। अधिकांश युवा इस तकनीक का भरपूर उपयोग करते हैं। इसके मद्देनजर राज्य के प्रत्येक राजकीय विश्वविद्यालय और महाविद्यालय को क्रमबद्ध रूप से डिजीटल लाइब्रेरिज से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाओं का सवार्ंगीण विकास राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी क्रम में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में नए विभाग एवं पद स्वीकृत किए गए हैं। राजकीय विधि महाविद्यालय में नियुक्तियां कर दी गई हैं।

 

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि गत वर्ष पहली बार राजकीय डूंगर कॉलेज को पीटीइटी परीक्षा के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया। महाविद्यालय द्वारा इसका सफलतापूर्वक आयोजन किया गया और 7 लाख युवाओं ने यह परीक्षा दी। इस वर्ष लगातार दूसरी बार डूंगर कॉलेज को यह जिम्मेदारी दी है। इससे महाविद्यालय की आय बढ़ेगी, जो संस्थान के विकास में सहायक रहेगी। उन्होंने कहा कि आवश्यकता अनुरूप नए कॉलेज खुलवाना भी उनकी प्राथमिकता रहेगी।

 

भाटी ने कहा कि विद्यार्थियों के सवार्ंगीण विकास में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षक अपने अधिकारों के साथ दायित्वों को भी समझें और समाज को आगे बढ़ाने में सहयोग दें। जिले को एज्यूकेशन हब बनाने में प्रत्येक वर्ग के लोगों को जोड़ेंगे, तो अधिक सफलता मिलेगी।

 

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि मातृ भाषा हमें अपनी संस्कृति से जोड़ती है। ऎसे में जरूरी है कि हम अपनी मातृभाषा का सम्मान करें। इसके मद्देनजर पहली बार राज्य के लगभग 250 सरकारी महाविद्यालयों में 20 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान राजस्थानी से संबंधित अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। विद्यार्थियों ने भी इसे सकारात्मकता से लिया।

 

जिले में शैक्षणिक परिदृश्य में विकास की अनेक संभावनाएं हैं। पिछले कुछ समय में यह क्रम चला है। इस दिशा में आगे भी काम होगा। उन्हाेंने विकास को सतत प्रक्रिया बताया और कहा कि आइजीएनपी आने से यहां लोगों का जीवन स्तर सुधरा। इससे शैक्षणिक माहौल में भी बदलाव आया। आज हमारे छोटे-छोटे गांवों में अनेक प्रतिभाएं हैं। इनको तराशकर आगे बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऎसे सम्मेलनों में शिक्षाविदों के विचारों का आदान-प्रदान होगा।