शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में अतिरिक्त क्षमता हासिल करने में मदद की: नरेंद्र सिंह तोमर

संवाददाता : नई दिल्ली 


      केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में अधिशेष क्षमता प्राप्त करने में मदद की है। आज यहां मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) दिवस पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मृदा स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है।



उन्होंने कहा कि मौसम की अनिश्चितताएं देश के सामने एक नई चुनौती पेश कर रही हैं। पिछले साल बेमौसम बरसात के कारण ही प्याज की कीमतों में उछाल आया था। कृषि वैज्ञानिक लगातार इस संबंध में समाधान खोजने में लगे हुए हैं। तोमर ने कहा, “हमारी योजनाओं को केवल फाइलों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि किसानों को इसका लाभ मिलना चाहिए। मुझे दृढ़ विश्वास है कि हमारे किसान, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से और मिट्टी के विश्लेषण से इस चुनौती को पार पा सकेंगे। पांच साल पहले इस योजना के शुरू होने के बाद से दो चरणों में 11 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी किए गए हैं। सरकार आदर्श ग्राम की तर्ज पर मृदा परीक्षण प्रयोगशाला (एसटीएल) स्थापित करने के प्रयास कर रही है। अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।”


पूरे दिन चली इस कार्यशाला की शुरुआत विशेष सचिव (कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग) द्वारा स्वागत भाषण से की गई। इसके बाद संयुक्त सचिव (आईएनएम) ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना और विभिन्न राज्यों में इसके कार्यान्वयन का अवलोकन प्रस्तुत किया (प्रस्तुति देखने के लिए यहां क्लिक करें)। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मृदा विज्ञान प्रमुख ने एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के महत्व के बारे में बताया। विभिन्न राज्यों के किसान प्रतिनिधियों और कृषि अधिकारियों ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड और मॉडल ग्राम कार्यक्रम पर अपने अनुभव साझा किए। 


मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस इस दिन मनाया जाता है क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 19 फरवरी के ही दिन 2015में राजस्थान के सूरतगढ़ में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के चक्र-1 (2015-17) के दौरान 10.74 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड और चक्र-2 (2017-19) के दौरान 11.74 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किए गए हैं। पांच साल पहले इसे शुरू करने के बाद से सरकार इस योजना पर 700 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है।


सरकार पोषण आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना को भी लागू कर रही है और उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए अनुकूलित और मज़बूत बनाए हुए उर्वरकों को बढ़ावा दे रही है। अब तक 21 उर्वरकों को एनबीएस योजना के तहत लाया जा चुका है। वर्तमान में सरकार द्वारा अधिसूचित 35 अनुकूलित और 25 मज़बूत बनाए हुए उर्वरक उपयोग में हैं।


2019-20 के दौरान 'मॉडल ग्रामों का विकास' नाम की पायलट परियोजना शुरू की गई जहां मिट्टी के नमूनों का संग्रह ग्रिड में करने के बजाय किसान की भागीदारी के साथ उसके खेत में किया जाता है।


मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैविक खादों की सिफारिशों सहित छह फसलों के लिए उर्वरक सिफारिशों की दो श्रेणी प्रदान करता है। किसान अपनी मांग के आधार पर अतिरिक्त फसलों के लिए सिफारिशें भी प्राप्त कर सकते हैं। वे एसएचसी पोर्टल के माध्यम से स्वयं के लिए कार्ड को प्रिंट भी कर सकते हैं। एचएससी पोर्टल के पास दोनों आवर्तनों का किसान डेटाबेस है और वह किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए 21 भाषाओं में उपलब्ध है।


2017 में राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद् (एनपीसी) के द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि एसएचसी योजना के माध्यम से टिकाऊ खेती को बढ़ावा दिया गया है और इसके द्वारा 8-10 फीसदी तक रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आई है। इसके अलावामृदा स्वास्थ्य कार्ड में उपलब्ध सिफारिशों के अनुसार, उर्वरक और सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग करने के कारण फसलों की उपज में 5-6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।


कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभागों के मिले-जुले प्रयासों के माध्यम से किसानों में जागरूकता बढ़ाई जा रही है, जिसको भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा तकनीकी रूप से और नेटवर्क का समर्थन मिल रहा है। किसान अपने नमूने को ट्रैक कर सकते हैं, अपने कार्ड का कॉमन सर्विस सेंटरों पर और किसान कॉर्नर www.soilhealth.gov.in पर प्रिंट ले सकते हैं और ‘स्वस्थ धारा तो खेत हरा’ के मंत्र को पूरा कर सकते हैं।