शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

मुख्यमंत्री द्वारा पढ़ी गई टैगोर की कविता और अहमद फराज का शेर...

संवाददाता : जयपुर राजस्थान


      मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरूवार को राज्य विधानसभा में बजट पर चर्चा के उपरान्त अपने वक्तव्य के दौरान रवीन्द्र नाथ टैगोर की राष्ट्रवाद पर लिखी कविता पढ़ी और अपने वक्तव्य का समापन मशहूर शायर अहमद फराज के शेर के साथ किया।

 

इस कविता में टैगोर विश्व के सभी धर्मों और जातियों को भारत में आने, यहां रहने और बसने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।

 


 

कविता की प्रमुख पंक्तियों का हिन्दी सारांश इस प्रकार है - 

 

भारत एक ऎसी भूमि है, जहां आर्य, गैर आर्य, द्रविड़, 

शक, हुण, पठान तथा मुगल इस भूमि पर एक शरीर की तरह रह रहे हैं।

भारत भूमि के दरवाजे पश्चिम के लिए खुले हैं,

भारत भूमि पर आने वाले लोग अपने साथ अपनी संस्कृति का उपहार लेकर आते हैं।

वह यहां आकर एक-दूसरे के साथ समाहित हो जाते हैं,

फिर इस भूमि को छोड़कर कहीं नहीं जाते हैं।

भारतीय मानवता के समुद्र तट पर हे आर्यों! हे हिन्दुओं! हे मुसलमानों!

आप सभी आओ और यहां रहो,

अंग्रेजों, इसाईयों तुम भी आज यहां आओ, आओ यहां रहो।

ब्राह्मणों तुम भी यहां आओ और सभी का हाथ थामों, सभी की सोच को पवित्रा करो, 

हारे हुए राजाओं, तुम भी यहां आओ ताकि तुम अपमान को भूल सको............

 

अहमद फराज का शेर जो मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने बजट पर चर्चा के बाद दिए गए वक्तव्य में पढ़ा।

 

मेरा कलम नहीं किरदार उस मुहाफिज का 

जो अपने शहर को महसूर कर के नाज करे

 

मेरा कलम तो अमानत है मेरे लोगों की

मेरा कलम तो अदालत है मेरे जमीर की

 

फराज के शेर का अर्थ इस प्रकार हैः-

 

मेरा कलम (चरित्र) उस रक्षक की तरह नहीं है जो अपने शहर को

दुविधा से घिरा देखकर नाज करे

 

मेरा कलम अमानत है मेरे प्रदेश के लोगों की, उन्हीं के लिए कार्य करती है, मेरे जमीर की अदालत में मेरी कलम हमेशा न्याय और सच्चाई के लिए तत्पर रहती है...