मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

समय सीमा से दो साल पहले ही भारत में बाघों की आबादी दोगुनी होने की बात कही...

संवाददाता : नई दिल्ली 


      प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गांधीनगर में वन्‍य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर 13वें सीओपी सम्मेलन का उद्घाटन किया।


इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया के सर्वाधिक विविधताओं से भरे देशों में से एक है। उन्होंने कहा कि दुनिया के 2.4 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र के साथ, भारत ज्ञात वैश्विक जैव विविधता में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान करता है। प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि युगों तक, वन्यजीवों और उनके पर्यावास का संरक्षण भारत के ऐसे सांस्कृतिक लोकाचार का हिस्सा रहा है, जो करुणा और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा, "गांधी जी से प्रेरणा लेकर अहिंसा तथा जीवों एवं प्रकृति के संरक्षण के सिद्धांत को देश के संविधान में उपयुक्त स्‍थान दिया गया है जो कई कानूनों और विधानों में परिलक्षित है।



प्रधानमंत्री ने आगामी तीन वर्षों के लिए इस सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए भारत के कुछ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के बारे में विस्तार से बताया।


भारत को प्रवासी पक्षियों के लिए मध्‍य एशियाई क्षेत्र के प्रमुख मार्ग के एक हिस्‍से के रूप में देखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मार्ग से गुजरने वाले प्रवासी पक्षियों और उनके पर्यावास को संरक्षित रखने के लिए भारत सरकार ने एक प्रवासी पक्षी सरंक्षण राष्‍ट्रीय कार्ययोजना बनाई है और इस संदर्भ में अन्‍य देशों को भी ऐसी कार्ययोजना बनाने में मदद करने का इरादा रखता है। उन्‍होंने कहा कि भारत मध्‍य एशियाई फ्लाईअवे क्षेत्र वाले देशों के सक्रिय सहयोग से प्रवासी पक्षियों के संरक्षण को एक नए प्रतिमान पर ले जाना चाहता है।


उन्‍होंने कहा कि भारत के कई संरक्षित क्षेत्र पड़ोसी देशों के संरक्षित क्षेत्रों के साथ सीमाएं साझा करते हैं। ऐसे में वन्‍यजीवों के संरक्षण के लिए अंतरराष्‍ट्रीय सरंक्षित क्षेत्र बनाए जाने की दिशा में प्रयास काफी सकारात्‍मक होंगे। सतत विकास के बारे में सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों के लिए अनुकूल संरचना विकास की नीति दिशा-निर्देश जारी करने का हवाला दिया।


प्रधानमंत्री ने बताया कि किस तरह, “सबका साथ, सबका विकास” की भावना से, देश में वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लाखों लोगों को संयुक्त वानिकी प्रबंधन समितियों और पर्यावरण विकास समितियों के रूप में एकसाथ लाया गया है और इसे वन और वन्यजीवों के संरक्षण से भी जोड़ा गया है।