सोमवार, 9 मार्च 2020

14 लाख से ज्यादा एसएचजी को जोड़ते हुए वर्ष 2022 तक उनकी कुल संख्या 75 लाख तक पहुंचाई जाएगीः तोमर

संवाददाता : नई दिल्ली 


      केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी के बिना भारत राष्ट्रों की समिति में विकसित राष्ट्र के रूप में नहीं उभर सकेगा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यहां डीडी किसान पर महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित एक लाइव टीवी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नये भारत का मिशन केवल महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से ही साकार हो सकता है, जो हमारी जनसंख्या, अर्थव्यवस्था का आधा भाग हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं अब न केवल अकादमिक बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं में अव्वल स्थान पा रही हैं, बल्कि उद्योग जगत से लेकर वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान, अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु कार्यक्रमों, पुलिस तथा सशस्त्र बलों और नौकरशाही तक विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पद भी संभाल रही हैं।



तोमर ने कहा कि देशभर में 60.8 लाख एसएचजी छह करोड़ 73 लाख से ज्यादा महिलाओं को संघटित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “और ज्यादा महिलाओं को आजीविका पाने में समर्थ बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की वर्ष 2022 तक कुल 75 लाख एसएचजी का सृजन करने की योजना है।”


तोमर ने कहा कि सरकार सरल ऋण प्रवाह के लिए बैंकों को जोड़ने के द्वारा निधि उपलब्ध करा रही है और स्वयं सहायता समूह को आजीविका मिशन हेतु प्रशिक्षण दे रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बेहतर प्रदर्शन के लिए स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने हेतु पुरस्कारों का गठन किया है। महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए पिछले 6 वर्षो के दौरान स्वयं सहायता समूहों को 2.75 लाख करोड़ से अधिक ऋण प्रदान किया गया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत वार्षिक रूप से 5 करोड़ से अधिक लोगों को नियुक्त किया जाता है और मनरेगा के तहत कार्य बल में महिलाओं की 55 प्रतिशत की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के तहत भी 4.66 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं और इस योजना के तहत और अधिक महिलाओं की भागीदारी हो रही है।


कार्यक्रम के दौरान, दिल्ली के अतिरिक्त, भोपाल, भुवनेश्वर, हैदराबाद, जयपुर, पटना एवं रांची में दूरदर्शन स्टूडियो में बैठी ग्रामीण महिला प्रतिभागियों ने मंत्री के साथ परस्पर बातचीत की। उन्होंने अपनी सफलता गाथाओं को साझा किया और बताया कि किस प्रकार स्वयं सहायता समूहों ने उन्हें आत्म निर्भर बनाने और परिवार की आय बढ़ाने में योगदान देने में सहायता की है। महिला प्रतिभागियों में पशु सखी, कृषि सखी, बैंक सखी और पोषण सखी सहित कई सामुदयिक स्रोत व्यक्ति (सीआरपी) शामिल थे।