गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

उत्तराखंड सरकार ने वायरस से लड़ने को डॉक्टर और संबंधित स्टाफ को पीपीई किट की जगह एचआइवी किट भेजी...

प्रजा दत्त डबराल @ हल्द्वानी उत्तराखंड 


      उत्तराखंड हाईकोर्ट में बुधवार को पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के लिए डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और उनकी सुरक्षा संबंधित जरूरी वस्तुओं की कमी के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।


न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की बेंच ने खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा है कि कोरोना से बचाव के लिए राज्य में कितने सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए हैं। सरकार ने डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के क्या उपाय किए हैं। अब तक कितने उपकरण उपयोग किए गए हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि उधमसिंह नगर, हरिद्वार और रामनगर में कोरोना टेस्ट लैब बनाने की क्या संभावना है। क्या इन क्षेत्रों में सरकार लैब बना सकती है।



न्यायालय ने दोनों सरकारों से 18 अप्रैल तक जवाब मांगा है। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में प्रदेश में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य में डॉक्टरों को सुविधाएं और सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।


याचिकाकर्ता ने प्रदेश के डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा और सुविधाओं पर सवाल उठाए हैं। याचिकाकर्ता के मुताबिक सरकार ने वायरस से लड़ने को डॉक्टर और संबंधित स्टाफ को पीपीई किट की जगह एचआइवी किट भेज दी है, जो इस महामारी से लड़ने के लिए पर्याप्त नहीं है।  कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर राज्य और केंद्र सरकार से 18 अप्रैल तक विस्तृत जवाब देने के आदेश दिए हैं।