बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

"न छुड़ाओ हाथ अपना हमसे " कवयित्री कुसुम डबराल की कलम से...

कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता कुसुम डबराल की कलम से :-


"न छुड़ाओ हाथ अपना हमसे "


न छुड़ाओ हाथ अपना हमसे...


दो कदम साथ अपने चलने दो ,


मिलने दो कदम से कदम साथ


चलने की इजाजत दे दो।


न रोको हवाओं के रुख को 


हमको भी जरा सांस लेने दो ,


छू लेने दो अपने कदमों की धूल


हमको भी जरा निहाल होने दो ।


बड़ी जुस्तजू थी साथ चलने की


तेरी अपनी बाहों का जरा सहारा दे दो  ।


मिल जाने दो जरा अपनी रूह में...


अपनी सांसों की खुशबू हमको दे दो ,


 पाना तुमको जरूरी नहीं


अपने साथ तो थोड़ा होने दो...


दो कदम तुम हम को साथ ले लो ।


बेवफा दिल इजहार कर बैठा


हमको खुद से एक हल्की सी मुलाकात दे दो


बस अपने पास होने की थोड़ी सी इजाजत दे दो  ।।