रविवार, 31 मई 2020

अब टिहरी में मिलेगी ऑस्ट्रेलियाई मेरिनो भेड़ की ऊन...

प्रजा दत्त डबराल @ देहरादून उत्तराखंड 


      उत्तराखंड की पहाड़ियों में अब उच्च गुणवत्ता वाले ऑस्ट्रेलियाई भेड़ से ऊन का उत्पादन किया जाएगा। इन भेड़ों से प्राप्त होने वाली ऊन से देश के कपड़ा उद्योग की वैश्विक बाजार पर निर्भरता कम होगी। 27 मई को, राज्य पशुपालन विभाग द्वारा संकलित भेड़ की ऊन की गुणवत्ता की परीक्षण रिपोर्ट ने पुष्टि की कि ऊन की गुणवत्ता ऑस्ट्रेलियाई मेरिनो भेड़ के समान है।

पशुपालन विभाग के सचिव डॉ. आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि, "हमने पिछले साल ऑस्ट्रेलियाई मेरिनो भेड़ आयात किया था और प्युर्ब्रेड से उसी गुणवत्ता और मात्रा में ऊन का उत्पादन हुआ जैसा ऑस्ट्रेलिया में मेरिनो भेड़ से होता है।“ सुंदरम ने कहा कि औसत फाइबर डाइऐमिटर भी 16.88 माइक्रोन है जो बहुत प्रभावशाली है। दुनिया भर में कपड़ा उद्योग में इसकी सबसे अधिक मांग रहती है।



पिछले साल राष्ट्रीय पशुधन योजना के तहत करीब 8.30 करोड़ रुपए की लागत से ऑस्ट्रेलिया से 240 मेरिनो भेड़ों को आयात किया गया था। जिन्हें ऊन की गुणवत्ता में सुधार और प्रजनन के लिए टिहरी गढ़वाल जिले में एक फार्म में रखा गया है। यह विकास कितना महत्वपूर्ण है इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि भारतीय कपड़ा उद्योग ऑस्ट्रेलिया समेत वैश्विक बाजार से 8000 मीट्रिक टन ऊन का आयात करता है,  जिसकी कीमत 2000 करोड़ रुपये से अधिक है।

सुंदरम ने कहा कि, "उत्तराखंड में अगले सात वर्षों के लिए बहुत ही उन्नत प्रजनन कार्यक्रमों के साथ इसे एकीकृत आजीविका परियोजनाओं के साथ जोड़कर, हम भारत में कपड़ा उद्योग की कुल ऊन आवश्यकता का लगभग 50% उत्पादन कर सकते हैं।"

भेड़ फार्म में भ्रूण हस्तांतरण तकनीक में आधुनिक कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से एक उच्च गुणवत्ता वाले जर्मप्लाज्म को भेड़ के प्रजनक के लिए बनाया गया है।


राज्य  सरकार कोविड-19 के कारण उत्तराखंड लौटने वाले प्रवासी आबादी को एक स्थायी आजीविका के अवसर के रूप में भेड़ पालन की योजना बनायीं है।