शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व से होगी ’गोधन न्याय योजना’ की शुरूआत...

संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़


      मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में देश की अपनी तरह की अनूठी ’गोधन न्याय योजना’ छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व से 20 जुलाई को प्रारंभ हो रही है। पशुपालकों से गोबर खरीदी की इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के संबंध में राज्य शासन के कृषि विकास, किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश सभी संभागायुक्तों, जिला कलेक्टरों, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों, नगर निगम के कमिश्नरों, नगर पालिका और नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं। गोबर के क्रय और भुगतान की प्रक्रिया, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए स्व सहायता समूहों के प्रशिक्षण, वर्मी कम्पोस्ट टांका निर्माण, गौठानों में गोबर प्रसंस्करण, वर्मी कम्पोस्ट की पैकेजिंग, वर्मी कम्पोस्ट के विपणन के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। योजना के संचालन एवं क्रियान्वयन का सम्पूर्ण दायित्व जिला कलेक्टरों का होगा।


गोधन न्याय योजना ग्रामीण क्षेत्र में बनाए गए 2408 गौठान और शहरी क्षेत्र के 377 गौठानों में संचालित की जाएगी। योजना से पशुपालकों की आय में वृद्धि और पशुधन विचरण एवं खुली चराई पर रोक लगेगी। जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा एवं रासायनिक उर्वरक उपयोग में कमी आएगी। खरीफ एवं रबी फसल सुरक्षा एवं द्विफसलीय क्षेत्र विस्तार होगा। स्थानीय स्तर पर जैविक खाद की उपलब्धता होगी। स्थानीय स्व सहायता समूहों को रोजगार भी मिलेगा। भूमि की उर्वरता में सुधार, विष रहित खाद्य पदार्थो की उपलब्धता एवं सुपोषण के स्तर में सुधार होगा।



 
नवीन गौठानों की स्थापना के साथ होगा योजना का विस्तार


गोधन न्याय योजना का कार्यक्षेत्र संपूर्ण प्रदेश आगामी वर्षो में नवीन गौठानों की स्थापना के साथ-साथ आवश्यकता अनुसार योजना का विस्तार किया जाएगा। गोबर का क्रय एवं भुगतान की प्रक्रिया के अनुसार गौठान समितियों द्वारा उसी पंचायत का गोबर क्रय किया जा सकेगा। गौठान समिति गोबर खरीदी के लिए समय का निर्धारण किया जाएगा। गौठान में गोवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुपालक से गोबर का क्रय शासन द्वारा निर्धारित दर से किया जाएगा। वर्तमान में शासन द्वारा 2 रूपए किलोग्राम (परिवहन व्यय सहित) की दर निर्धारित की गई है। पशुपालक गोबर का विक्रय स्वैच्छिक रूप से कर सकेंगे। गोबर की गुणवत्ता हाथ में उठाये जाने लायक अर्धठोस प्रकृति की होगी। गोबर में कांच, मिट्टी, प्लास्टिक इत्यादि नही होना चाहिए।


गौठान समिति द्वारा पशुपालकों से क्रय किए जा रहे गोबर का लेखा विवरण दो प्रतियों में रखा जाएगा। गोबर क्रय पत्रक का नमूना निर्धारित किया गया है। गोबर क्रय पत्रक में पशुपालक का हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से लिया जाएगा। हितग्राहियों से गोबर ही लिया जाएगा, गोबर के कोई उत्पाद यथा कंडा इत्यादि नहीं लिया जाएगा। बायोमॉस (जैविक अपशिष्ट) स्वेच्छा से गौठानों में प्रदाय किया जा सकता है, परंतु इसके लिए कोई भी राशि देय नहीं होगी।


समूहों के प्रशिक्षण के लिए तैनात होंगे नोडल अधिकारी


वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने हेतु प्रशिक्षण के संबंध में जारी निर्देशो के अनुसार कलेक्टर द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक गौठान के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए चिन्हांकित स्व-सहायता समूह को दो चक्रों में विस्तृत प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। समस्त गौठानों में वर्मीकम्पोस्ट निर्माण के लिए पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित सुनिश्चित किया जाएगा। समस्त गौठानों में समयावधि में प्रशिक्षण कार्य पूर्ण कराने का दायित्व कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, उप संचालक कृषि, उप संचालक पशु चिकित्सा को होगा। शहरी क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्य राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन अंतर्गत संपादित किया जाएगा।


स्व सहायता समूह द्वारा गौठान में संग्रहित, एकत्रित गोबर से प्राथमिक रूप से वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जाएगा। स्थानीय मांग एवं आवश्यकतानुसार अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा सकेंगे। उप संचालक कृषि अथवा मैदानी अमलों के निगरानी में तकनीकी मापदण्ड अनुसार चिन्हांकित स्व सहायता समूह के द्वारा गोबर, केचुआ एवं जैविक अवशेष आदि का वर्मी टांका में भराई की जाएगी। वर्मी टांका में 15-20 दिन का अपघटित गोबर का ही उपयोग किया जाएगा, ताकि गोबर से उत्पन्न होने वाली उष्मा एवं मिथेन गैस से केंचुआ पर विपरीत प्रभाव न पड़े।
 
विक्रय के लिए वर्मी कम्पोस्ट के दो, पांच और तीस किलो के बैग


वर्मी कम्पोस्ट का पैकेजिंग- वर्मी कम्पोस्ट तैयार होने के बाद वर्मी कम्पोस्ट एवं केंचुआ को अलग-अलग करने हेतु छलनी का प्रयोग किया जाएगा। वर्मी कम्पोस्ट तैयार होने पर पैकिंग के पूर्व प्रत्येक चक्र में कृषि विभाग के उर्वरक निरीक्षण द्वारा प्रयोगशाला में परीक्षण हेतु नमूना लिया जाएगा। गौठान में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट की गुणवत्ता परीक्षण एवं पैकेजिंग इत्यादि कार्य निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप विभाग (कृषि) की देख-रेख में स्व सहायता समूह द्वारा कराया जाएगा। वर्मी कम्पोस्ट की आकर्षक पैकेजिंग का कार्य स्व सहायता समूह द्वारा कलेक्टर द्वारा नामित नोडल अधिकारी के पर्यवेक्षण में किया जाएगा।


पैकिंग उपरांत वर्मी कम्पोस्ट का सुरक्षित भण्डारण स्व सहायता समूह द्वारा किया जाएगा। पैकेजिंग हेतु आवश्यक व्यवस्थाएं (पैंकिग बैग, पैकिंग बैग प्रिटिंग, वेट मशीन आदि) गौठान समिति की प्राप्तियां, चक्रीय निधि आदि से किया जाएगा। परीक्षण रिपोर्ट के सफल, मानक स्तर का होने पर 2 कि.ग्रा., 5 किग्रा. एवं 30 किग्रा. के पॉली बैग में पैकिंग स्व सहायता समूह द्वारा किया जाएगा। स्व सहायता समूह को पैकिंग बैग में उत्पाद का विवरण प्रिंटिंग कराना होगा।


कम्पोस्ट का वितरण सहकारी समितियों के माध्यम से


    वर्मी कम्पोस्ट का विपणन- वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय शासन द्वारा निर्धारित दर से किया जाएगा। वर्तमान में यह दर 8 रूपए प्रति किग्रा. निर्धारित किया गया है। विक्रय हेतु कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी। किसानों को गौठानों से वर्मी कम्पोस्ट का सीधा विक्रय नही किया जाएगा। अपितु उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट का वितरण सहकारी समितियों के माध्यम से किया जाएगा। वन विभाग, कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्यागिकी विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग एवं ग्रामोद्योग (रेशम) विभाग द्वारा विभागीय कार्यक्रम में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट को छोड़कर विभाग हेतु आवश्यक अतिरिक्त वर्मी कम्पोस्ट की मात्रा का क्रय गौठानों से किया जाएगा। किसी भी विभाग द्वारा टेण्डर से वर्मीकम्पोस्ट का क्रय नहीं किया जाएगा। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति एवं लैम्पस के माध्यम से कृषकों प्रदायित अल्पकालीन फसल ऋण के ऋण मान में वर्मी कम्पोस्ट अनिवार्यतः शामिल कर आदान सामग्री के रूप में वितरित किया जाएगा।


जिला स्तरीय अनुश्रवण समिति जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में किया गया है। इस समिति में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, वन मंडलाधिकारी, आयुक्त/मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नगरीय निकाय, उप पंजीयक, सहकारिता, उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं, उप, सहायक संचालक, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सदस्य एवं उप संचालक कृषि को सदस्य सचिव बनाया गया है।


इस समिति का दायित्व जिले स्तर पर योजना क्रियान्वयन हेतु कार्ययोजना तैयार करना, वर्मी कम्पोस्टर का गुणवत्ता नियंत्रक, मानक पैकिंग, विपणन की व्यवस्था करना, समस्त संबंधित भागीदारों को समय-सीमा में भुगतान सुनिश्चित करना, योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार कराना एवं गोठान समिति एवं स्व-सहायता समूह का क्षमता विकास करना होगा।


वर्मी कम्पोस्ट के वितरण हेतु दिशा-निर्देश


प्रदेश में संचालित गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट का वितरण सहकारी सोसायटी के माध्यम से किया जाना है। वर्मी कम्पोस्ट खाद का वितरण हेतु प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों के अधीन आने वाले गौठानों को संबंधित समिति में संलग्न किया जाना होगा। योजना के क्रियान्वयन हेतु गौठानों, समितियों एवं समितियों के अधीन आने वाले गांवों का मैपिंग सोसायटी द्वारा किया जाएगा, जिसकी जानकारी किसानों एवं गौठानों समितियों को दी जाएगी।
   
प्रति शुक्रवार को सहकारी सोसायटी द्वारा गौठान समिति को राशि का ऑनलाईन ट्रांसफर किया जाएगा। इसके लिए गौठान समिति को सहकारी बैंक में खाता खुलवाना होगा। प्रतिमाह सहकारी सोसायटी एवं गौठान समिति द्वारा वर्मी खाद क्रय-विक्रय के खातों का मिलान करेंगे। वर्मी कम्पोस्ट खाद की गुणवत्ता सें संबंधित शिकायतों का निराकरण कृषि विभाग के उप संचालक, कृषि एवं सहकारी सोसायटी के संबंधित शिकायतों का निराकरण जिले के सहायक, उप पंजीयक, सहकारी सोसायटी द्वारा किया जाएगा।



शहरी क्षेत्रों में क्रियान्वयन


शहरी क्षेत्रों में गोधन न्याय योजना का प्रमुख उद्देश्य एकीकृत व्यवस्था के साथ सड़क में धूमने वाले पशुओं के नियंत्रण, खेत एवं बाड़ियों हेतु उच्च गुणवत्ता के जैविक खाद की उपलब्धता, शहरी स्वच्छता के माडल को सुदृढ़ करते हुए पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पशुपालन से उत्सर्जित अपशिष्ट से होने वाले बीमारियों के बचाव हेतु अपशिष्ट का वैज्ञानिक निपटान किया जाना है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु योजना में कार्यरत शहरी गरीब परिवारों के आर्थिक एवं सामाजिक उन्नयन हेतु शहरी क्षेत्रों में गोबर का क्रय एवं गोबर से निर्मित गुणवत्ता युक्त वर्मी कम्पोस्ट खाद का विक्रय तथा गौठान समिति को आत्मनिर्भर बनाया जाना है।
    
शहरों में गोबर का  क्रय, गोबर खरीदी केन्द्र एवं संग्रहण


शहरों में स्थित एसएलआरएम सेंटर, कम्पोस्ट शेड, गौठान में तराजू/फर्मा आदि की व्यवस्था के साथ गोधन न्याय योजना खरीदी केन्द्र बनाए जाएंगे। पंजीकृत पशुपालकों द्वारा ही गोबर का विक्रय गोधन न्याया योजना खरीदी केन्द्र में किया जाएगा। समूह द्वारा पशुपालक को गोबर के क्रय उपरांत शासन द्वारा निर्धारित दर अनुसार मय परिवहन शुल्क भुगतान किया जाएगा।


प्रसंस्करण एवं अधोसंरचना विकास


शहरों में सर्वे उपरांत प्राप्त होने वाले गोबर के संभावित मात्रा के अनुरूप निकाय क्षेत्र में मिशन क्लीन सिटी योजना अंतर्गत निर्मित कम्पोस्ट शेड की क्षमता का आकलन संबंधित नगरीय निकाय द्वारा किया जाएगा। इस योजना अंतर्गत क्रय किए गए गोबर से निकाय की स्थिति अनुरूप वर्मी कम्पोस्ट, गार्डन पाऊडर, गोबर लकड़ी, गोबर धूपबत्ती, गोबर दीया, बायोगैस, नाडेप टांका खाद एवं अन्य संबंधित उत्पाद तैयार करने हेतु छोटी-छोटी परियोजनाएं तैयार की जाएगी। एकत्रित गीले कचे एवं क्रय किए गए गोबर के मिश्रण के निकाय में निर्मित कम्पोस्ट शेड में वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जाएगा। साथ ही गोबर खरीदी के उपरांत परिवहन व्यय को कम किए जाने एवं शहरों में विकेंद्रिकृत गोठान की उपलब्धता को सुनिश्चित करने हेतु यथा संभव एसएलआरएम एवं कम्पोस्ट शेड के निकट की भूमि में निकाय की अवस्थिति अनुरूप निम्नानुसार शहरी गौठान शहरी गौठान विकसित किए जाएंगे।
 
स्व-सहायता समूह प्रबंधन एवं प्रशिक्षण


समूह का पंजीयन नगरीय निकायों द्वारा सिटी लेवल फेडरेशन, एरिया लेवल फेडरेशन एवं स्व-सहायता समूह हेतु प्रकाशित नियम के तहत किया जाएगा। समूह का प्रशिक्षण राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के माध्यम से समूह का गौठान प्रबंधन एवं कम्पोस्ट निर्माण विषयों में कृषि विभाग के द्वारा उपलब्ध अध्यन सामग्री के समावेश से किया जाएगा। निकाय में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन एवं स्वच्छ भारत मिशन अन्तर्गत कार्यरत विशेषज्ञ को मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण मिलेगा।