शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

लोकमान्य तिलक को उनकी १६४ लीं जयन्ती पर कोटि कोटि नमन : प्रशांत सी बाजपेयी

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


      लोकमान्य तिलक को उनकी १६४ लीं जयन्ती पर कोटि कोटि नमन। देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत वे एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने “पूर्ण स्वराज” के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।कृतज्ञ राष्ट्र उनके इस योगदान को सदैव स्मरण करता रहेगा।


प्रशांत सी बाजपेयी (अध्यक्ष, स्वतंत्रता आन्दोलन यादगार समिति) ने हमारे संवाददाता को बताया की भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शीर्षस्थ नेता प्रखर वक्ता और विलक्षण प्रतिभा के धनी लोकमान्य तिलक ने देश में सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का सूत्रपात किया।स्वतंत्रता संग्राम के तीन विभूतियों “लाल-बाल-पाल”में से एक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक,वेद-वेदांतों के मर्मज्ञ थे।१९०६ में अंग्रेज़ सरकार ने तिलक को विद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किया गया।सुनवाई के दौरान उन्हें ६ साल के लिए सज़ा सुनाई गई और उन्हें मांडले(बर्मा) जेल ले ज़ाया गया।जेल में उन्होंने अपना अधिकतर समय पाठन-लेखन में बिताया।उन्होंने कई पुस्तकों के अलावा,अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “गीता रहस्य” इसी दौरान लिखी।



लोकमान्य तिलक ने दो मराठी भाषा में “केसरी” व “मराठा” अंग्रेज़ी भाषा की साप्ताहिकी थीं,जिसका  सम्पादन भी किया ।जल्दी ही दोनों समाचार पत्र जनता में बहुत लोकप्रिय हो गए।इसके माध्यम से तिलक ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ लेख लिखें थे।इन्हीं लेखों की वजह से उनको कई बार जेल भेजा गया।


उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान “पूर्ण स्वराज्य” की माँग उठाई।लोकमान्य तिलक ने जन जागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में ‘गणेश उत्सव’ तथा ‘शिवाजी उत्सव’मनाना प्रारंभ किया।इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंग्रेजों के अन्यान्य के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया ।


लोकमान्य तिलक ने सन १८८० में “ नियंत्रण  इंगलिश स्कूल और कुछ सालों बाद “फग्युसन कालेज की स्थापना किया।भारत में शिक्षा के सुधार के लिए डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना १८८४ में की जिसका उद्देश्य देश की युवाओं को उच्च शिक्षा प्रदान करना था।


हम लोकमान्य तिलक की 164 लीं की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।उन्होंने असंख्य भारतीयों के भीतर देशप्रेम की भावना जगाई और समाज के सभी वर्गों के लोगों को सफलतापूर्वक एक जुट किया।ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी को कोटि कोटि नमन।।