कवयित्री श्वेता सिंह की कलम से...
तो होगा क्या ...
ये रात आँखों में गुज़ारी तो होगा क्या,
हो जाए हर एक शै हमारी तो होगा क्या,
दिल की बात रही दिल में बहुत आसान,
कहने पर हुई मुश्किल तो होगा क्या,
कुछ कहने की आरज़ू में निकले इतने दिन,
सब कह दिया एक पल में आज तो होगा क्या,
इस बेखुदी में याद हर लम्हा तुम्हें किया,
यूँ ही तुमने भुला दिया मुझे तो होगा क्या,
देखकर तुम्हें लगा अब ना देखूँ किसी को,
फिर मगर हुआ तेरा दीदार तो होगा क्या ।