सोमवार, 23 नवंबर 2020

कोरोना महामारी की वजह से देश के सामने आई वित्तीय चुनौतियों के बीच हरियाणा सरकार ने मिसाल पेश की...

 संवाददाता : चंडीगढ़ हरियाणा

कोरोना महामारी की वजह से देश के सामने आई वित्तीय चुनौतियों के बीच हरियाणा सरकार ने मिसाल पेश की है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आबकारी विभाग ने बीते 6 महीने में टैक्स कलेक्शन में नया रिकॉर्ड कायम किया है। आबकारी विभाग ने 2020-21 की नई एक्साइज पॉलिसी के तहत हुई कुल कलेक्शन के आंकड़े सार्वजनिक किए हैं।

ये आंकड़े काफी हैरान कर देने वाले और हरियाणावासियों के लिए सुखद हैं। मौजूदा आबकारी वर्ष की पहली छ:माही में आबकारी विभाग ने बीते वर्ष के मुकाबले 660 करोड़ रुपये अधिक राजस्व किया है।आबकारी एवं कराधान मंत्री होने के नाते उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने मार्च में नई एक्साइज पॉलिसी जारी कर दी थी लेकिन 23 मार्च 2020 से लॉकडाउन शुरू होने की वजह से नई नीति वक्त पर लागू नहीं हो पाई। आमतौर पर पुरानी नीति वित्तीय वर्ष के आखिर यानी 31 मार्च तक के लिए चलती है और पहली अप्रैल से नई नीति लागू होती है। इस बार नई नीति 6 मई से शुरू हुई। विभाग ने पहले क्वार्टर यानी 6 मई से लेकर 19 अगस्त और दूसरे क्वार्टर यानी 19 अगस्त से लेकर 18 नवंबर तक के आंकड़े सार्वजनिक किए हैं।

छह महीनों में 6 मई से लेकर 18 नवंबर तक की अवधि में विभाग ने पिछले वर्ष के छह महीनों के मुकाबले 660 करोड़ रुपये राजस्व इक_ा किया है। माना जा रहा है कि आबकारी विभाग नई पॉलिसी में रखे गए 7500 करोड़ रुपये राजस्व जुटाने के टारगेट को तो पूरा करेगा ही, बल्कि इस बार लगभग 25 प्रतिशत अधिक राजस्व जुटाया जा सकता है। कोरोना काल में इसे अच्छा संकेत माना जा सकता है।

एक्साइज मिनिस्टर होने के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने मार्च में 2020-21 की एक्साइज पॉलिसी जारी की थी जो लॉकडाउन लगने की वजह से 6 मई से प्रदेश में लागू हुई। नई पॉलिसी में पूरे वर्ष के लिए 7500 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया।

अभी तक विभाग द्वारा 4164 करोड़ 66 लाख 43 हजार 460 रुपये का राजस्व जुटाया जा चुका है जबकि पिछले साल दो तिमाही यानी पहले छह महीनों में कुल 3503 करोड़ 93 लाख 27 हजार 587 रुपये का राजस्व जुटाया गया था। पिछले वर्ष की तुलना में अभी तक विभाग 660 करोड़ 73 लाख 15 हजार 873 रुपये अतिरिक्त जुटा चुका है। इस कलेक्शन को देखते हुए अब विभाग यह मानकर चल रहा है कि अगली दो तिमाही यानी छह महीनों में करीब 5000 करोड़ रुपये की और कलेक्शन होगी। ऐसे में कुल राजस्व 9 हजार करोड़ रुपये के लगभग पहुंच सकता है।

पहली तिमाही यानी 6 मई से 19 अगस्त तक की अवधि में एक्साइज डिपार्टमेंट को कुल 2391 करोड़ 47 लाख 34 हजार 93 रुपये का राजस्व मिला। पिछले साल पहले क्वार्टर में यह राशि 2142 करोड़ 86 लाख 39 हजार 751 रुपये थी। यानी इस बार 248 करोड़ 60 लाख 94 हजार 342 रुपये अधिक जुटाए गए। इसी तरह से दूसरे क्वार्टर यानी 19 अगस्त से 18 नवंबर तक कुल 1773 करोड़ 19 लाख 9 हजार 367 रुपये जुटाए हैं। पिछले साल दूसरे क्वार्टर में यह राशि 1361 करोड़ रुपये 6 लाख 87 हजार 836 रुपये थी। यानी इस वर्ष दूसरी तिमाही में बीते वर्ष के मुकाबले लगभग 412 करोड़ रुपये अधिक राजस्व जुटाया गया।

एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के मामले में इस बार बेहद सख्ती और सजगता के साथ काम किया गया है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले साल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी से दो तिमाही यानी शुरू के छह महीनों में केवल 93150 रुपये ही विभाग के खाते में आए थे। वहीं अभी तक एडिशनल एक्साइज ड्यूटी से 83 करोड़ 3 लाख 50 हजार 755 रुपये विभाग कमा चुका है। पहली तिमाही में 27 करोड़ 10 लाख 83 हजार 363 तथा दूसरी में एडिशनल एक्साइज ड्यूटी से 55 करोड़ 92 लाख 67 हजार 392 रुपये विभाग ने जुटाए हैं।

लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने शराब पर कोविड-सैस लगाने का फैसला लिया था। देसी-अंग्रेजी के अलावा विदेशी शराब, बीयर, वोदका व वाइन सहित सभी प्रकार की शराब पर कोविड सैस लगाया गया था। सरकार को कोविड सैस से 300 करोड़ रुपये के करीब अतिरिक्त आय होने की उम्मीद थी। दूसरे क्वार्टर तक कोविड सैस के नाम पर सरकार के खजाने में 194 करोड़ 90 लाख 85 हजार 672 रुपये आ चुके हैं। पहले कवार्टर में कोविड सैस से 73 करोड़ 36 लाख 40 हजार 876 रुपये मिले और दूसरे क्वार्टर में 121 करोड़ 54 लाख 44 हजार 796 रुपये की कमाई हुई है।

आबकारी मंत्री दुष्यन्त चौटाला ने कहा कि राज्य सरकार ने एक्साइज पॉलिसी में ऐसे प्रावधान किए कि टैक्स की चोरी भी रुके और प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री भी न हो। हमने पड़ोसी राज्यों से अवैध शराब आने के रास्ते बंद किए हैं और डिस्टलरी से लेकर उपभोक्ता तक हर बोतल के पहुंचने के सिस्टम को फूलप्रूफ बनाया है। मैं मानता हूं कि विभाग के अधिकारियों की सजगता से आज आबकारी राजस्व का एक-एक रुपया खजाने में आ रहा है और इसी वजह से हम टारगेट से अधिक राजस्व हासिल कर रहे हैं।