बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और किसानों का एक अटूट रिश्ता : कुलपति प्रोफेसर समर सिंह

 संवाददाता चंडीगढ़ हरियाणा 

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और किसानों का एक अटूट रिश्ता है, जिसकी बदौलत किसान विभिन्न फसलों के उत्पादन में दिन दोगुनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।

यह सब विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई और किसानों द्वारा अपनाई गई विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों व तकनीकों का ही नतीजा है कि आज प्रदेश का देश के खाद्यान भण्डारण और फसल उत्पादन में अग्रणी नाम है। हालांकि हरियाणा प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य प्रदेशों से काफी छोटा है लेकिन यहां के किसानों की मेहनत व एचएयू के वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयासों की बदौलत इसकी देश में अलग पहचान है।

उन्होंने कहा कि पहले जब हरियाणा व पंजाब संयुक्त होते थे तब केवल एक पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना होता था, लेकिन एक नवंबर 1966 को हरियाणा व पंजाब के अलग होने के बाद 2 फरवरी 1970 को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। तब से लेकर निरंतर यह विश्वविद्यालय राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश संयुक्त पंजाब से अलग हुआ तो उस समय हरियाणा प्रदेश का वर्ष 1966-67 में खाद्यान उत्पादन केवल 2.59 मिलियन टन था। इसके बाद वर्ष 2000-2001 में बढक़र 13.29 मिलियन टन हो गया और अब वर्ष 2019-20 में यह बढक़र 17.86 मिलियन टन हो गया है। प्रदेश में हरित क्रांति की सफलता व खाद्यान उत्पादन में अपार वृद्धि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा अधिक पैदावार वाली विभिन्न फसलों की किस्में विकसित करना, नई-नई तकनीकें इजाद करना, अथक प्रयासों, लगन, दूरगामी सोच और प्रदेश के किसानों की कड़ी मेहनत का ही परिणाम है।

आज देशभर के केंद्रीय खाद्यान भण्डारण में प्रदेश का कुल भण्डारण का 16 प्रतिशत है जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसमें गेहूं 9.3 मिलियन टन और चावल 4.2 मिलियन टन शामिल हैं। आज हरियाणा प्रदेश गेहूं के प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता में देश में नंबर वन है। अकेला हरियाणा प्रदेश देश का 60 प्रतिशत बासमती का उत्पादन करता है जबकि कुल चावल उत्पादन में प्रदेश दूसरे स्थान पर है। इसी प्रकार दलहन व तिलहनी फसलों में बढ़ते उत्पादन को लेकर भी विश्वविद्यालय ने अपनी अलग पहचान बनाई है।

कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के साथ लगातार नए आयाम जुड़ रहे हैं। विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक विश्वविद्यालय ने विभिन्न फसलों की 250 नई व उन्नत किस्मेें विकसित की हैं जो रोग प्रतिरोधी व अधिक पैदावार देने वाली हैं। अब तक 533 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एमओयू साइन हो चुके हैं। अभी तक विश्वविद्यालय को 17  पेटेंट, 5 कॉपीराइट और 2 डिजाइनों को स्वीकृति मिल चुकी है।  

इसके अलावा 49 पेटेंट, 1 कॉपीराइट व 2 डिजाइन विश्वविद्यालय की ओर से स्वीकृति के लिए अप्लाई किए गए हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। इनमें से देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों मेें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार व हाल ही में विश्वविद्यालय को मिली प्रथम अटल रैंकिंग शामिल हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2019 के लिए जारी आईसीएआर रैंकिंग में राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में तीसरा स्थान मिला है।

उन्होंने बताया कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एक साथ सात सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने वाला देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय बन गया है। हिसार स्थित विश्वविद्यालय कैंपस, झज्जर, रोहतक, जींद, पानीपत, कुरूक्षेत्र व सिरसा के कृषि विज्ञान केंद्रों पर इन स्टेशनों को स्थापित किया गया है।