संवाददाता : जयपुर राजस्थान
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल एवं रोजगार से जुड़ी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ये योजनाएं समावेशी विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। गांव-ढाणी में बैठे हर जरूरतमंद व्यक्ति को समय पर इनका लाभ मिले, इसके लिए मिशन मोड में काम करते हुए योजनाओं को गति दी जाए।
गहलोत बुधवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फे्रंस के जरिए राज्य विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की पहली बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। करीब 3 घंटे तक चली इस बैठक में मुख्यमंत्री ने मनरेगा, प्रधानमंत्री फसल बीमा, जल जीवन मिशन, समग्र शिक्षा अभियान तथा नेशनल हैल्थ मिशन से सम्बन्धित योजनाओं की प्रगति की गहन समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आमजन को रोजगार से जोड़ने के लिए मनरेगा योजना वरदान साबित हुई है। कोविड के चुनौतीपूर्ण दौर में इसकी महत्ता और बढ़ी है। राजस्थान इस योजना के क्रियान्वयन में सदैव अग्रणी रहा है। आगे भी इसी भावना के साथ काम किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि 100 दिन का रोजगार पूरा करने वाले बारां की सहरिया एवं खेरवा तथा उदयपुर की कथौड़ी जनजाति के मनरेगा श्रमिकों को 50 दिन का अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि बीते दो वर्षाें में नियोजित परिवारों की संख्या 50.65 लाख से बढ़कर 69.96 लाख हो गई है। साथ ही, 99.69 प्रतिशत श्रमिकाें को 15 दिवस में भुगतान सुनिश्चित किया गया है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि केन्द्र शासित प्रदेशों एवं उत्तर-पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों की तरह राजस्थान की दुर्गम एवं रेगिस्तानी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यहां भी यह योजना 90ः10 की भागीदारी में संचालित करने के लिए केन्द्र सरकार से फिर अनुरोध किया जाए। बैठक में बताया गया कि मिशन को गति देने के लिए सभी 33 जिलों में जिला स्तरीय तथा 43 हजार गांवों में से 38 हजार गांवों में ग्राम पेयजल स्वच्छता समितियों का गठन कर दिया गया है। शेष गांवों में भी जल्द ही इनका गठन हो जाएगा।
गहलोत ने कहा कि प्रदेश के गांव-ढाणी तक मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना हमारा मुख्य लक्ष्य है। इसको ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मॉडल सीएचसी विकसित की जाएं। राज्य की आवश्यकता के अनुरूप जिला अस्पतालों की संख्या बढ़ाने के लिए योजना तैयार की जाए। स्वास्थ्य केन्द्रों पर पर्याप्त चिकित्सा उपकरण एवं अन्य संसाधन उपलब्ध कराए जाएं ताकि लोगों को इलाज के लिए शहरों तक न जाना पड़े। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बेहतरीन क्रियान्वयन से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट आई है। साथ ही, वर्ष 2005 में प्रदेश में संस्थागत प्रसव मात्र 32 प्रतिशत होते थे, वे अब बढ़कर 84 प्रतिशत हो गए हैं।
बैठक में जलदाय मंत्री बीडी कल्ला, कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया, चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, खान मंत्री प्रमोद जैन भाया, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री ममता भूपेश, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी, श्रम राज्य मंत्री टीकाराम जूली, युवा मामलात राज्यमंत्री अशोक चांदना, विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, जेपी चन्देलिया, राजकुमार गौड़ एवं वाजिब अली ने योजनाओं को लेकर सुझाव दिए। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल भी वीसी से जुड़े।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज रोहित कुमार सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव जलदाय श्री सुधांश पंत, प्रमुख शासन सचिव शिक्षा अपर्णा अरोरा, प्रमुख सचिव कृषि कुंजीलाल मीणा, शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सिद्धार्थ महाजन ने योजनाओं के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया। इस अवसर पर मुख्य सचिव निरंजन आर्य, सचिव पंचायतीराज मंजू राजपाल, मनरेगा आयुक्त पीसी किशन भी उपस्थित थे।