रविवार, 7 फ़रवरी 2021

माँ नर्मदा की कृपा से किसान होंगे समृद्ध : मंत्री कमल पटेल

 संवाददाता : भोपाल मध्यप्रदेश

किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल नर्मदा परिक्रमा के दौरान शनिवार सुबह बड़वानी से रवाना होकर शाम को गुजरात के विमलेश्वर पहुँचे। परिक्रमा के दौरान बड़वानी जिले के सिलावद, पलसूद, निवाली, दोंदवाड़ा, पानसेमल, खेतिया इत्यादि स्थानों पर पटेल ने किसानों को नवीन कृषि कानूनों और प्रदेश सरकार द्वारा किसान हित में लिये गये निर्णय के फायदे बताये। मार्ग में विभिन्न स्थानों पर कृषि मंत्री का जनता ने स्वागत-अभिनंदन किया।

मंत्री पटेल ने कहा कि देश-प्रदेश के विकास और किसानों की समृद्धि की कामना के साथ वे माँ नर्मदा की परिक्रमा सपरिवार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नर्मदा मैया ने अपने तट पर रहने वाले किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया है। देश के नये कृषि कानून माँ नर्मदा की कृपा से सभी किसानों को समृद्धशाली बनायेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व और मार्गदर्शन में प्रदेश की सरकार लगातार किसानों के लिये काम कर रही है। मात्र 11 महीनों में किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं।

15 मार्च से गेहूँ के साथ चना, मसूर और सरसों का उपार्जन

मंत्री पटेल ने कहा कि इस वर्ष 15 मार्च से प्रदेश में गेहूँ के साथ ही चना, मसूर और सरसों का उपार्जन किया जायेगा। गेहूँ उपार्जन के साथ ही लगभग 80 लाख मीट्रिक टन चना, मसूर और सरसों का उपार्जन किया जायेगा।

किसानों को अतिरिक्त लगभग 16 हजार करोड़ का होगा लाभ

कृषि मंत्री पटेल ने कहा कि चना, मसूर, सरसों का उपार्जन गेहूँ के साथ होने से किसानों के खाते में अतिरिक्त लगभग 16 हजार करोड़ की राशि जायेगी। उपार्जित होने वाली चना, मसूर, सरसों लगभग 80 लाख मीट्रिक टन अर्थात 8 करोड़ क्विंटल होगी। यदि प्रति क्विंटल न्यूनतम एक हजार रुपये का लाभ किसान को होता है, तो 8 हजार करोड़ रुपये और यदि 2000 रुपये प्रति क्विंटल का लाभ किसान को होगा, तो लगभग 16 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ किसानों को होगा।

अब किसान औने-पौने दामों पर दलहन की उपज बेचने के लिये नहीं होंगे मजबूर

मंत्री पटेल ने कहा कि सरकार द्वारा किसानों के हित में लिये गये इस निर्णय के पहले अब तक गेहूँ उपार्जन के बाद दलहन का उपार्जन होने से किसान अपनी दलहन की फसलों को औने-पौने दामों में बाजार में बेचने पर मजबूर हुआ करता था। किसान समर्थन मूल्य से 1500 से 2000 रुपये कम में अपनी उपज व्यापारियों को बेचता था, क्योंकि लघु और सीमांत कृषक गेहूँ के पूर्व फसल आ जाने के बाद भी उपार्जन के समय तक संसाधनों के अभाव में अपनी फसल घर पर रखने में सक्षम नहीं है। किसान अपनी उपज कम दाम में व्यापारियों को बेचने के लिये मजबूर थे।

शिवराज सरकार के इस निर्णय से अब किसान अपनी फसल सीधे समर्थन मूल्य पर बेच सकेगा। मंत्री पटेल ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा चने का समर्थन मूल्य 5100 रुपये घोषित किया गया है। किसान अब सीधे समर्थन मूल्य पर ही अपनी फसल विक्रय करेगा, जिससे किसान को खाते में सीधे 1500 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल का लाभ होगा, क्योंकि बाजार मूल्य 3400 रुपये से 4000 रुपये तक का ही है।