बुधवार, 8 मई 2019

इंटर-कास्ट शादी करने पर लड़की के पिता और चाचाओं ने किया घिनोना काम...

आशुतोष ममगाई  : देहरादून उत्तराखंड 



                मंगेश ने शायद ही कभी सोचा होगा कि उनकी नये जीवन की शुरूआत ही ऐसी होगी, उनका रूक्मणी के साथ सजाया हुआ सपना ऐसे टूट जाएगा।2016 में एक फिल्म आई थी सैराट जिसमें प्यार था, जो अकसर हम सबको होता है। फिल्म में लड़के का नाम पर्श्या और लड़की का नाम है आर्ची। आर्ची को समाज में ऊंची जाति का दिखाया गया है। घरवाले पर्श्या और आर्ची की शादी के लिए राजी नहीं होते हैं लेकिन लड़की फिर भी शादी कर ही लेती है। अकसर दुनिया में कुछ लोग अपने प्यार के साथ ही पूरी जिंदगी रहने का फैसला कर लेते हैं।


अब आगे फिल्म की कहानी नहीं अब बात करते हैं हमारे आपके बीच की, जिसने ये फिल्म देखी होगी उसे लगेगा सैराट ही देख रहा है।पुणे की रुक्मिणी और मंगेश भी उसी फिल्म की तरह पूरी उम्र साथ रहना चाहते थे। उन्होंने आखिर शादी कर ही ली। पिछले साल दोनों ने साथ-साथ अपनी पहली दिवाली मनाइ थी। जबकि रुक्मिणी के घरवाले इस रिश्ते के बिल्कुल भी राजी नहीं थे। लेकिन कहते हैं ना प्यार में एक अलग ही ताकत होती है। रुक्मिणी ने मंगेश से पिछले साल शादी कर ही ली थी। मंगेश पेशे से मकान मिस्त्री हैं, और अपने दो भाइयों के साथ एक कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करते हैं।


महीने की पहली तारीख को अहमदनगर जिले में दोनों को जिंदा जला दिया गया जिसमें मंगेश का आधा और रुक्मिणी का तीन चैथाई शरीर जल गया था। दोनों को मौके पर अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन रुक्मिणी को नहीं बचा सके और मंगेश अभी जिंदा हैं। 


अस्पताल में आखिरी सांस लेने से पहले रुक्मिणी के बताए अनुसार रुक्मिणी के पिता और चाचा ने ये शर्मनाक काम किया है। दो चाचाओं को तो पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है लेकिन पिता अभी भी फरार है। मामले की जांच कर रहे सब-इंस्पेक्टर विजय कुमार बोथरे ने बताया कि मंगेश 'लोहार' जाति में आते हैं और रुक्मिणी 'पासी' जाति में, जब दोनों ने शादी करने का फैसलास लिया तो रुक्मिणी के घरवालों ने विरोध करना शुरू कर दिया। इतना सब होने के बाद जब शादी हुई तो वहां मंगेश के घरवाले मौजूद थे, और रुक्मिणी की तरफ से केवल उनकी मां आई थीं। 


30 अप्रैल को मंगेश के साथ रुक्मिणी अपने मायके गई थी। इसके बाद अगली सुबह जब मंगेश रुक्मिणी को लेकर वापस घर को चलने लगे तो रुक्मिणी के पिता और चाचा ने रुक्मिणी को मंगेश के साथ जाने से रोक दिया। मंगेश और रुक्मिणी के घरवालों के बीच बहुत बड़ी बहस हुई और फिर वही हुआ जिसके लिए कोई भी तैयार नहीं था। रुक्मिणी और मंगेश को एक कमरे में बंद करके पेट्रोल डाला गया और वहीं जिंदा जला दिया गया। पड़ोसियों ने चीख सुनी तो दोनों को अस्पताल पहुंचाया गया।


ऐसी खबर लिखते पढ़ते ही हर इंसान की उम्मीद का कोई न कोई हिस्सा मर जाता है, लेकिन रुक्मिणी के साथ एक जान और गई है। रुक्मिणी प्रेग्नेंट थीं और उस मासूम को इस दुनिया में आने से पहले ही वापसी के द्वार दिखा दिये।


वैसे अभी देशभर में चुनाव चल रहे हैं और हर किसी को अपने मन के मुताबिक सरकार चाहिये, लेकिन इस सब से पहले हम ये तो सोच लें कि ऐसी दरिंदगी दिखाते हुए क्या हम वाकई एक 'अच्छी सरकार' चुनने के लायक हैं !