रविवार, 28 जुलाई 2019

सदियों पुराना इतिहास और आस्था उत्तराखंड पौड़ी जनपथ की मनियारस्यू की थनगढ घाटी में स्थित थानेश्वर मंदिर का...

संवाददाता : देहरादून उत्तराखंड 


        आइए आज हम बात करते हैं देव भूमि उत्तराखंड की, आप सभी को मालूम होगा देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में, देवताओं का वास है ,केदारनाथ से लेकर हरिद्वार तक की परिधि का स्थान प्राय: सभी देवी-देवताओं और ऋषियों का तप केन्द्र है। इन्ही में से एक है, अध्यात्म शक्ति का एक ध्रुव, पौड़ी जनपथ की मनियारस्यू की थनगढ घाटी में स्थित सिद्धपीठ थानेश्वर महादेव का मंदिर।



जनपद पौड़ी गढ़वाल में मंडल मुख्यालय पौड़ी से मात्र लगभग २५ किलोमीटर दूर कांसखेत-सतपुली मोटर मार्ग से निर्मित बनेखाल मोटर मार्ग पर थनुल गाँव में स्थित आदिशक्ति पीठ थानेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास ४००० वर्ष पुराना है ,माना जाता है की दवापर युग में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा निर्मित ३६० मंदिरों में एक हैं इस मंदिर की बनावट गुप्त कालीन कला से मेल खाती है इस मंदिर के आस पास को खुदाई में पाण्डु लिपि की शिलायें मिली है। मंदिर के पुरोहित पंडित सुदामा प्रसाद कब्तियाल जी का कहना था इस पवित्र स्थल व शिवालय का उल्लेख केदारखंड में भी किया गया है।


बताया जाता है की मूल रूप से इस मंदिर की स्थापना थनगढ की निर्मल नदी के उत्तरी छोर पर स्थित महादेव सैंण नामक स्थान पर की गई थी, कालांतर में इसे नदी के व क्षण छोर पर स्थित थनुल ग्राम की सीमा में एक सुरम्य स्थान पर प्रतिस्थापित कर दिया गया जिसे बाद में थानेश्वर महादेव के नाम से पुकारा जाने लगा प्रकृति के सुरम्मय अंक में अवस्थित थानेश्वर महादेव मंदिर न केवल तीर्थाटन बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यन्त दार्शनिक है थानेश्वर महादेव मंदिर में बैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन निसंतान दम्पति रात भर भोले शंकर की आराधना करते हैं व संतान प्राप्ति हेतु खड़े रहकर दोनों हाथों में दीपक जलाकर रात भर तपस्या व अर्ग देकर भगवान भोले शंकर को प्रसन्न करते हैं ग्रामवासियों व सर्वसाधारण के बीच इस सिद्धपीठ के प्रति विशेष आस्था है तथा कई किवदंत्तियाँ यहाँ विद्यमान हैं कि जो भक्त अपनी इस तपस्या से भोले शंकर को प्रसन्न करने में सफल हो जाते हैं तो उन्हें उसके प्रतिफल व आशिर्वाद के रूप में संतान की प्राप्ति हो जाती है



इस सिद्धपीठ मंदिर के सम्मुख प्रत्येक वर्ष वैकुंठ चतुर्थी को बहुत बड़ा मेला लगता है अनेक राज्यों से भक्तजन अपनी मनोकामना प्राप्ति हेतु यहाँ आते हैं तथा अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर पुन: महादेव जी की पूजा अर्चना करने आते हैं अगणित पथिकों को यहाँ मार्गदर्शन व परेशानियों का समाधान भी मिलता हैऐसी मान्यता है की जिस भक्त पर महादेव जी की कृपा व आशिर्वाद रहेगा उसके हाथों में वे दीपक पूरी रात जलते रहेंगे ऐसी आस्था है की यदि हम सच्ची श्रद्धा भक्ति से थानेश्वर महादेव के मंदिर में जायें तो महादेव जी की असीम कृपा से हमारे सभी कार्य या अवरूद्ध कार्य स्वतः पूर्ण हो जाते हैं गर्त में छिपी इस सदियों पुरानी ऐतिहासिक धरोहर एवं परंपरा को बनाये रखने तथा मंदिर के परिसर के निर्माण / पुनः निर्माण में जो भी कार्य हो रहा है वह कार्य ग्रामवासियों के सहयोग से हो रहा है इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाए रखने के लिए सरकार दवारा किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं दिया जा रहा है


मंदिर की महिमा


थानेश्वर महादेव मंदिर, ग्राम थनुल, के बारे में ऐसी मान्यता है की पूर्व में यह मंदिर माधो सैंण गाँव में स्थित था परन्तु मंदिर की व्यवस्था की सही प्रकार से जानकारी न होने के कारण कुछ व्यक्तियों के द्वारा अज्ञानतावश वहां कुछ अपवित्र कार्य हो गये जिसकी वजह से थानेश्वर महादेव जी कुपित होकर और वहाँ से पलायन कर ग्राम थनुल में स्थापित हो गए, अतः थानेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना थनुल ग्राम से बहने वाली निर्मल नदी के वे क्षण छोर मे स्वतः ही हुई थी सुबह उठकर जब ग्रमवासियों ने अपने घर के बाहर देखा की मंदिर का प्रमुख शिवलिंग व चारदीवारी स्वतः ही निर्मित हो गए हैं तो वो आश्चर्यचकित रह गए तभी से थनुल गाँव वालों तथा दूर-दूर के गाँव वालों के मन में थानेश्वर महादेव जी के प्रति आस्था जागृत हो गयी गाँव वालों ने मंदिर की चारदीवारी का अधूरा कार्य बाद में स्वतः ही पूरा किया समस्त ग्रामवासी अपने अनाज को तथा भोजन को सर्वप्रथम भगवान श्री थानेश्वर महादेव जी के नाम से रखते हैं तत्पश्चात उसका उपयोग व उपभोग करते हैं।


थानेश्वर मंदिर के विषय में प्रचलित एक और सच्ची घटना इस प्रकार है एक बार थनूल गाँव के पड़ौसी गाँव ठेकरधार से कुछ लोग थानेश्वर महादेव मंदिर में सांड चढाने के लिए आये हुए थे जैसे ही उन्होंने मंदिर के दरवाजे खोले तो अचानक मधुमखियाँ आ गयी और कोई भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सका कुछ ही देर में उन मधुमखियों ने सभी लोगों को वहां से भगा दिया और सांड भी कहीं और भाग गया बाद में पता चला की उस गाँव में गाय ने बछड़े को जन्म दिया था जिसकी वजह से उस गाँव मे सूतक लग गया था और यदि वो लोग मंदिर में प्रवेश कर जाते तो मंदिर अपवित्र हो जाता तब से सभी लोग इस बात का विशेष ध्यान रखने लगे कि किसी भी सूतक कि अवस्था में वो मंदिर में प्रवेश न करें।


यात्री व्यवस्था


थानेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों के ठहरने के लिए निशुल्क धर्मशाला का प्रबंध किया गया है | इसके साथ ही मंदिर समिति ने भक्तों के लिए जल पान की भी व्यवस्था की है, ताकि दूर से आये हुए यात्री कुछ समय मंदिर में विश्राम भी कर सकें और यदि चाहे तो थनूल गाँव की रमणीक छटा का आनंद ले सकें | यहां पर वर्ष में दो बार, क्रमशः वैकुंठचतुर्दर्शी एवं शिवरात्रि को भंडारे की व्यवस्था भी की जाती है, जिसमें आस पास के गावों के सभी भक्तजन आते हैं और पूरी रात भोलेनाथ जी की आराधना करते हैं |


दान - भेंट


ऑनलाइन दान करने के लिए कृपया हमारी इंटरनेट बैंकिंग का प्रयोग कर सकते हैं | यदि आप चेक या ड्राफ्ट द्वारा दान करना चाहते हैं तो "थानेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्टके नाम पर दान कर सकते हैं और हमारे रजिस्टर्ड पते पर भेज सकते हैं | जो हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है |


खाता संख्या : 90142010317291 
आई एफ एस सी कोड : SYNB0009014 
बैंक का नाम : SYNDICATE BANK


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