प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली
आप सब लोग विश्वविद्यालय में अपने-अपने सपने लेकर आए हैं। इसी प्रकार मैं भी अपने सपने लेकर राजनीति में आया हूं। लेकिन हम सबके कुछ समान सपने हैं। आपके और मेरे जो साझा सपने हैं, उन साझा सपनों पर मैं आपसे चर्चा करने आया हूं।डेल्ही फार्मास्युटिकल साइंड एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (डीपीएसआरयू) में आयोजित ओरिएंटेशन कार्यक्रम के दौरान दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि आज भारत में तमाम संसाधन एवं जानकारियां होने के बावजूद हम फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज में पीछे हैं। फार्मास्युटिकल रिसर्च के आधार पर अगर बात की जाए तो हम दुनिया के सभी देशों में ऊपर से नहीं बल्कि नीचे की ओर से पांचवें स्थान पर आते हैं। आज हमारे पास जितने संसाधन, जितनी जानकारियां और जितनी सुविधाएं उपलब्ध हैं, अगर हम चाहें तो भारत को दुनिया के प्रथम पांच देशों की सूची में ला सकते हैं।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली का शिक्षा मंत्री होने के नाते, एक राजनीतिज्ञ होने के नाते और इस देश का एक नागरिक होने के नाते मेरा सपना है कि हमारा देश फार्मास्युटिकल रिसर्च के क्षेत्र में दुनिया के प्रथम 5 सर्वश्रेष्ठ देशों की श्रेणी में आए। मैं चाहता हूं कि इस सपने को पूरा करने के लिए आप सभी एक टीम बनें। यह बड़े ही दुख की बात है कि हमारे देश में सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद भी हमारा देश फार्मास्युटिकल रिसर्च के लिए कच्चे उत्पादों को लेकर भी चीन पर निर्भर रहता है। हम लोग इतने पीछे रह गए हैं कि अपने देश में रिसर्च के लिए कच्चे उत्पाद भी उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा, इस विश्वविद्यालय को प्राथमिकता देने का यही सबसे बड़ा एक कारण था। मैं चाहता था कि जल्दी से यह विश्वविद्यालय शुरू हो, ताकि यहां पर रिसर्च के काम हो सकें और हमारा देश भी विकास की दिशा में चार कदम आगे बढ़ सके और आज बड़ी खुशी की बात है कि हमारा देश चार कदम आगे बढ़ गया है। आज हमारा पहला शोध यहां रखा गया।
मनीष सिसोदिया ने कहा, किस विश्वविद्यालय से कितने विद्यार्थी ग्रेजुएट हुए, कितने टॉपर्स बने, कितने विद्यार्थियों को किस पैकेज पर रोजगार मिला, यह उस विश्वविद्यालय का लिपिकीय उत्पादन होता है लेकिन किसी विश्वविद्यालय ने कितने शोध उत्पाद दिए,कितने शोधकर्ता दिए यह उस विश्वविद्यालय की उपलब्धि होती है। किसी विश्वविद्यालय ने कितने छात्रों को ग्रेजुएट बनाया, किसी विश्वविद्यालय से कितने टॉपर्स निकले या कितने छात्र लाखों के पैकेज पर नौकरियों में गए, इस प्रकार की उपलब्धियों को मैं शून्य मानता हूं। क्या फायदा है इस प्रकार की उपलब्धियों का जबकि हम रिसर्च के मामले में बेहद पिछड़े हुए हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस देश का एक शिक्षा संस्थान होने के नाते हम इस देश को ऐसे कौन से बेहतरीन शोध दें जिससे कि यह देश रिसर्च के क्षेत्र में भी तरक्की करे और विश्व के प्रथम 5 प्रसिद्ध देशों की सूची में शामिल हो।
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री ने ये भी कहा, एक शानदार नौकरी हासिल करना, एक सुखप्रद जीवन व्यतीत करना, परिवार को अच्छी सुख-सुविधाएं उपलब्ध करवाना यह एक व्यक्ति का व्यक्तिगत सपना होता है और इस सपने के लिए मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं। लेकिन मैं जो सपना लेकर आप लोगों के बीच आया हूं वह मेरा और आपका साझा सपना है। वह सपना है कि हम लोग मिलजुलकर इस देश को विश्व के 5 सर्वश्रेष्ठ देशों की सूची में लेकर आएं। मैं चाहता हूं कि इस सपने को साकार करने के लिए दिल्ली से एक टीम तैयार हो। परंतु यह केवल मेरे सोचने मात्र से संभव नहीं होगा। यह सपना तब साकार होगा जब इस कक्ष में बैठे हुए वाइस चांसलर साहब से लेकर यहां बैठा हुआ एक-एक छात्र इस सपने को साकार करने के लिए योगदान दे। अगर यह सपना मैं अकेले देखूं तो यह केवल मेरे चुनाव तक जीवित रहेगा, परंतु अगर यह सपना यहां बैठे 1,400 विद्यार्थी और 100फैकल्टी मिलकर देखें तो मैं रहूं या ना रहूं यह सपना साकार होकर रहेगा।