शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

उपराष्ट्रपति की तीन बाल्टिक देशों -लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया की यात्रा समपन्न...

संवाददाता: नई दिल्ली 


      उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ तीन बाल्टिक देशों -लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया की यात्रा के बाद आज तड़के दिल्‍ली लौट आए।


इस यात्रा के दौरान नायडू ने तीनों देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के साथ व्‍यापक बातचीत की और व्‍यापार मंचों तथा प्रवासी भारतीयों को सम्‍बोधित किया। तीनों बाल्टिक देशों ने उपराष्‍ट्रपति को भरोसा दिलाया कि विविध बहुपक्षीय मंचों पर भारत के साथ मिलकर कार्य करेंगे तथा उन्‍होंने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्‍प व्‍यक्‍त किया।



नायडू ने अपनी यात्रा की शुरूआत लिथुआनिया से की। अपनी यात्रा के प्रथम चरण में उन्‍होंने लिथुआनिया के राष्‍ट्रपति श्री गीतानस नोसदा से राजधानी विलनियस में मुलाकात की। उन्‍होंने लिथुआनिया के राष्‍ट्रपति को जम्‍मू कश्‍मीर को विशेष राज्‍य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्‍छेद 370 को हटाए जाने संबंधी भारत सरकार के हाल के निर्णय की जानकारी दी। उपराष्‍ट्रपति ने पुलवामा हमले की निंदा करने के लिए लिथुआनिया सरकार का आभार प्रकट किया।


लिथुआनियाकी राजधानी विलनियस में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार क्षमता से कम है। लैजर, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि-खाद्य प्रसंस्‍करण और जीवन विज्ञान जैसे क्षेत्रों में लिथुआनिया भारत का प्रमुख प्रौद्योगिकी सहयोगी बन सकता है।


तीन बाल्टिक देशों की यात्रा के तीसरे दिन उपराष्‍ट्रपति लिथुआनिया के प्रधानमंत्री सैलियस स्केवर्नेलिसतथा लिथुआनिया गणराज्य के संसद के अध्यक्ष विक्टर प्रैंकिटिस से मुलाकात की और भारतीय-लिथुआनिया व्‍यापार फोरम को संबोधित किया। इसके बाद, उपराष्‍ट्रपति रीगा, लातविया के लिए रवाना हो गये, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय को संबोधित किया।


प्रधानमंत्री सैलियस स्केवर्नेलिस के साथ विचार-विमर्श के दौरान उपराष्‍ट्रपति ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के विस्‍तार और इसके लोकतंत्रीकरण पर बल दिया। उन्‍होंने लिथुआनिया से सुरक्षा परिषद की स्‍थायी सदस्‍यता के संबंध में भारतीय दावे को समर्थन देने का अनुरोध किया। उन्‍होंने कहा कि भारत में पूरी दुनिया की आबादी का छठा भाग निवास करता है।


इसके पहले भारत-लिथुआनिया व्‍यापार फोरम को संबोधित करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने लिथुआनिया के व्‍यावसायियों को भारत में उपलब्‍ध अवसरों का उपयोग करने का आग्रह किया।  यूरोपीय संघ की तुलना में भारत का मध्‍यम वर्ग अधिक बढ़ा है।


नायडू ने विश्‍व बैंक के 'व्‍यापार में आसानी'सूची में 14वां स्‍थान प्राप्‍त करने के लिए लिथुआनिया की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि आईटी, दवा उद्योग और कृषि-खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्रों में दोनों राष्‍ट्र सहयोग कर सकते है।


लातविया की राजधानी रीगा में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि 1991 में दोनों राष्‍ट्रों के बीच राजनायिक संबंध स्‍थापित होने के बाद लातविया और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे है। भारत लातविया के साथ व्‍यापार, निवेश, संस्‍कृति, शिक्षा समेत सभी क्षेत्रों में आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत को दुनिया भर में अपने 30 मिलियन मजबूत भारतीय मूल के लोगों द्वारा किए गए योगदान पर गर्व है। उन्होंने कहा, "आप भारत में विदेशी निवेश, प्रौद्योगिकी, विशेषज्ञता और सद्भावना लाने में मददगार रहे हैं।"


अपनी यात्रा के चौथे दिन, उपराष्ट्रपति ने रीगा में लातविया गणराज्य के राष्ट्रपति एगिल्स लेविट्स और प्रधानमंत्री श्री क्रिस्जानिस कारी के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया।


लातविया के राष्ट्रपति के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि भारत हमेशा अपने पड़ोसियों सहित सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है।  उन्‍होंने आतंकवाद के खतरे पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक शांति और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों को एक साथ आना होगा।


उन्होंने अंतर्राष्‍ट्रीय गठबंधन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए लातविया के समर्थन की इच्‍छा व्‍यक्‍त की।लातविया संसद की कार्यवाहक सभापति इनसेलिबिआ-एग्नेरे के साथ बातचीत के दौरानदोनों राजनेताओं ने दोनों राष्ट्रों के बीच संसदीय आदान-प्रदान बढ़ाने और एक संयुक्त संसदीय मैत्री समूह स्थापित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की।


उपराष्ट्रपति ने भारत-लातविया बिजनेस फोरम को पहली बार संबोधित किया और द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का आह्वान किया।उन्होंने रीगा, लातविया स्थित राष्ट्रीय इतिहास संग्रहालय का भी दौरा किया और लातविया के राष्ट्रीय पुस्तकालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण किया।


तीन बाल्टिक देशों की यात्रा के अंतिम दिन उपराष्‍ट्रपति ने एस्टोनिया राजनयिक मिशनों के 60 प्रमुखों तथा एस्टोनिया के विदेश मंत्री उर्मस रिनसालूसंबोधित किया। उन्‍होंने कहा कि भारत, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप या मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का उद्देश्य राज्‍य की शासन व्‍यवस्‍था में सुधार करना और समावेशी तथा समान विकास को बढ़ावा देना है।


उपराष्ट्रपति ने गलत सूचना फैलाने और जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्संरचना का अंतर्राष्‍ट्रीयकरण करने के प्रयास की निंदा की। यह पूर्णत: प्रशासनिक मामला है और भारत सरकार के दायरे में है।


उन्होंने एस्टोनिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ विस्‍तार से बातचीत की।एस्‍टोनिया के दोनों राजनेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे का समर्थन करने और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को तेज करने का संकल्प लिया।


नायडू और एस्टोनिया की राष्ट्रपति केर्तिकालजुलैद और प्रधानमंत्री जूरीरतास ने सभी क्षेत्रों, विशेष रूप से आर्थिक, सांस्कृतिक और सूचना प्रौद्योगिकी में द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करने के बारे में सहमति व्यक्त की।


उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि उन्हें 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को जल्द से जल्द अपनाने के लिए सामूहिक राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना चाहिए।


एस्टोनिया के राष्ट्रपति के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों राजनेता अंतर्राष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता के सम्मान के लिए वैश्विक आदेश के निर्माण को महत्व देते हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे आम चिंता के मुद्दों के बारे में भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने एस्टोनिया को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने का निमंत्रण देते हुए कहा कि भारत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


भारत-एस्टोनिया व्यापार फोरम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत कई वर्षों से 7 प्रतिशत से अधिक की दर से आर्थिक प्रगति दर्ज कर रहा है। 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है।उन्होंने कहा कि एस्टोनिया की आईटी क्षमताओं और व्यापक नवाचार माहोल को देखते हुए भारत और एस्टोनिया की साइबर सुरक्षा और संबंधित क्षेत्रों में आईटी कंपनियों के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी के निर्माण की व्यापक संभावना है।


उन्होंने एस्टोनिया की ई-निवास योजना की सराहना की। इसके कारण 2200 भारतीयों को एस्टोनिया के ई-निवासी बनने में मदद मिली है। इससे भारतीय कंपनियों और उद्यमियों को बाल्टिक, नॉर्डिक और यूरोपीय बाजारों में प्रवेश के लिए एस्टोनियो को एक लॉन्च पैड के रूप में उपयोग करने में मदद मिलेगी। 


भारत और एस्टोनिया के बीच 172 मिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का उल्लेख करते हुए उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की कंपनियां आईटी, साइबर सुरक्षा और संबंधित क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी भागीदारी का लाभ उठा सकती हैं। उन्होंने एस्टोनिया के व्यापारियों को भारत के मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसे प्रमुख कार्यक्रमों का लाभ उठाने तथा भारत, दक्षिण एशिया, यूरोप और एशिया में पहुंच बनाने के लिए भारत में विनिर्माण करने के बारे में विचार करने के लिए कहा।


भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने भारत सरकार द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का उल्लेख किया। उन्होंने भारतीय प्रवासियों से भारत की विकास पटकथा लिखने में सहयोग देने का आह्वान किया क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की ओर अग्रसर है।


उपराष्ट्रपति की यात्रा के अवसर पर साइबर सुरक्षा और राजनयिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा आवश्यकता की छूट के बारे मेंभारत और एस्टोनियाके अधिकारियों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। ई-गवर्नेंस के बारे में भी एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।उपराष्ट्रपति ने वाबाडुज स्क्वायर स्थित स्मारक पर माल्यार्पण कर एस्टोनिया के स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी।