शनिवार, 2 नवंबर 2019

राज्यपाल को आईजीएमसी के चिकित्सकों ने बताई अपनी समस्याएं...


संवाददाता:शिमला हिमाचल 



      राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि अस्पताल मेें आने वाले रोगियों के साथ चिकित्सकों का मानवीय पहलु जरूरी है जो उसे आत्मिक बल देता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सबसे पुराने इंदिरा गांधी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल में प्रदेश के हर हिस्से से आने वाले रोगियों की देखरेख तो हो रही है लेकिन यहां स्टाॅफ की कमी और इसे विस्तार देने की आवश्यकता है।

 

राज्यपाल ने प्रातः इंदिरा गांधी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल का दौरा किया और रोगियों से स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने परिसर का दौरा भी किया और यहां दी जा रही सुविधाओं का जायजा लिया। बाद में, उन्होंने अस्पताल के विभिन्न संकायों के प्रमुखों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं को सुना।

 


 

उन्होंने कहा कि यह प्रदेश का प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान है जहां प्रतिदिन 2600 के करीब ओ.पी.डी व 120 के करीब आई.पी.डी में रोगी आते हैं। जबकि इस वर्ष आपातकालीन ओ.पी.डी में अब तक 41096 रोगी उपचार के लिए आए हैं। यह रोगी दूर-दराज के क्षेत्रों से आते है, जो विशेषकर निर्धन वर्ग से सम्बन्ध रखते है यहां उपचार के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि यहां आने वाले रोगियों को कैसी सेवाएं मिल रही हैं और कितनी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है कि केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ विशेषकर गरीब लोगों को मिल रहा है या नहीं, इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है। 

 

उन्होंने चिकित्सकों को निर्देश दिए कि उपचार के पश्चात सफलता दर और फाॅलो-अप जरूर करें और इस संबंध में भी आंकड़े होने चाहिए। उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की कि अस्पताल में केवल एक फिजीयोथेरेपिस्ट है वह भी कांट्रेक्ट पर। उन्होंने इस संबंध में प्रधानाचार्य आईएमसी सरकार के समक्ष वास्तुस्थिति प्रस्तुत करने की सलाह दी और कम से कम 8 फिजीयोथेरेपिस्ट तैनात किए जाने का परामर्श दिया।

 

उन्होंने बताया कि अस्पताल में करीब 400 स्टाफ नर्से कार्यरत हैं जबकि आवश्यकता करीब 600 की है। इसी प्रकार 1.65 करोड़ के करीब मुरम्मत व रखरखाव का बजट है। यह बजट बहुत कम है और सर्दियों में सैंट्रल हीटिंग सिस्टम का उपयोग होता है और यह सिस्टम करीब 20 से 22 साल पुराना है। यह बजट इनके रखरखाव में ही व्यय हो जाता है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों और गैर चिकित्सकों के लिए संजौली से लक्कड़ बाजार तक रोड को प्रतिबंधित क्षेत्र से मुक्त किया जाना चाहिए ताकि यहां कार्यरत कर्मी अपने वाहन अस्पताल परिसर तक बिना परमिट के ला सकें।

 

 उन्होंने अस्पताल प्रशासन से कमियों और सुविधाओं को लेकर उन्हें विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा। उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में सरकार से बात कर उन्हें सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास करेंगे।

 

इससे पूर्व, आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डाॅ. मुकंद लाल तथा चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. जनक राज ने राज्यपाल को अस्पताल का दौरा करवाया और अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी दी।