रविवार, 8 दिसंबर 2019

न्याय व्यवस्था में समानता लाना सबसे बड़ी चुनौती : मुख्यमंत्री कमल नाथ

प्रजा दत्त डबराल @ भोपाल मध्यप्रदेश


      मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि के संदर्भ में मजबूत जन-तंत्र के लिए न्याय पालिका, कार्यपालिका और विधायिका में सुधार लाने की जरूरत है। सबको न्याय मिले, समय पर मिले, इसमें समानता हो, आज हमारे सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश विधानसभा सभागार में कॉन्फेडरेशन ऑफ एल्युमिनी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी फाउंडेशन द्वारा आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।



मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि हमारी मौजूदा व्यवस्था को हर क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों के संदर्भ में देखना होगा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता और समानता हमारे देश की एकता का आधार है, जिसे हम न्याय व्यवस्था के जरिए लोगों को उपलब्ध करवाते हैं। कमल नाथ ने कहा कि पूरे विश्व में भारत जैसा कोई देश नहीं है और न ही भारत जैसा किसी देश का संविधान है। उन्होंने कहा कि जब भारत आजाद हुआ, तो संविधान बनाने की चुनौती थी। यह सबसे बड़ी चुनौती थी क्योंकि भारत विविधताओं का देश है। उत्तर से दक्षिण तक खाने और पहनावे में ही विविधताएं हैं।


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए.एम. खानविलकर ने कहा कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों ने कॉन फाउंडेशन के जरिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवा की जो पहल की है, वह सबसे बड़ी मानव सेवा है उन्होंने कहा कि हमारी न्याय प्रणाली की नींव का आधार भी समाज का वह वर्ग है, जो गरीब है, साधन विहीन है। उसे न्याय मिले, यह इसका लक्ष्य है। खानविलकर ने कहा कि शिक्षा से उत्कृष्ट मानव विकास होता है। राष्ट्रीय विधि संस्थान इस दृष्टि से एक सक्षम मानव संसाधन तैयार कर रहा है। सांसद विवेक तन्खा ने भी सेमिनार को संबोधित किया।


मुख्यमंत्री कमल नाथ ने इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया और कॉन फाउंडेशन की पत्रिका 'चंद्रगुप्त' का विमोचन किया। फाउंडेशन के सी.ई.ओ. सिद्धार्थ आर. गुप्ता ने फाउंडेशन के उद्देश्य और संचालित गतिविधियों की जानकारी दी।


कार्यक्रम में जनसम्‍पर्क एवं विधि-विधायी कार्य मंत्री पी.सी.शर्मा, आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस जे.के. माहेश्वरी, आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमेन जस्टिस राजेन्द्र मेनन, बार कॉसिंल ऑफ इंडिया के चेयरमेन मानन के. मिश्रा एवं मध्यप्रदेश के एडवोकेट जनरल शशांक शेखर उपस्थित थे।