संवाददाता : नई दिल्ली
उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सभी बड़े मुद्दों पर एक प्रबुद्ध बहस का आह्वान किया और जोर देते हुए कहा कि असंतोष को लोकतांत्रिक और अहिंसक तरीके से व्यक्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “संवैधानिक तरीके और हिंसा एक साथ नहीं चल सकते। नायडू ने आज के युवा नेताओं से जेटली के इन गुणों का अनुकरण करने और राष्ट्र की सेवा करने का आह्वान किया।
जेटली के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए उप-राष्ट्रपति ने कहा कि जेटली और वे भारतीय राजनीति के कंटीले रास्ते पर एक-दूसरे के साथी बन गए और एक-दूसरे के लिए परस्पर प्रशंसा और सम्मान भी दिखाया।
जेटली को "एक बहुआयामी प्रतिभा का धनी और एक तेज विश्लेषणात्मक दिमाग के साथ ज्ञान का एक स्रोत" बताते हुए, श्री नायडू ने उनके प्रभावी ढंग से संवाद करने और यहां तक कि सबसे जटिल मामलों को सरल, आकर्षक तरीके से समझाने की क्षमता को याद किया। उन्होंने कहा, "उनकी स्पष्टता एक और सराहनीय गुणवत्ता थी और उन्होंने कुदाल को कुदाल कहने में कभी संकोच नहीं किया।"
उन्होंने बताते हुए कहा कि जेटली जी जैसा व्यक्तित्व कई दशकों में एक बार आता है, साथ ही उप-राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें जब भी जरूरत होती है, मैं जेटली के पास बिना संकोच के कानूनी सलाह लेने भी पहुंच जाया करता था।
कठिन समय में जेटली द्वारा अर्थव्यवस्था को संभालने के बारे में चर्चा करते हुए, उप-राष्ट्रपति ने कहा कि जीएसटी पर राज्यों के साथ मुश्किल वार्ता के दौरान आम सहमति बनाने के लिए उनके प्रेरक कौशल और सहयोग की भावना अतुल्यनीय था।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश, कानून और न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, विदेश एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन, संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, प्रसार भारती बोर्ड के अध्यक्ष ए. सूर्यप्रकाश एवं कई प्रतिष्ठित संपादक, वरिष्ठ पत्रकार सहित कई गणमान्य उपस्थित व्यक्तियों में से थे।