रविवार, 29 दिसंबर 2019

नृत्य और संगीत आदिवासियों के जीवन का अभिन्न अंग : राज्यपाल अनुसुईया उइके

संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़


      राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साईंस कॉलेज मैदान में चल रहे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल हुए। इस अवसर पर राज्यपाल ने देश-विदेश से आए लोक कलाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आदिवासियों की संस्कृति बहुत समृद्ध रही है। हर प्रदेश की संस्कृति वहां की भौगोलिक स्थिति के अनुसार अलग-अलग है। यहां कई आदिवासी नृत्य देखने को मिले हैं, जो पहले देखने को नहीं मिले थे। 



राज्यपाल ने कहा कि भारत के अधिकांश प्रदेशों में आदिवासी निवास करते हैं। आदिवासियों की लोक संस्कृति बहुत समृद्ध रही है। भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप विभिन्न प्रदेशों में आदिवासियों के अलग-अलग गीत एवं नृत्य हैं। आदिवासियों की अधिकांश लोक नृत्य प्रकृति पूजा, फसलों और उनके तीज-त्यौहारों पर आधारित होते हैं। 


उन्होंने कहा कि नृत्य-संगीत भारतीय जनजातियों की उत्कृष्ट कला है। यह प्रकृति और संस्कृति के बीच एक सेतु का कार्य करता है। अपने पसंद का नृत्य एवं गीत सुनकर थका हुआ व्यक्ति भी आनंदित होकर पुनः तरोताजा अनुभव करने लगता है। इसलिए जीवन में नृत्य एवं गीत का महत्वपूर्ण स्थान है। अत्यन्त प्राचीन काल से चली आ रही वैज्ञानिक जीवन पद्धति आज भी मूल रूप से आदिवासियों में विद्यमान हैं। 


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव देश में अपनी तरह का पहला आयोजन है। इसमें देश के 25 राज्यों के कलाकारों के साथ ही 6 देशों के कलाकार भी भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के लिए 1300 कलाकारों को निमंत्रण दिया गया था, लेकिन मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 1800 कलाकार इस महोत्सव में शामिल होकर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। 


इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडि़या, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, राज्यसभा सांसद छाया वर्मा, लोकसभा सांसद सुनील सोनी, विधायक सर्वश्री बृजमोहन अग्रवाल, धनेन्द्र साहू, कुलदीप जुनेजा, लखेश्वर बघेल, विकास उपाध्याय, अनिता योगेन्द्र शर्मा, अनूप नाग, मुख्य सचिव  आर.पी. मंडल सहित बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित थे।