संवाददाता : भोपाल मध्यप्रदेश
मुख्यमंत्री कमल नाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार का विश्वास है कि, ग्राम स्तर पर व्यवहारिक योजना निर्माण से प्रदेश के समग्र विकास को आवश्यक गति दी जा सकती है। इसलिये ग्राम स्तर पर विद्यमान परिस्थितियों और जरूरतों के मुताबिक समग्र और समावेशी विकास के लिए योजनाएँ बनाने पर जोर दिया गया। सरकार ने विकास के विजन को प्राथमिकता दी, जिससे राज्य की समृद्धि का लक्ष्य तय हो सका।
आर्थिक विश्लेषण और सांख्यिकी, शासकीय योजनाओं को व्यवहारिक और वैज्ञानिक आधार प्रदान करते हैं। सामाजिक विकास हो अथवा अधोसंरचना निर्माण, हर गतिविधि में वास्तविकता से रू-ब-रू कराना तथा कार्यों के लिए लक्ष्य और समय-सीमा निर्धारित करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। इस क्षेत्र में राज्य योजना आयोग और आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग दिशा सूचक का काम कर रहे हैं।
ग्राम विकास योजना
प्रदेश में पहली बार वर्ष 2019 में आजीविका, अधोसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण, नागरिक अधिकार संरक्षण आदि क्षेत्रों को ध्यान में रखकर ग्राम विकास की योजना तैयार की गई। इस प्रक्रिया से विभिन्न जिलों की विशिष्ट परिस्थितियों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति, जनजाति तथा सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों को नियोजन प्रक्रिया से जोड़ने में सफलता मिली। यह प्रक्रिया समाज के समावेशी एवं त्वरित विकास के लिए मील का पत्थर साबित हुई। प्रदेश स्तर पर विकेन्द्रीकृत नियोजन के जरिये कार्य भी प्रस्तावित किए गए।
आकांक्षी विकासखण्डों में डैश बोर्ड निर्माण
योजना निर्माण की राज्य स्तरीय राज्य योजना आयोग द्वारा सतत विकास की कार्य-योजना 2030 तैयार कर ली गई है। भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा चयनित राज्य के आठ आकांक्षी जिलों में अनुश्रवण और मूल्यांकन का कार्य इस आयोग द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षण और क्षमतावर्धन के कार्यक्रम किए गए हैं। प्रदेश के 50 आकांक्षी विकासखण्डों में डैश बोर्ड निर्माण के बाद अनुश्रवण और मूल्यांकन कार्य का विस्तार किया गया। "आकांक्षी विकासखण्डों का उत्थान" निर्देशिका तैयार की गयी। इसमें आकांक्षी विकासखण्डों के उत्थान, कार्यक्रम के संस्थागत प्रबंधन, संकेतकों और कार्य सम्पादन में सुधार के उपाय, स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और सहयोगी सेवाएँ, आधारभूत सुविधाएँ, कौशल विकास तथा वित्तीय समावेशन पर विशेष जानकारी उपलब्ध करायी गयी।
धान गहनता (मेडागास्कर) प्रणाली
राज्य योजना आयोग द्वारा प्रदेश में इव्यूलेशन ऑफ प्रमोशन फॉर आर्गेनिक फार्मिंग, इव्यूलेशन ऑफ प्रोजक्ट टू पापुलराईज स्वीट कॉर्न, डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ पम्पसेट्स (डीजल/इलेक्ट्रिकल) ऑन सब्सिडी टू फार्मर्स, इव्यूलेशन ऑफ प्रोजेक्ट फार इन्क्रीजिंग वाटरयूज इफीशियंसी थ्रू डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ स्प्रिंकलर पाइप लाइन एण्ड ड्रिप्स आदि शोध प्रतिवेदन तैयार किये गये। समग्र नर्सरी संवर्धन के लिए धान गहनता(मेडागास्कर) प्रणाली लागू की गई। कोदो/कुटकी, तिल और रामतिल जैसी पारंपरिक फसलों की संरक्षण परियोजना का मूल्यांकन भी किया गया।
आर्थिक सर्वेक्षण में नीतियों, उपलब्धियों, घोषणाओं का विश्नेषण
आर्थिक सर्वेक्षण ऐसा दस्तावेज है जिसमें प्रदेश के विकास के विभिन्न सूचकांकों का मूल्यांकन, नीतियों एवं कार्यक्रमों के परिणामों का आकलन किया जाता है ताकि प्रदेश की प्राथमिकताओं के लिए नीतियों एवं कार्यक्रमों में आवश्यक सुधार किया जा सके। राज्य सरकार ने प्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 तैयार किया। सर्वेक्षण में आर्थिक स्थिति की समीक्षा, लोकहित, बचत एवं विनियोजन, खाद्यान्न उपार्जन एवं वितरण, कृषि, उद्योग, अधोसंरचना, सामाजिक क्षेत्र तथा सुशासन एवं कानून-व्यवस्था के अन्तर्गत प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था, नीतियों, उपलब्धियों, घोषणाओं और कार्य-कलापों का विश्लेषणात्मक विवेचन प्रस्तुत किया गया।
प्रति व्यक्ति आय में 9.71 प्रतिशत की वृद्धि
राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के अनुमान वर्ष 2018-19 तैयार किये गये। इसमें गत वर्ष की तुलना में वृद्धि दर (स्थिर भावों पर) 7.04 प्रतिशत रही है। इसी क्रम में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2018-19 में 90 हजार 998 रूपये अनुमानित है, जो वर्ष 2017-18 की प्रति व्यक्ति आय 82 हजार 941 रूपये की तुलना में 9.71 प्रतिशत अधिक है।
जन्म-मृत्यु पंजीयन अब ऑनलाइन
राज्य में जन्म-मृत्यु पंजीयन के लिये आयुक्त आर्थिक एवं सांख्यिकी को मुख्य-पंजीयक का दायित्व सौंपा गया। इसे ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों और नगरीय क्षेत्र में नगर पालिका, नगर पंचायत, नगर निगम केच-मेंट बोर्ड तथा स्वास्थ्य संस्थाओं के माध्यम से जन्म-मृत्यु पंजीयन कराया जा रहा है। जन्म-मृत्यु पंजीयन अब ऑन लाइन किया जा रहा है। राज्य में वर्ष 2019 में जन्म पंजीयन 71.79 प्रतिशत और मृत्यु पंजीयन 74.71 प्रतिशत रहा।
विकास प्रक्रिया को दिशा और गति देने के प्रयास
राष्ट्रीय न्यादर्श सर्वेक्षण के अन्तर्गत क्षेत्रीय कार्यों के सर्वेक्षण, सारणीयन, अध्ययन और प्रतिवेदन तैयार करने तथा आर्थिक गणना जैसी गतिविधियाँ संचालित की गई। सर्वेक्षण के 77वें दौर में 1 जनवरी, 2019 से 31 दिसम्बर, 2019 तक परिवार की सूची, ऋण और निवेश, गृह भूमि और पशुपालन धारिता तथा कृषक घर की स्थिति के मूल्यांकन से संबंधित 537 सेंपल कार्य पूर्णता की ओर हैं। सांख्यिकी और आर्थिक विश्लेषण, अध्ययन, संवाद एवं सर्वे और उसकी व्याख्या, प्रतिवेदन तैयार करने तथा योजना निर्माण के माध्यम से प्रदेश में विकास प्रक्रिया को दिशा और गति देने के प्रयास वर्ष 2019 में ही शुरू किये गये हैं।