शनिवार, 14 मार्च 2020

सैनिकों के कल्याण के लिए जितना कार्य करेंगे उतना ही देश की सूरक्षा मजबूत होगी : उइके

संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़


      राज्यपाल अनुसुईया उइके से आज राजभवन में शहीद सैनिकों के परिजन और प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस अवसर पर राज्यपाल ने 27 शहीदों की पत्नियों ‘‘वीर नारी’’ उनकी वीर माता और उनके उत्तराधिकारियों को सादगीपूर्ण कार्यक्रम में सम्मानित किया और डेढ़ लाख रूपये की अनुदान राशि भी दी। प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सैनिकों के कल्याण के लिए हम जितना कार्य करेंगे, उतना ही देश की सूरक्षा मजबूत होगी।


हम सबका नैतिक दायित्व भी है कि सैनिकों के साथ हर परिस्थिति में खड़े रहें। जब हम उनके सुख-दुख में भागीदार होते हैं तो उन्हें भी हार्दिक प्रसन्नता होती है। इस अवसर पर सैनिको के परिजनों ने अपनी समस्याएं बताई। उन्होंने शहीद स्मारक बनाने की भी मांग की। राज्यपाल ने एक परिजन की सुपुत्री के विवाह के लिए 1 लाख रूपये देने की घोषणा की। साथ ही स्मारक बनाने के लिए शासन स्तर पर चर्चा करने की बात कहीं और उनके अन्य समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया।



राज्यपाल ने कहा कि हमारे देश के सैनिक दिन-रात देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं और वे अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते। पूरा देश जब त्यौहार-पर्व मनाता है, तब हमारे सैनिक अपने परिवार से दूर देश की सीमाओं में तैनात रहते हैं। देश आजाद होने के पश्चात कई परिस्थितियां निर्मित हुई, पर हमेशा हमारी सेना ने देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया और देश को सुरक्षित रखा। हम आज जो शांति से रह पा रहे हैं और त्यौहार और पर्व का आनंद ले रहे हैं, यह सैनिकों के कारण ही संभव हो पाया है।


सुश्री उइके ने कहा कि हम सबका कर्त्तव्य है कि सैनिकों के परिवारों की चिंता करें और उनका ध्यान रखें। यदि सैनिक सेवानिवृत्त होने के पश्चात हमारे बीच आते हैं तो उनके और उनकी परिवार की हरसंभव मदद करें। साथ ही शहीदों के परिवारों का सम्मान करें और उनकी तकलीफों को दूर करने की कोशिश करें। इससे सैनिकों का मनोबल बढ़ेगा और सेना में इन परिवारों के साथ-साथ समाज में अन्य लोगों को राष्ट्र की सेवा करने की प्रेरणा मिलेगी।


राज्यपाल के सचिव सोनमणि बोरा ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि राजा-महाराजा के समय में राज्य के रक्षा के लिए हर परिवार से एक व्यक्ति सेना में जाता था। वर्तमान समय में यदि कोई माता-पिता अपने बच्चे को सेना में भेजने के लिए तैयार होते  हैं तो यह उनके लिए बहुत गर्व की बात है। यदि कोई सैनिक वीरगति को प्राप्त होता है तो यह बलिदान सर्वोच्च बलिदान माना जाता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के निर्देशानुसार सैनिकों के कल्याण के लिए हरसंभव महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। इस अवसर पर संचालनालय सैनिक कल्याण के एयर कमोडोर ए.एन. कुलकर्णी और राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड के अन्य अधिकारी, भूतपूर्व सैनिक तथा सैनिकों के परिजन उपस्थित थे।