सोमवार, 13 अप्रैल 2020

डिंडौरी के नाराज किसानों ने समय रहते धान की खरीदी नही होने पर उग्र आंदोलन और आत्मदाह करने की चेतावनी दी...

संदीप सिंह ठाकुर @ मुंगेली छत्तीसगढ़


      मुंगेली जिले के लोरमी ब्लॉक के सैकड़ो किसानों के हजारों क्विंटल धान की खरीदी टोकन कटने के बाद भी धान खरीदी केंद्रों में नही की जा रही है। वहीं इसको लेकर डिंडौरी के नाराज किसानों ने समय रहते धान की खरीदी नही होने पर उग्र आंदोलन करते हुए आत्मदाह करने की चेतावनी दी है। पूरा मामला लोरमी ब्लॉक के डिंडौरी, चंदली सहित कई धान खरीदी केंद्रो का सामने आया है। 


जहां समिति प्रभारियों के द्वारा किसानों के धान को समर्थन मूल्य में खरीदी करने 17 फरवरी तक टोकन जारी किया गया था। लेकिन बारदाने की कमी के चलते किसानों के धान की तौलाई नही हो पाया। जिसको लेकर किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए 18 फरवरी को दोबारा संशोधित टोकन जारी किया गया. वही 18 फरवरी को जिस भी किसान के टोकन काटे गए हैं। उनके धान की तौलाई 19 फरवरी को की जानी थी लेकिन 19 तारीख को तौलाई नहीं करते हुए 20 तारीख को जिन किसान के टोकन काटे गए हैं। केवल उन किसानों के धान की तौलाई की जा रही है. इस पूरे मामले में खरीदी प्रभारी और ऑपरेटरों की एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। जिसका खामियाजा भोलेभाले किसानो को उठाना पड़ रहा है।



आपको बता दें की डिंडौरी और चंदली समिति अंतर्गत आने वाले 173 किसानों ने धान बेचने के लिए टोकन कटवाया है जिनका 7761 क्विंटल धान समिति में खुले आसमान के नीचे रखा है. इसी तरह कई अन्य धान खरीदी केंद्रों में भी समस्या बनी हुई है।


मामले में किसानों का कहना है की एकतरफ समय पर टोकन काटे जाने के बाद भी उनके खून पसीने की कमाई धान की खरीदी केंद्रों में नही की जा रही है। तो दूसरी तरफ बेमौसम बारिश होने पर यदि खुले आसमान के नीचे रखे हजारों क्विंटल धान खराब होती है तो पूरी जिम्मेदारी किसानों के होने की बात खरीदी प्रभारी के द्वारा कही जा रही है। जिससे किसानों में आक्रोश है। 



इसको लेकर डिंडौरी के किसान राजकुमार ठाकुर और चंदली के किसान फड़ेश्वर पाटले ने कहा कि किसान धान की खरीदी की मांग को लेकर दफ्तरों के चक्कर काटते काटते थक चुके हैं। सरकार किसानों का धान खरीदेगी नहीं तो गरीब किसान अपना परिवार कैसे चलाएगा। 


वहीं इस पूरे मामले में मुंगेली जिला के सहायक पंजीयक उत्तर कुमार कौशिक ने शासन के निर्देश के बाद ही 18 फरवरी को काटे गए टोकन वाले किसानों के धान की खरीदी करने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिए। बहरहाल देखना होगा कब तक किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार के द्वारा शेष धान की खरीदी की जाएगी।