संवाददाता : नई दिल्ली
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला लिया गया। साथ ही बैठक में 34 साल बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। बताया गया है कि इसको लेकर आज शाम 4 बजे होने वाली कैबिनेट ब्रीफिंग में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया था कि मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया जाए। बैठक में कैबिनेट ने इस फैसले पर मंजूरी दे दी। साथ ही नई शिक्षा नीति को भी स्वीकृति दे दी गई। इस फैसले के साथ पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही नियामक संस्था होगी, ताकि अव्यवस्थाओं को समाप्त किया जा सके। शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक संस्था श्नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनएचईआरए) या हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडियाश् तय किया है। वहीं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण 1986 में किया गया था और 1992 में इसमें कुछ तब्दीलियां की गईं। तीन दशक के बाद भी इसमें कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला।
शिक्षा मंत्रालय का प्राथमिक स्तर पर मुहैया कराई जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक नए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का ढांचा तैयार करने पर जोर है। इस ढांचे में अलग-अलग भाषाओं के ज्ञान, 21वीं सदी के हिसाब से कौशल, कला और वातावरण से जुड़े मुद्दों को शामिल किए जाने पर जोर दिया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल बजट में नई शिक्षा नीति की घोषणा की थी। नई शिक्षा नीति के तहत देश में शिक्षा के मायनों को बदला जाएगा।
इससे न केवल युवाओं को शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे बल्कि रोजगार हासिल करने में भी आसानी होगी।नई शिक्षा नीति की घोषणा करते समय वित्त मंत्री ने कहा था कि शिक्षा के क्षेत्र में एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोविंग और विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
सरकार युवा इंजीनियरों को इंटर्नशिप का अवसर देने के मकसद से शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रही है। वहीं राष्ट्रीय पुलिस यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव भी लाया जा रहा है। इसके अलावा टॉप 100 विश्वविद्यालयों में पूरी तरह से ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रमों को शुरू करने की योजना तैयार हो रही है।