शनिवार, 18 जुलाई 2020

गौठान और गोधन न्याय योजना ग्रामीणों की अपनी योजना,इन योजनाओं की पूरे देश में चर्चा : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़


       मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गोधन न्याय योजना के संचालन और निगरानी की पूरी जिम्मेदारी जिला कलेक्टरों की है। इस योजना की पूरे देश में चर्चा है, पूरे देश के अर्थशास्त्रियों और सामाजिक संगठनों की निगाह इस योजना पर है। इस योजना से गोबर एक कीमती वस्तु बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में पहले से संचालित समर्थन मूल्य में धान खरीदी, लघु वनोपजों की खरीदी और तेंदूपत्ता संग्रहण का काम जिस कुशलता और व्यवस्थित ढंग से किया जा रहा है। आने वाले समय में ऐसी ही व्यवस्था गोबर खरीदी और इससे तैयार वर्मी कम्पोस्ट की मार्केटिंग की करनी होगी। बघेल शुक्रवार यहां अपने निवास कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे।


मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठान छत्तीसगढ़ की परंपरा का हिस्सा है, जिन्हें आधुनिक स्वरूप देकर व्यावसायिकता से जोड़ा जा रहा है। जिससे गौठानों के माध्यम से ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सके और उन्हें आय का जरिया मिल सके। उन्होंने कहा कि गौठान और गोधन न्याय योजना मूलरूप से ग्रामीणों की अपनी योजना है। इस योजना को प्रारंभ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा सभी संसाधन और व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जा रही है। आने वाले समय में ग्रामीण स्वयं इन योजनाओं का संचालन करेंगे।



मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम चरण में ग्रामीण क्षेत्रों के 2408 और शहरी क्षेत्रों के 377 गौठानों में गोबर की खरीदी प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सभी गांवों में गोधन न्याय योजना प्रारंभ करने की मांग आएगी। इसलिए चरणबद्व रूप से सभी 11 हजार 630 ग्राम पंचायतों और फिर 20 हजार गांवों में गौठान तैयार करने होंगे। इसके लिए भी कलेक्टर भूमि के चिन्हांकन का काम प्रारंभ कर दें। उन्होंने स्व-सहायता समूहों के प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्व-सहायता समूहों को कृषि विभाग, वेटनरी, कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाए।
     
बघेल ने  कहा कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के गौठानों में बड़ी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन होगा, हालांकि इसके सबसे बड़े ग्राहक गांव के किसान ही होंगे। इसके साथ ही वन, कृषि, उद्यानिकी, नगरीय विकास विभाग सहित अन्य विभाग जिन्हें वर्मी कम्पोस्ट की आवश्यकता होती है, वे प्राथमिकता के आधार पर गौठान में तैयार वर्मी कम्पोस्ट सहकारिता के माध्यम से खरीदें।


कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि गौठानों में गोबर खरीदी के लिए बसोड़ों द्वारा तैयार किए गए टोकनी का उपयोग किया जाए, 5 किलो, 10 किलो और 20 किलो माप की टोकरियां रखी जाए, इससे बसोड़ों को भी रोजगार मिलेगा। तौल के लिए वेईंग मशीन की व्यवस्था भी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि गौठान समितियों में आवश्यक व्यवस्था के लिए गौ-सेवा आयोग, डीएमएफ, कैम्पा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा राशि दी जा रही है।


कॉन्फ्रेंस में मुख्य सचिव आर पी मंडल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी,  कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी, खाद्य विभाग के सचिव डॉ कमलप्रीत सिंह, सहकारिता सचिव आर प्रसन्ना, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, नगरीय विकास विभाग की सचिव अलरमेल मंगई डी., राजस्व विभाग की सचिव रीता शांडिल्य, मुख्यमंत्री के ग्रामीण विकास सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी, मुख्यमंत्री सचिवालय की उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया उपस्थित थीं।