संवाददाता : देहरादून उत्तराखंड
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केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने सोमवार को जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से आयी आपदा से रैणी एवं तपोवन क्षेत्र में हुए नुकसान का स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। लौटते समय जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट देहरादून में उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में हुए नुकसान के कारणों की इसरो की इमेजेज के आधार पर एनटीपीसी, टीएचडीसी एवं एसजेवीएनएल के पदाधिकारी अध्ययन करेंगे, इनकी एक टीम पैदल भी क्षेत्र को भ्रमण के लिये जायेगी।
उन्होंने कहा कि ऐसी आपदाओं की पूर्व जानकारी के लिये जिन हिल स्टेट में एनटीपीसी आदि के पावर प्रोजेक्ट हैं वहां पर प्रोजेक्ट के साथ ही स्थानीय लोगों के व्यापक हित में अर्लि वार्निग सिस्टम प्रणाली उपलब्ध करायी जायेगी। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में भारी हिमपात के कारण उत्पन्न हिमस्खलन आदि की घटनाओं की पूर्व में जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
मुख्यमंत्री ने सोमवार देर सांय तपोवन रितिक कंपनी के कार्यालय मे आईजी, डीआईजी, डीएम, एसपी, आर्मी, आईटीबीपी, बीआरओ के वरिष्ठ अधिकारियों एवं एनटीपीसी के प्रोजेक्ट इनचार्ज अधिकारियों की बैठक लेते हुए राहत एवं बचाव कार्यो की समीक्षा की।मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को बेहतर तालमेल के साथ रेस्कयू कार्य मे तेजी लाने के निर्देश दिए। सुनियोजित तरीके से आवश्यकता अनुसार संशाधनों का प्रयोग किया जाए।
मुख्यमंत्री ने ने हर प्रभावित परिवार तक रसद पहुंचाने के भी निर्देश दिए। कहा कि राशन किट वितरण मे कोई भी अनियमितता न हो। इसका विशेष ध्यान रखा जाए। डीएम को समय समय पर मीडिया को ब्रीफिंग करने को कहा ताकि भ्रामक और गलत खबरें न फैले।इस दौरान एनटीपीसी के प्रोजेक्ट इन्चार्ज ने टनल के बारे मे पूरी जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में आई आपदा को लेकर राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ मद से 20 करोड़ रूपए की धनराशि जारी की है। सचिवालय में बैठक लेकर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों का समय-समय पर सर्वे कराया जाए। एसडीआरएफ की टीमें भी संवेदनशील स्थानों के निकट तैनात की जाए। बैठक में बताया गया कि प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत के लिए एक हजार राशन के पैकेट एवं अन्य सामग्री भेजी गई है। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि सरकार की मंशा है कि लापता लोगों के परिजनों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके।