संवाददाता : रांची झारखंड
मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने मानव जीवन को अति महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जीवन की रक्षा सुनिश्चित करना अति महत्वपूर्ण है। इसके लिए यातायात नियमों का पालन कराना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जरूरत पड़े तो कड़ाई से भी परहेज नहीं करना चाहिए। सुचारू व्यवस्था के लिए कानून का डर भी लाजिमी होता है। मुख्य सचिव बुधवार को झारखंड मंत्रालय में परिवहन विभाग द्वारा आयोजित नेशनल सेमिनार ऑन रोड सेफ्टी के मंच से बोल रहे थे।
यातायात सुरक्षा से जुड़े सभी विभाग समन्वय से करें काम
मुख्य सचिव ने यातायात सुरक्षा से जुड़े सभी विभागों को समन्वय के साथ काम करने पर बल देते हुए एक एसओपी (स्पेशल ऑपरेटिंग प्रोसिड्योर) बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने यातायात सुरक्षा से जुड़े कार्यों को समयबद्ध तरीके से क्रियान्वित कराने के लिए सभी संबंधित विभागों के लोगों का एक छोटा समूह बनाने को कहा। यही समूह कार्यों के क्रियान्वयन की रणनीति बनायेगा और वह पूरी तरह लागू हो, इसे सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि सड़कों के ब्लैक स्पॉट चिह्नित करने के बाद भी हादसे बढ़े हैं। इसे कैसे रोके, इसपर गंभीरता से होमवर्क करने की जरूरत है।
रांची में हेलमेट पहनने की अच्छी आदत नजर आ रही
मुख्य सचिव ने कहा कि जब वह सुबह घर से ऑफिस आ रहे थे, तो गौर किया कि हर दोपहिया चालक हेलमेट पहन रखा था। हेलमेट पहनने को आदत में बदलने के लिए उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अभी भी राज्य में अनिवार्य रूप से हेलमेट लगाना, सीट बेल्ट बांधना पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। वहीं तेज रफ्तार, खतरनाक ढंग से वाहन चलाना व अन्य यातायात नियमों का उल्लंघन भी जारी है। इसे पूरी तरह खत्म किये बिना सड़क हादसों के कुपरिणामों को नहीं रोका जा सकता।
सड़क हादसों के बाद मददगार के महत्व पर करें फोकस
मुख्य सचिव ने सड़क हादसों के बाद घायलों को ससमय अस्पताल पहुचाने में आम लोगों को प्रेरित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने भी ऐसे अच्छे मददगार (गुड समरिटन) की भावना की कद्र करने की पहल की है। मददगार से किसी भी तरह की अनावश्यक पूछताछ पर रोक है। पुरस्कृत करने की व्यवस्था है। इसे ज्यादा से ज्यादा प्रसारित प्रचारित करने पर बल देते हुए उन्होंने इससे जुड़े मानवीय पहलू को संवेदना के चश्मे से देखने की जरूरत बतायी। वहीं हादसों के बाद जीवन रक्षा के लिए समर्पित एंबुलेंस और 24 घंटे कार्यरत ट्रॉमा सेंटरों पर फोकस करने का निर्देश दिया।
उसके पहले सेमिनार में पथ निर्माण सचिव सुनील कुमार ने हादसों का सबब बन रही सड़कों के बेहतर रख-रखाव पर अपनी योजना साझा की। सड़कों के जंक्शन को दुरुस्त करने, तीखे मोड़ को सुगम बनाने, ब्लैक स्पॉट को चिह्नित कर सुगम बनाने की विभाग की कवायद की चर्चा की। वहीं स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव श्री के के सोन ने सड़क हादसे के शिकार लोगों को ससमय चिकित्सा सुविधा दिलाने में गोल्डन ऑवर के महत्व को बताया। इसके लिए किये जा रहे उपायों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि ट्रॉमा सेंटरों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाने के लिए हर 50 किलोमीटर की दूरी पर एक ट्रॉमा सेंटर बनाने की कवायद चल रही है। मार्च तक नेशनल हाइवे पर 8 ट्रॉमा सेंटर चालू हो जायेंगे। दूसरे चरण में 18 अतिरिक्त ट्रॉमा सेंटर बनेंगे। इस तरह चार माह में हर जिले में एक ट्रॉमा सेंटर कार्यरत होगा। वहीं अगले वित्तीय वर्ष में 22 नये ट्रॉमा सेंटर निर्माण की योजना है। सेमिनार में परिवहन सचिव के रवि कुमार, परिवहन आयुक्त किरण कुमारी पासी, ट्रैफिक एसपी भी मौजूद थे।