मंगलवार, 2 मार्च 2021

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में वर्ष 2021-2022 का बजट पेश किया...

 संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में छत्तीसगढ़ का बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह बजट राज्य को नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा। उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में अपनी सरकार के तीसरे बजट को प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस बजट में ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘ के मूलमंत्र की भावनाओं को समाहित किया गया है।

मुख्यमंत्री बघेल ने बजट पेश करते हुए कहा कि अध्यक्ष महोदय देश-दुनिया समेत छत्तीसगढ़ की सरकार के लिये भी पिछला वर्ष बहुत ही चुनौतीपूर्ण रहा है। कोविड-19 महामारी के संक्रमण से बचाव हेतु लागू लॉकडाउन के कारण राज्य में आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित रहीं, जिसके कारण राजस्व प्राप्तियों में कमी आयी। महामारी काल में आजीविका के साधनों की कमी के कारण आम जनता को राहत पहुंचाने हेतु कल्याणकारी योजनाओं में अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ी। हमारी सरकार ने इस दो-तरफा दबाव का दृढ़ता से सामना करते हुए जनता के हित में लगातार कार्य किया और मुझे यह कहते हुये संतोष है कि शासन-प्रशासन की सजगता एवं जनता के प्रयासों से राज्य पर इस आपदा का दुष्प्रभाव कम हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह कहते हुए गर्व है कि संकट के दौर में भी हमारी सरकार के संवेदनशील और सुसंगत प्रयासों के कारण महात्मा गांधी नरेगा योजना में रोजगार देने तथा मजदूरी भुगतान करने का कीर्तिमान बना। वनोपज खरीदी का राष्ट्रीय कीर्तिमान बना। शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पोषण के लिए किए गए नवाचारों तथा प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी एवं पुनर्वास के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली।

हमने संक्रमण की रोकथाम तथा उपचार के लिये त्वरित निर्णय लिये। स्वास्थ्य विभाग के लिये 670 करोड़ के अतिरिक्त बजट की तत्काल व्यवस्था की गई। कोरोना संक्रमण की जांच हेतु 6 आरटी-पीसीआर लैब और 18 ट्रूनॉट लैब की तत्काल स्थापना की गई। मार्च 2020 में शासकीय अस्पतालों में आईसीयू बिस्तर क्षमता केवल 53 थी, जिसकी संख्या बढ़कर 406 बिस्तर हो चुकी है। कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार हेतु 30 कोविड समर्पित अस्पताल तथा 178 कोविड केयर सेन्टर स्थापित किये जाने से मरीजों के उपचार में तेजी आयी व प्रदेश की जनता का मनोबल बढ़ा।

सुराजी ग्राम योजना के तहत स्थानीय संसाधनांे के संरक्षण व पुनर्जीवन का हमारा अभियान कोरोना संकटकाल के दौरान बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रारंभ की गई इस योजना के तहत कृषि, पंचायत एवं वन विभाग में उपलब्ध राशि के अभिसरण से स्वीकृत लाखों विकास कार्याें के कारण संकट के दौर में भी छत्तीसगढ़ में ग्रामीण रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई।    हमने गोबर को गोधन बनाने की दिशा में सुविचारित कदम उठाते हुये गोधन न्याय योजना लागू की, जिसमें पशु पालकों से गोबर क्रय करके गोठानों में वर्मी कंपोस्ट एवं अन्य उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। योजना के क्रियान्वयन से जैविक खेती एवं गौ-पालन को बढ़ावा, पशु पालकों को आर्थिक लाभ तथा रोजगार के नये अवसरों का सृजन हो रहा है। हमारी इस पहल को भारत सरकार एवं अन्य राज्यों द्वारा भी सराहा गया है।

हमारे प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में विशिष्ट सृजनात्मक कलाओं की बहुलता है, जिसे रोजगार के अवसर में ढालने के लिये शहरी क्षेत्रों में पौनी-पसारी योजना शुरू की गई थी, इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए अब ग्रामीण क्षेत्रों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की जायेगी, जहां परम्परागत व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन एवं विपणन की सुविधा प्रदान की जाएगी।    छत्तीसगढ़ के स्थानीय कृषि उत्पादों जैसे ढेकी का कूटा चावल, घानी से निकला खाद्य तेल, कोदो, कुटकी, मक्का से लेकर सभी तरह की दलहन फसलें, विविध वनोपज जैसे इमली, महुआ, हर्रा, बहेरा, आंवला, शहद एवं फूलझाड़ू इत्यादि व वनोपज से निर्मित उत्पाद तथा टेराकोटा, बेलमेटल, बांसशिल्प, चर्मशिल्प, लौहशिल्प, कोसा सिल्क तथा छत्तीसगढ़ी व्यंजनों जैसी सभी सामग्रियों को एक ही छत के नीचे विपणन की सुविधा प्रदान की जायेगी। इसके लिये राज्य एवं राज्य के बाहर सी-मार्ट स्टोर की स्थापना की जायेगी, जो विशिष्ट छत्तीसगढ़ी ब्राण्ड के रूप में मशहूर होंगे। योजना के माध्यम से स्थानीय उत्पादकों को अधिक लाभांश दिलाने की व्यवस्था भी की जायेगी।

अध्यक्ष महोदय, हमारी मंशा प्रदेश को हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने की है। अंग्रेजी के इस हाईट शब्द के हर अक्षर में विकास की अवधारणा के भिन्न-भिन्न आयाम समाहित हैं। हाईट का पहला एच, होलिस्टिक डेवलपमेंट यानि समग्र विकास का सूचक है। इस समग्र विकास का लाभ हमारे किसानों को, श्रमिकों को, वनवासी भाईयों को, माताओं और बच्चों को समान रूप से प्राप्त होता है। विकास की इस अवधारणा में बड़े नगरों का आधुनिकीकरण के साथ-साथ सूदूर दुर्गम क्षेत्र के गांवों में भी बेहतर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती हैं। विकास की इस प्रक्रिया में सुशासन की स्थापना के लिये आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग कोे प्रोत्साहित करते हैं, साथ ही अपनी संस्कृति और परम्पराओं का संरक्षण कर उन्हें चिरंजीवी रखने के लिये भी पूर्ण प्रयास करते हैं।

राजीव गांधी किसान न्याय योजना में धान एवं अन्य फसलों को शामिल करके बोये गये रकबे के आधार पर किसानों को प्रोत्साहन राशि देकर हमनें कास्त लागत को कम करने का प्रयास किया है। इससे कृषि क्षेत्र में निवेश एवं फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है। इस वर्ष 20 लाख 53 हजार किसानों से 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में सर्वाधिक है। इस वर्ष वन अधिकार मान्यताधारी 32 हजार 23 कृषकों से भी 10 लाख 70 हजार क्विंटल धान की खरीदी की गई है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 5 हजार 703 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। बस्तर संभाग के 7 आदिवासी बहुल जिले एवं मुंगेली जिले से चयनित कुल 14 विकासखण्डों में पोषण सुरक्षा तथा किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु चिराग योजना के लिए 2021-22 के बजट में 150 करोड़ का प्रावधान किया गया है। कृषक जीवन ज्योति योजना अंतर्गत कृषि पम्पों को निःशुल्क विद्युत प्रदाय हेतु 2 हजार 500 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। योजना में लगभग साढ़े 5 लाख किसानों को लाभान्वित किया जायेगा। कृषि पम्पों के ऊर्जीकरण के लिये डेढ़ सौ करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है। सौर सुजला योजना अंतर्गत हमारी सरकार के गठन के पश्चात अब तक 31 हजार 712 सोलर पंपों की स्थापना की जा चुकी है। वर्ष 2021-22 में इस योजना के लिये 530 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। किसानों को शून्य ब्याज दर पर 5 हजार 900 करोड़ का अल्पकालीन कृषि ऋण वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है। ब्याज अनुदान के भुगतान हेतु  वर्ष 2021-22 में 275 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

फसल बीमा योजना में 606 करोड़, कृषक समग्र विकास योजना में 81 करोड़, कृषि यंत्र सेवा केन्द्र की स्थापना एवं कृषि यंत्रों पर अनुदान एवं निःशुल्क वितरण हेतु 95 करोड़ का प्रावधान किया गया है। । प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं शाकम्बरी योजना में 123 करोड़ का प्रावधान किया गया है। नगद आमदनी के कारण फल-फूल एवं सब्जियों की खेती के प्रति कृषकों की रूचि बढ़ रही है। इस वर्ष 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बहुवर्षीय फलोद्यान, 4 हजार 500 हेक्टेयर में सब्जी उत्पादन तथा 13 सौ हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती हेतु अनुदान देने का लक्ष्य रखा गया है। कुल उद्यानिकी फसलों के लिए 2021-22 में 495 करोड़ के बजट का प्रावधान रखा गया है।

गोठानों को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए गोधन न्याय योजना प्रारंभ की गई है। गोठान समितियों द्वारा पशुपालकों से 2 रू. किलो की दर से गोबर क्रय हेतु 80 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। स्व-सहायता समूहों द्वारा गोबर से वर्मी कंपोस्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। अब तक 71 हजार 300 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा चुका है। वर्तमान में 7 हजार 841 स्व-सहायता समूह गोठान की गतिविधि संचालित कर रहे हैं। इन समूहों के लगभग 60 हजार सदस्यों को वर्मी खाद उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, गोबर दिया निर्माण इत्यादि विभिन्न गतिविधियों से 942 लाख की आय प्राप्त हो चुकी है। गोठान योजना के लिये वर्ष 2021-22 के बजट में 175 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

मत्स्य पालन हेतु उपलब्ध जल क्षेत्रों में से 95 प्रतिशत क्षेत्र को विकसित करके 2 लाख से अधिक मछुआरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। स्वयं की भूमि पर तालाब निर्माण कर मत्स्य पालन की योजना राज्य में काफी लोकप्रिय है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, नील क्रांति योजना एवं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत निजी तालाबों का निर्माण करवाया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में 79 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने हेतु इसे कृषि के समान दर्जा दिये जाने की कार्यवाही की जायेगी। वर्ष 2021-22 के बजट में मत्स्य पालन की गतिविधियों के लिये 171 करोड़ 20 लाख का प्रावधान किया गया है।
 
परम्परागत ग्रामीण व्यवसायिक कौशलों के पुनरूद्धार एवं कर्मकारों को सहयोग प्रदान करने के लिए तेलघानी विकास बोर्ड, चर्म शिल्पकार विकास बोर्ड, लौह शिल्पकार विकास बोर्ड एवं रजककार विकास बोर्ड की स्थापना की जायेगी। कोसा उत्पादन एवं कोसा वस्त्र निर्माण के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान है। वर्तमान में कोसा उत्पादन एवं वस्त्र निर्माण के कार्यों में 50 हजार से अधिक हितग्राहियों को रोजगार से जोड़ा गया है। हाथकरघा वस्त्र बुनाई के माध्यम से 60 हजार परिवारों को रोजगार मिल रहा है। लाख पालन के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए ब्याज रहित ऋण की सुविधा प्राप्त करने के लिये लाख पालन को भी कृषि के समकक्ष दर्जा प्रदान किया गया है।

असंगठित श्रमिक सुरक्षा एवं कल्याण मण्डल अंतर्गत पंजीकृत श्रमिक से संबंधित आंकड़ों के ऑनलाईन संधारण तथा विभिन्न योजनाओं का त्वरित लाभ पहुंचाने की दृष्टि से विभिन्न एप्प निर्माण एवं राज्य स्तरीय हेल्प डेस्क सेन्टर की स्थापना हेतु नवीन मद में प्रावधान रखा गया है।  असंगठित श्रमिकों, ठेका मजदूरों, सफाई कामगारों एवं घरेलू कामकाजी महिलाओं के कल्याण की योजना में 61 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। राज्य बीमा अस्पताल योजना में 56 करोड़ तथा कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालयों हेतु 48 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। राजीव किसान न्याय योजना का दायरा भूमिधारी कृषकों से आगे बढ़ाने के लिये ग्रामीण कृषि भूमिहीन श्रमिकों को सहायता हेतु नवीन न्याय योजना प्रारंभ की जायेगी।

पूर्व में निरस्त किये गये वन अधिकार मान्यता पत्रों की पुनः समीक्षा की जाकर 24 हजार 827 नये वन अधिकार पत्रों सहित अब तक 4 लाख 36 हजार 619 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों का वितरण किया जा चुका है। वन अधिकार पत्र धारी वनवासियों को भी किसानों के समान अधिकार देते हुए इस वर्ष किसान न्याय योजना का लाभ दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा विशेष पहल करते हुए पहली बार 2 हजार 175 सामुदायिक वन संधारण अधिकार ग्राम सभाओं को दिये गये हैं। सामुदायिक वन अधिकार पत्र के रूप में वितरित वन भूमि पर फलदार वृक्षों के रोपण को प्रोत्साहित किया जायेगा। राज्य में 52 प्रकार के लघु वनोपज का मूल्य निर्धारित कर संग्रहण किया जा रहा है। चालू सीजन के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 112 करोड़ की लागत के 4 लाख 74 हजार क्विंटल लघु वनोपज का संग्रहण किया गया है। ट्राईफेड नई दिल्ली द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज क्रय करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ का प्रथम स्थान है। राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में कोदो, कुटकी एवं रागी को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अन्य लघु वनोपज की भांति उपार्जित किया जाएगा। 12 लाख 50 हजार तेंदू पत्ता संग्राहक परिवारों को आकस्मिक मृत्यु अथवा दुर्घटना की स्थिति में सुरक्षा प्रदान करने के लिए ”शहीद महेंद्र कर्मा तेंदू पत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’’ प्रारंभ की गई है। वर्ष 2021-22 के बजट में इस हेतु 13 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। विशेष केन्द्रीय सहायता पोषित स्थानीय विकास कार्यक्रमों हेतु 359 करोड़ तथा आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के विकास हेतु 170 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

पत्रकारों की दुर्घटनाजन्य आकस्मिक मृत्यु के प्रकरणांे में दी जाने वाली सहायता राशि को 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया जायेगा। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत विगत एक वर्ष में 99 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त किये जा चुके हैं। वजन त्यौहार आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में कुपोषण का स्तर 26.33 प्रतिशत था जो घटकर वर्ष 2019 में 23.37 प्रतिशत हो चुका है। लॉकडाउन के दौरान कुपोषित महिलाओं, शिशुवती महिलाओं एवं शाला त्यागी किशोरियों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 24 लाख 38 हजार हितग्राहियों को भी घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट फूड वितरित  किया गया। महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए द्वितीय संतान बालिका के जन्म पर राज्य द्वारा 5 हजार रूपये की एकमुश्त सहायता राशि दी जायेगी। इसके लिये नवीन कौशल्या मातृत्व योजना प्रारंभ की जायेगी। बच्चों की देखरेख सुरक्षा एवं संरक्षण संबंधी कार्याें के लिये एकीकृत बाल संरक्षण योजना हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 47 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। विशेष पोषण आहार योजना में 732 करोड़, आंगनबाड़ियों का सुधार एवं निर्माण योजना में 39 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। निराश्रितों एवं बुजुर्गों को मासिक पेंशन हेतु सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में 343 करोड़, राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना में 190 करोड़ एवं मुख्यमंत्री पेंशन योजना में 170 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना में 70 करोड़ एवं सुखद सहारा पेंशन योजना में 98 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना में 12 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। दिव्यांगजनों हेतु माना स्थित विभिन्न संस्थाओं के जर्जर भवनों के स्थान पर सर्वसुविधा युक्त एकीकृत नवीन भवन के निर्माण हेतु नवीन मद में 2 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के निराकरण हेतु हेल्प लाइन की स्थापना एवं उनके भरण-पोषण हेतु नवीन मद में 75 लाख का प्रावधान रखा गया है। सभी पांच संभागीय मुख्यालयों पर आदर्श पुनर्वास केन्द्र की स्थापना हेतु नवीन मद में एक करोड़ 50 लाख का प्रावधान रखा गया है। मानसिक रोग से उपचारित व्यक्तियों के पुनर्वास एवं प्रशिक्षण के लिए रायपुर एवं दुर्ग में ‘हॉफ वे होम’ की स्थापना हेतु 3 करोड़ 13 लाख का प्रावधान किया गया है। तृतीय लिंग के व्यक्तियों के पुनर्वास हेतु आश्रम सह पुनर्वास केन्द्र स्थापित किया जायेगा। इसके लिये बजट में 76 लाख का प्रावधान रखा गया है। यह देश में अपनी तरह का पहला केन्द्र होगा।

नगरीय क्षेत्रों में सुशासन की स्थापना एवं आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था हेतु राज्य सरकार द्वारा कई अभिनव पहल की गई है। विभिन्न शासकीय सेवाओं की घर पहुंच सेवा के लिये मुख्यमंत्री मितान योजना में 10 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत 14 नगर निगमों में 60 मोबाइल एम्बुलेन्स एवं दाई-दीदी क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है। इसके माध्यम से निःशुल्क परीक्षण, उपचार एवं दवाई वितरण की सुविधा दी जा रही है। वर्ष 2021-22 के बजट में भी 50 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। यह गौरव का विषय है कि छत्तीसगढ़ को देश का स्वच्छतम राज्य होने का पुरस्कार लगातार दो वर्ष से प्राप्त हो रहा है। इस सफलता का श्रेय स्वच्छता दीदियों को समर्पित करते हुए उनके मानदेय को 5 हजार से बढ़ाकर 6 हजार रूपये किया गया है। एस.एल.आर.एम. सेन्टर्स का उन्नयन करते हुए नगरीय निकायों में 377 गोधन न्याय सह गोबर क्रय केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। इससे आजीविका के अन्य साधन भी उपलब्ध हो सकेंगे। शहरी गरीबों को काबिज भूमि का पट्टा देने का निर्णय लिया गया है, इस निर्णय से उनके मकान निर्माण का मार्ग सुगम हुआ है। शहरी निर्धन परिवारों को बेहतर आवास उपलब्ध कराने हेतु ”मोर जमीन-मोर मकान“ तथा ”मोर मकान-मोर चिन्हारी“ योजनाओं में किये गये कार्याें को भारत सरकार द्वारा जनवरी 2021 में पुरस्कृत किया गया है। सबके लिए आवास योजना के तहत 2021-22 में 457 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। अमृत योजना मंे शामिल 9 शहरों में दिसंबर 2018 तक स्वच्छ पेयजल हेतु 23 हजार 876 नल कनेक्शन दिये गये थे। यह संख्या अब बढ़कर डेढ़ लाख हो चुकी है। अमृत मिशन योजना के लिए इस वर्ष 220 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। नगरीय क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास कार्यों के लिए 482 करोड़, तथा जल आवर्धन योजनाओं के लिए 120 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र में सम्मिलित 17 नवीन ग्रामों में जल प्रदाय व्यवस्था हेतु बजट में प्रावधान किया गया है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत लॉकडाउन के दौरान सुरक्षा उपायों का पालन करते हुये मई एवं जून 2020 में प्रतिदिन औसतन  24 लाख श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इस वर्ष 2 हजार 590 करोड़ की मजदूरी का भुगतान किया गया। 12 करोड़ 21 लाख मानव दिवस रोजगार का सृजन करके ग्रामीणों को आजीविका प्रदाय किया गया। इस योजना हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 16 सौ 03 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत 20 लाख से अधिक गरीब परिवार की महिलाओं को सवा लाख से अधिक स्व सहायता समूहों के माध्यम से आजीविका की गतिविधियों से जोड़ा गया है। योजना हेतु वर्ष 2021-22 में 400 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। उद्यमिता एवं रोजगार को बढ़ावा देने के लिये सभी निर्माण विभागों में स्नातक बेरोजगारों को ‘‘ई-श्रेणी’’ में पंजीयन की सुविधा दी गई है। अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में कक्षा बारहवीं उत्तीर्ण आवेदकों को भी ई श्रेणी में पंजीयन हेतु पात्रता दी गई है। रूर्बन मिशन योजना में 16 जिलों के 18 क्लस्टर के 118 ग्राम पंचायतों में शहरी सुविधायें उपलब्ध कराते हुये सामाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु गतिविधियां प्रारंभ की गयी है। भारत सरकार से जारी रूर्बन रैंकिंग के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य प्रथम स्थान पर है। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के अंतर्गत 1 हजार 385 नालों पर 71 हजार 831 कार्य पंचायत विभाग द्वारा स्वीकृत किये गये थे। इनमें से 51 हजार 742 कार्य पूर्ण भी हो चुके हैं। 9 हजार 133 गोठान स्वीकृत किये गए थे, जिनमें से 5 हजार 14 गोठानों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। 4 हजार 908 चारागाह निर्माण स्वीकृत किये गये थे, जिनमें से 2 हजार 904 चारागाह पूर्ण हो चुके हैं। कैम्पा मद से वन क्षेत्र में स्थित 01 हजार 796 नालों का चयन कर 07 लाख हेक्टेयर जल ग्रहण क्षेत्र में विभिन्न कार्य वर्ष 2020-21 में स्वीकृत किये गये हैं। 2021-22 में भी 392 करोड़ की लागत से 441 नालों का चयन कर जल संरक्षण कार्य किया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के प्रारंभ से अब तक 10 लाख 97 हजार स्वीकृत आवासों में से 70 प्रतिशत आवास निर्माण पूर्ण हो चुके हैं। योजना के क्रियान्वयन, कार्य निष्पादन एवं मूल्यांकन की राष्ट्रीय सूचकांक तालिका में छत्तीसगढ़ राज्य द्वितीय स्थान पर है। इस योजना हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 1500 करोड़ का प्रावधान किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजना के द्वितीय चरण में 1282 ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन एवं सामुदायिक शौचालय बनाने का कार्य किया गया है। गोबर.धन योजना के अंतर्गत 199 बायोगैस संयंत्रों की स्थापना की गई है। योजना हेतु इस वर्ष 400 करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है। ओडीएफ प्लस पंचायतों की श्रेणी में छत्तीसगढ़ राज्य को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है। स्वच्छता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्याें के लिये राज्य को 68 करोड़ 42 लाख का परफार्मेंस ग्रांट प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत 34 हजार 835 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण कर 10 हजार 316 बसाहटों को जोड़ा जा चुका है। आगामी तीन वर्षोें के लिये राज्य को 5 हजार 612 किलोमीटर की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। योजना हेतु इस वर्ष 2 हजार 67 करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है। किसानों को खेतों तक आवागमन की सुविधा देने के लिये कच्चे धरसा को पक्के मार्ग में बदलने के लिये मुख्यमंत्री धरसा विकास योजना प्रारंभ की जा रही है। इसके लिये बजट में 10 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

राज्य के नागरिकों को विभिन्न सुविधाएं उपलब्घ कराने के लिए नई सुसंगत प्रणालियों तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। सामान्य सेवा केन्द्रांे द्वारा शासकीय सेवाओं के अतिरिक्त टेलीमेडिसिन, टेलीकिसान, बैंक मित्र, टेली-लॉ, ग्रामीण ई-स्टोर, ई-स्टाम्प रजिस्ट्रेशन, रंगीन मतदाता परिचय पत्र, आधार पंजीयन, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, पेंशनधारियों का आधार सीडिंग जैसी सेवाएं प्रदान की जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं के विस्तार के लिये 235 करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है। खनिजों का अवैध उत्खनन रोकने के लिये आधुनिक स्पेस टेक्नॉलॉजी एवं रिमोट सेंसिंग इमेज के माध्यम से माइनिंग सर्विलांस सिस्टम लागू किया गया है।

 राज्य की पुरातात्विक धरोहरों के अध्ययन, खोज एवं संधारण कार्याें को गति देने के लिये पुरातत्व विभाग के पृथक संचालनालय का गठन किया जायेगा। छत्तीसगढ़ से संबंधित अभिलेखों के संधारण एवं प्रदर्शन हेतु अभिलेखागार भवन निर्माण के साथ-साथ डिजिटाइजेशन एवं मोबाइल एप्प का विकास किया जायेगा। इन सभी कार्यों के लिए 2021-22 के बजट में 6 करोड़ का प्रावधान किया गया है। राज्य में विभिन्न कलाओं तथा विधाओं के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद का गठन किया गया है। नवा रायपुर में भारत भवन, भोपाल की तर्ज पर छत्तीसढ़ सांस्कृतिक परिक्षेत्र का निर्माण किया जायेगा। मानव विकास का क्रम, रहन-सहन, तीज-त्यौहार, प्राचीन कला, परंपरागत विधाओें के प्रदर्शन हेतु मानव संग्रहालय के निर्माण हेतु 1 करोड़ का प्रावधान किया गया है। छत्तीसगढ़ी लोक कला एवं नृत्यों के संरक्षण तथा संवर्धन हेतु लघु फिल्म, डॉक्यूमेन्ट्री तथा अन्य कार्यों हेतु 2021-22 में 2 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन हेतु ‘‘छायांकित अभिलेखीकरण श्रृंखला’’ के अंतर्गत कमार, अबूझमाड़िया, बैगा, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, भुंजिया एवं पण्डो जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों सहित कुल 35 जनजातियों की जीवनशैली पर आधारित फोटो हैण्डबुक्स का प्रकाशन किया गया है। जनजातीय संस्कृति में आस्था के प्रतीक देवगुड़ी स्थल के निर्माण और संरक्षण के लिये 5 लाख तक का अनुदान दिया जायेगा। अबूझमाड़िया जनजाति समुदाय में प्रचलित घोटुल प्रथा को संरक्षित रखने के लिये विशेष प्रयास किया जायेगा। शहीद वीरनारायण सिंह स्मारक एवं संग्रहालय के निर्माण हेतु 2021-22 में 5 करोड़ का नवीन मद में प्रावधान रखा गया है। नवनिर्मित आदिवासी संग्रहालय की गैलरी में जनजातीय संस्कृति के प्रदर्शन की व्यवस्था हेतु एक करोड़ का प्रावधान रखा गया है।आदिवासी जन-जीवन एवं ग्रामीण संस्कृति के प्रति विदेशी पर्यटकों तथा अन्य लोगों की भी रूचि को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में होम-स्टे को बढ़ावा दिया जा रहा है। श्रीराम वन गमन पर्यटन परिपथ के प्रति आम जनता की श्रद्धा एवं लोकप्रियता को देखते हुए योजना अंतर्गत चिन्हित कार्यों को गति प्रदान करने हेतु 2021-22 में  30 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। पर्यटन के नवीन क्षेत्र में नई संभावना के तौर पर हसदेव बांगो जलाशय सतरेंगा, जिला कोरबा में विश्व स्तरीय साहसिक जल क्रीडा गतिविधियों का संचालन प्रारंभ करने की योजना है। भविष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की योजना है।

प्राकृतिक वन सम्पदा हमारे राज्य की अनमोल धरोहर है। वन सम्पदा के दोहन के साथ-साथ वन क्षेत्रों के विस्तार एवं गुणात्मक सुधार हेतु भी निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। 36 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बिगड़े वनों के सुधार कार्य हेतु वर्ष 2021-22 में 257 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। नदियों के संरक्षण हेतु नदी तट वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत 15 लाख पौधों के रोपण हेतु 7 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। बेमेतरा जिले के परसदा एवं गिधवा ग्राम के आसपास स्थित विभिन्न जलाशयों एवं वेट लैण्ड में बड़ी संख्या में स्थानीय एवं प्रवासी पक्षी प्रतिवर्ष आते हैं। राज्य में प्रथम बार इनके संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु ठोस कार्रवाई करते हुए इस क्षेत्र को उत्कृष्ट ईको पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जायेगा।

राज्य के हर वर्ग, जाति एवं समुदाय के बच्चों एवं युवाओं को उत्कृष्ट संस्थानों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर दिलाने के लिये हम निरंतर प्रयत्नशील हैं। सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी अंग्रेजी माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की योजना शुरू की गई है। प्रदेश में 52 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का संचालन प्रारंभ हो चुका है। 119 नये अंग्रेजी माध्यम स्कूल 2021-22 के बजट में प्रस्तावित किये गये हैं। नवा रायपुर में स्व-वित्तीय मॉडल पर सर्व सुविधायुक्त राष्ट्रीय स्तर के बोर्डिग स्कूल की स्थापना की जायेगी। इस स्कूल में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के शुल्क की प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा की जायेगी। कांकेर जिले में बी.एड. कॉलेज की स्थापना हेतु नवीन मद में एक करोड़ का प्रावधान किया गया है। पढ़ना-लिखना अभियान योजना के लिए नवीन मद में 5 करोड़ 85 लाख का प्रावधान रखा गया है। ग्राम नागपुर जिला कोरिया, ग्राम सन्ना जिला जशपुर, ग्राम बांकीमांेगरा जिला कोरबा, ग्राम नवागांव नवा रायपुर, रिसाली जिला दुर्ग, सारागांव जिला जांजगीर चाम्पा, पेण्ड्रावन जिला दुर्ग मंे नवीन महाविद्यालय तथा सूरजपुर, बलरामपुर एवं गोबरा नवापारा जिला रायपुर में नवीन कन्या महाविद्यालय की स्थापना की जायेगी। 15 महाविद्यालयों में स्नातक स्तर के तथा 15 महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर के नवीन पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जायेंगे। नारायणपुर, कोण्डागांव, महासमुंद, कोरबा, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर में एक-एक बालक एवं कन्या छात्रावास की स्थापना के लिए नवीन मद में 2 करोड़ 80 लाख का प्रावधान रखा गया है। बलरामपुर में पिछड़ा वर्ग के लिये एक-एक नवीन प्री-मैट्रिक बालक एवं कन्या छात्रावास तथा पाटन जिला दुर्ग में एक प्री-मैट्रिक अनुसूजित जाति बालक छात्रावास स्थापित किया जायेगा। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों के संचालन हेतु 371 करोड़ एवं विवेकानंद गुरूकुल उन्नयन योजना अंतर्गत निर्माण कार्यों के लिए 281 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। निकुम जिला दुर्ग, भाठागांव जिला रायपुर, वटगन जिला बलौदाबाजार, आमदी जिला धमतरी, चिरको जिला महासमुंद तथा नरहरपुर जिला कांकेर स्थित शासकीय महाविद्यालयों के लिये नवीन भवन निर्माण किया जायेगा। ग्राम टेकारी, विकासखंड आरंग तथा ग्राम नेवरा विकासखंड तखतपुर में नवीन आई.टी.आई. की स्थापना की जायेगी। छत्तीसगढ़ रीजनल साईंस सेन्टर परिसर में इनोवेशन हब की स्थापना हेतु  1 करोड़ 80 लाख तथा 40 पॉलीटेक्निक संस्थाओं में फर्नीचर मशीन तथा उपकरण के लिए 20 करोड़ 55 लाख का प्रावधान रखा गया है।

विकसित अधोसंरचना से सभी क्षेत्रों में पूंजी निवेश, रोजगार के अवसर, कर संग्रहण में वृद्धि एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है तथा जनसुविधाओं का विस्तार होता है। अध्यक्ष महोदय, सड़कों को अर्थव्यवस्था की धमनियां माना जाता है। राज्य में रेल मार्गों की सीमित उपलब्धता के कारण सड़कों के विकसित नेटवर्क की आवश्यकता को देखते हुए सड़क तथा पुल-पुलिया निर्माण को बजट में विशेष प्राथमिकता दी गई है। छत्तीसगढ़ सड़क एवं अधोसंरचना विकास निगम द्वारा 5 हजार 225 करोड़ की लागत के 3 हजार 900 किलोमीटर लंबी सड़कों एवं पुल-पुलिया के निर्माण का कार्य किया जायेगा। इन कार्याें के लिये निगम को सहायता देने हेतु बजट में 150 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना के अंतर्गत पहंुच विहीन शासकीय भवनों तथा कार्यालयों को पहुंच मार्ग से जोड़ने का प्रावधान किया गया है। इस वर्ष योजना अंतर्गत 255 करोड़ की लागत से 2 हजार 195 सड़क कार्य स्वीकृत किये गए हैं। वर्ष 2021-22 के बजट में इस योजना के लिये 100 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। एशियन डेवलपमेंट बैंक की सहायता से फेज़-3 परियोजना में 826 किलोमीटर लंबाई के 24 मार्गों का निर्माण कार्य प्रगति पर है एवं फेज़-4 परियोजना के अंतर्गत 1 हजार 275 किलोमीटर लंबाई के 31 मार्गों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। ए.डी.बी. सहायता वाली इन परियोजनाओं के लिये बजट में 940 करोड़ का प्रावधान किया गया है। वाहन दुर्घटनाओं में होने वाली जान-माल की क्षति को कम करने के लिये दुर्घटनाजन्य क्षेत्रों एवं ब्लैक स्पॉट का चिन्हांकन कर सड़क सुरक्षा हेतु समस्त आवश्यक उपाय करने हेतु सड़क सुरक्षा निर्माण योजना प्रारंभ की जा रही है। इसके लिये बजट में आवश्यक प्रावधान किया गया है। इस बजट में 12 नये रेलवे ओव्हर ब्रिज एवं अंडर ब्रिज तथा जवाहर सेतु योजना के अंतर्गत 151 नवीन मध्यम पुलों के निर्माण के लिये 102 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 6 राज्य मार्ग, 5 शहरी मार्ग, 20 मुख्य जिला मार्ग तथा 435 ग्रामीण मार्गों के निर्माण हेतु 310 करोड़ का प्रावधान किया गया है। नाबार्ड की ग्रामीण अधोसंरचना विकास निधि के अंतर्गत 119 ग्रामीण मार्गों के निर्माण हेतु 92 करोड़ का प्रावधान किया गया है। नक्सल प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों को बेहतर आवागमन सुविधा देने हेतु स्वीकृत 312 कार्यों में से 18 कार्य पूर्ण तथा शेष कार्य प्रगतिरत है। आगामी चरण में 104 सड़क एवं 16 पुल निर्माण कार्य किया जाना प्रस्तावित है। योजना के लिये बजट में 12 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

प्रदेश की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों में प्रदेश के भीतर तथा अन्य राज्यों से संपर्क सुविधाओं में वृद्धि हेतु विमानन सेवाओं का विशेष महत्व है जिसे देखते हुए माँ दन्तेश्वरी एयरपोर्ट, जगदलपुर को 2 सीवीएफआर श्रेणी में लाइसेंस मिलने के उपरांत 21 सितंबर 2020 से हैदराबाद एवं रायपुर के लिये यात्री सेवा आरंभ हो चुकी है। इस सुविधा से दुर्गम बस्तर क्षेत्र को त्वरित आवागमन सुविधा का लाभ मिल रहा है। बिलासा देवी केंवट हवाई अड्डा, बिलासपुर (चकरभाठा) का भी 3 सीवीएफआर श्रेणी में उन्नयन किया जा चुका है तथा शीघ्र ही विमानन सेवा प्रारंभ हो जायेगी। अम्बिकापुर क्षेत्र को शीघ्र ही वायुमार्ग से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है तथा इस वर्ष के बजट में कोरिया जिले में हवाई पट्टी निर्माण का प्रावधान रखा गया है। रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट के पुराने टर्मिनल को आधुनिक एयर कार्गाे हब में परिवर्तित करने हेतु प्रयास किया जा रहा है।

राज्य में कृषि, पेयजल, निस्तारी एवं औद्योगिक प्रयोजनों हेतु जल की आपूर्ति तथा जल स्रोतों के संरक्षण व दोहन के लिये बहुस्तरीय प्रयास किये जा रहे हैं। भू-जल संवर्धन के कार्याें को प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वयन करने हेतु भू-जल संरक्षण कोष का निर्माण किया जायेगा। भू-जल का उपयोग करने वाले उद्योगों तथा कच्चे माल के रूप में जल का उपयोग करने वाले उद्योगों से प्राप्त जलकर की राशि इस कोष में जमा की जायेगी। सिंचाई की 4 वृहद परियोजनाओं अरपा-भैंसाझार, केलो जलाशय, राजीव समोदा निसदा व्यपवर्तन एवं सोंढूर जलाशय हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 203 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। एनीकट एवं व्यपवर्तन योजनाओं के निर्माण से उपलब्ध जल के उपयोग हेतु सूक्ष्म सिंचाई एवं सौर सूक्ष्म सिंचाई की 33 योजनाएं स्वीकृत हैं। वर्ष 2021-22 के बजट में 4 सूक्ष्म सिंचाई योजना, 5 सौर सूक्ष्म सिंचाई योजना एवं 8 उद्वहन सिंचाई योजनाओं हेतु नवीन मद में प्रावधान किया गया है। वृहद, मध्यम एवं लघु बांधों के पुनर्वास एवं सुधार कार्य हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 70 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। अहिरन-खारंग लिंक, छपराटोला फीडर जलाशय, रेहर-ऐटम (झिंक) लिंक परियोजना का क्रियान्वयन छत्तीसगढ़ अधोसंरचना विकास निगम द्वारा किया जायेगा। इसके लिये निगम को 5 करोड़ की सहायता दी जायेगी।

राज्य के 45 लाख 48 हजार ग्रामीण घरों को वर्ष 2023 तक नल कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध पेयजल आपूर्ति का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पेयजल हेतु घरों तक नल कलेक्शन की सुविधा देने के लिए जल जीवन मिशन योजना में 850 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। नलकूपों के अनुरक्षण हेतु 106 करोड़ तथा पाईप द्वारा ग्रामीण जल प्रदाय योजना में 32 करोड़ एवं ग्रामों में पेयजल प्रदाय के लिए 70 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। मिनीमाता अमृतधारा नल योजना में 11 करोड़ एवं गोठानों मेें नलकूप खनन हेतु 10 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

 नवीन फूडपार्क की स्थापना हेतु 110 विकासखण्डों में भूमि का चिन्हांकन और 45 विकासखण्डों में भूमि का अधिपत्य उद्योग विभाग को प्राप्त हो चुका है। इस योजना हेतु बजट में 50 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। पिछड़े क्षेत्रों में वनोपज, हर्बल तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिये नई औद्योगिक नीति 2019-24 में वनांचल उद्योग पैकेज का प्रावधान रखा गया है। कोर सेक्टर के उद्योगों को उनकी मांग अनुसार प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये नई औद्योगिक नीति में बी-स्पोक पॉलिसी लागू की गयी है। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलवाने के लिये धान और गन्ने पर आधारित जैव ईंधन/एथेनॉल उद्योगों के लिये विशेष प्रोत्साहन पैकेज जारी किया गया है। राज्य में 350 करोड़ की लागत से पंडरी जिला रायपुर में 10 एकड़ भूमि पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर जेम्स एण्ड ज्वेलरी पार्क की स्थापना की जा रही है। नये औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना हेतु 65 करोड़ तथा औद्योगिक क्षेत्रों में अधोसंरचना उन्नयन कार्य हेतु 10 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

विद्युतीकृत ग्रामों के शेष रह गये पारा-टोलों तक विद्युत लाइन पहंुचाने के लिये मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना में 45 करोड़ का प्रावधान है। नदियों के तट पर स्थित खेतों को सिंचाई की सुविधा देने के लिये नदियों के किनारे-किनारे विद्युत लाइन के विस्तार का कार्य किया जायेगा। मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना अंतर्गत नवीन सबस्टेशन निर्माण, ट्रान्सफार्मर क्षमता वृद्धि तथा लाइन विस्तार के कार्याें के लिये 25 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। औद्योगिक क्षेत्रों में सुपरवाइजरी कन्ट्रोल के लिये स्काडा योजना में 50 करोड़ का प्रावधान है। शहरी क्षेत्र के विद्युतीकरण कार्याें के लिये मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना में 100 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

    बायो एथेनॉल उत्पादन के अनुसंधान कार्य हेतु ग्राम गोढ़ी जिला बेमेतरा में  प्रदर्शनी संयंत्र की स्थापना की जायेगी। संयंत्र में जैव ईंधन के उत्पादन के लिये अतिशेष धान अथवा मक्का इत्यादि कच्ची सामग्री का उपयोग किया जायेगा। नवीन ऊर्जा शिक्षा उद्यान ग्राम पाटन जिला दुर्ग मंें स्थापित किया जायेगा। ऊर्जा शिक्षा उद्यान के माध्यम से कृषि कार्य एवं दैनिक जन-जीवन के विविध कार्याें में वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग करने के लिये ग्रामीण जनों को प्रोत्साहित किया जायेगा। किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुये प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति का पुनर्गठन करके 725 नयी समितियों का गठन किया गया है। इस प्रकार प्रदेश में समितियों की संख्या 1 हजार 333 से बढ़कर 2 हजार 48 हो गयी है। समितियों में धान उपार्जन सहित अन्य व्यवस्थाओं के लिये प्रत्येक समिति को 50 हजार रूपये की एकमुश्त सहायता दी जायेगी। इसके लिये 2021-22 के बजट में 3 करोड़ 63 लाख का प्रावधान रखा गया है। उपार्जित धान की सुरक्षा के लिए सहकारी समितियों में महात्मा गांधी नरेगा योजना से 7 हजार 556 चबूतरा का निर्माण किया गया है।

प्रशासन को संवेदनशील, सशक्त, जवाबदेह तथा प्रभावी बनाने हेतु क्षेत्रफल तथा जनसंख्या के आधार पर बड़ी प्रशासनिक इकाइयों को विभाजित करके नई इकाइयों का गठन किया जा रहा है। इस वर्ष के बजट में 11 नवीन तहसील एवं 5 नये अनुविभागों का गठन किया जायेगा। नयी तहसीलों का गठन सारागांव, नांदघाट, सुहेला, सीपत, बिहारपुर, चांदो, रघुनाथपुर, सरिया, छाल, अजगरबहार, बरपाली तथा अनुविभाग कार्यालयों का गठन लोहांडीगुड़ा, भैयाथान, पाली, मरवाही एवं तोंकापाल में किया जायेगा। पटवारियों को खसरा पांचसाला तथा बी-1 की कम्प्यूटराइज्ड प्रतिलिपियां प्रदान की जायेगी। इससे मौके पर अभिलेखों का मिलान एवं गिरदावरी कार्य में सुविधा होगी। इस हेतु नवीन मद में 3 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। पटवारियों को देय मासिक स्टेशनरी भत्ता में 250 रूपये की वृद्धि की जायेगी। इसके लिये बजट में 3 करोड़ 48 लाख का प्रावधान रखा गया है। सभी तहसीलों में राजस्व निरीक्षक मण्डल स्तर पर नवीन वर्षामापी केन्द्रों की स्थापना की जायेगी। इसके लिये बजट में 1 करोड़ 50 लाख का प्रावधान रखा गया है। स्वामित्व योजना अंतर्गत ग्रामीण आबादी क्षेत्र का ड्रोन आधारित सर्वे किया जाकर धारित भूमि का नक्शा तथा अधिकार अभिलेख रहवासियों को वितरित किया जायेगा। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शासकीय सेवकों को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य सिविल सेवा पदक एवं राज्य पुलिस सेवा पदक से पुरस्कृत करने की योजना शुरू की जायेगी।

बस्तर संभाग के सभी जिलों में ‘बस्तर टाइगर्स’ विशेष बल का गठन किया जायेगा। बल में अंदरूनी ग्रामों के स्थानीय युवाओं को भर्ती में प्राथमिकता दी जायेगी। युवाओं के अंदरूनी क्षेत्र एवं जंगल की जानकारी का लाभ नक्सल विरोधी अभियान के दौरान पुलिस बल को प्राप्त हो सकेगा। इस हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 2 हजार 800 व्यक्तियों की भर्ती की जायेगी। इस पर 92 करोड़ का व्यय संभावित है। राज्य पुलिस मुख्यालय में साइबर फोरेंसिक लैब की स्थापना हेतु 20 नवीन पद सृजित किये जाएंगे। इसके लिये वर्ष 2021-22 के बजट में 1 करोड़ 33 लाख का नवीन मद में प्रावधान किया गया है। शहरी जनसंख्या के दबाव को देखते हुये प्रभावी नागरिक सुरक्षा व्यवस्था हेतु रायपुर-पश्चिम एवं जांजगीर-चांपा में तथा नक्सल ऑपरेशन को गति प्रदान करने हेतु मानपुर जिला राजनांदगांव, बीजापुर (नक्सल ऑपरेशन) एवं भानुप्रतापपुर जिला कांकेर में कुल 5 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नवीन कार्यालय स्थापित किये जायेंगे। गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में पुलिस जवानों के लिये आवासीय भवन निर्माण किया जायेगा। राज्य में भवन विहीन पुलिस चौकियों के लिये 10 चौकी भवनों का निर्माण किया जायेगा। कन्या छात्रावास एवं आश्रमों में निवासरत बालिकाओं की सुरक्षा के लिये महिला होमगार्ड के 22 सौ नवीन पदों की स्वीकृति हेतु बजट में प्रावधान किया गया है। उप जेल नारायणपुर एवं उप जेल बीजापुर का जिला जेल में उन्नयन तथा भाटापारा में उप जेल की स्थापना हेतु 48 नवीन पदों के सृजन का प्रावधान किया गया है। राज्य के कुल 06 जेल में 50-50 बंदी क्षमता के 10 बैरकों का निर्माण किया जायेगा।

सार्वभौम स्वास्थ्य सेवाओं का वादा निभाते हुए प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों का उन्नयन, आधुनिक सुविधाओं का विकास करने के साथ ही विभिन्न बसाहटों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहंुचाने का प्रयास किया गया है। रायपुर जिला अस्पताल में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था सी.डी.सी. के तकनीकी सहयोग से संचालित अत्याधुनिक ‘हमर लैब’ में 90 तरह की जांच सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। भविष्य में इसमें 30 और जांच सम्मिलित किया जाना प्रस्तावित है। 09 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में वायरोलॉजी लैब की स्थापना हेतु 63 नवीन पदों का सृजन एवं 01 करोड़ का नवीन मद में प्रावधान रखा गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रामानुजगंज का 100 बिस्तर अस्पताल में तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र राखी (नवा रायपुर) का 50 बिस्तर अस्पताल में उन्नयन किया जायेगा। इस हेतु अतिरिक्त पदों की स्वीकृति सहित नवीन मद में 01 करोड़ का प्रावधान किया गया है। ग्राम सन्ना, जिला जशपुर एवं शिवरीनारायण, जिला जांजगीर-चांपा में नवीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा भिलाई के रिसाली क्षेत्र में 30 बिस्तर अस्पताल की स्थापना हेतु 01 करोड़ 50 लाख का प्रावधान रखा गया है। वनांचल एवं दूरस्थ क्षेत्रों में मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना के माध्यम से निःशुल्क स्वास्थ जांच, चिकित्सा सुविधा एवं दवाईयां वितरण की सुविधा ग्रामीणों को उपलब्ध करायी जा रही है। इसके लिये वर्ष 2021-22 के बजट में 13 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। नवीन चिकित्सा महाविद्यालय कांकेर, कोरबा एवं महासमुंद के भवन निर्माण हेतु 300 करोड़ का प्रावधान वर्ष 2021-22 के बजट में रखा गया है। 25 उप स्वास्थ्य केन्द्र, 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं 02 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन निर्माण हेतु 17 करोड़ 50 लाख का प्रावधान रखा गया है। चन्दूलाल चन्द्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, दुर्ग का शासकीयकरण किया जायेगा।

बदलाव के लिये मिले जनादेश का सम्मान करते हुए हमने प्रदेश की संस्कृति, परम्परा तथा लोक-आस्था से जुड़े विषयों पर संवेदनशील पहल करते हुए छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान को पुनर्जीवित किया है। जनहित से जुड़ी व्यवस्था तथा कार्यप्रणालियों में सुधार करके हमने ‘‘शासन-जनता के लिये‘‘ की अभिकल्पना को साकार करने का प्रयास किया है। विलुप्त हो रहे हरेली, तीजा-पोरा, गौरा-गौरी, मातर और गोवर्धन पूजा जैसे त्यौहारों के सार्वजनिक आयोजनों से इन त्यौहारों का गौरव पुनर्स्थापित किया गया है। आचार्य नरेन्द्र देव वर्मा रचित गीत ‘‘अरपा पैरी के धार’’ को राजगीत का दर्जा देकर हमने हर छत्तीसगढ़िया के मन में छत्तीसगढ़ महतारी के प्रति आस्था को सजीव रूप प्रदान किया है। इसी तरह भक्त माता कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस, छठ पूजा जैसे त्यौहारों पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करके हमने जनभावनाओं को सम्मानित किया है तथा समन्वय एवं सद्भाव की विरासत को आगे बढ़ाया है। जन-समुदायों के शासकीय कार्यालयों तक चलकर आने की परम्परा में भी सुधार करते हुए हमने सभी क्षेत्रों में प्रशासन को जनता तक पहुंचने की व्यवस्था बनायी है। अध्यक्ष महोदय, हम केवल शहर बनाने में नहीं बल्कि शहर बसाने में भी विश्वास रखते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी, नवा रायपुर को कांक्रीट के जंगल से बदलकर एक जीवंत आबाद शहर के रूप में बसाने के लिये हमारी सरकार बहुत तेजी से प्रयास कर रही है। नवा रायपुर की विविध योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये वर्ष 2021-22 के बजट मे 3 सौ 55 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

अध्यक्ष महोदय, अब मैं वर्ष 2020-21 का पुनरीक्षित एवं 2021-22 का बजट अनुमान सदन के समक्ष प्रस्तुत करता हूं। वर्ष 2020-21 में राजस्व प्राप्ति के बजट अनुमान 96 हजार 91 करोड़ की तुलना में पुनरीक्षित अनुमान 90 हजार 621 करोड़ है। राजस्व प्राप्तियों में होने वाली कमी को देखते हुये विभिन्न विभागों से समीक्षा उपरांत व्यय का बजट अनुमान 95 हजार 650 करोड़ से कम करके पुनरीक्षित अनुमान 91 हजार 482 करोड़ प्रस्तावित किया गया है। वर्ष 2021-22 हेतु कुल राजस्व प्राप्तियां 79 हजार 325 करोड़ अनुमानित है। इसमें राज्य का राजस्व 35 हजार करोड़ एवं केन्द्र से प्राप्त होने वाली राशि 44 हजार 352 करोड़ है। वर्ष 2021-22 के लिए अनुमानित सकल व्यय 1 लाख 05 हजार 213 करोड़ का है। सकल व्यय से ऋणों की अदायगी एवं पुनर्प्राप्तियों को घटाने पर शुद्ध व्यय 97 हजार 106 करोड़ अनुमानित है। राजस्व व्यय 83 हजार 27 करोड़ एवं पूंजीगत व्यय 13 हजार 839 करोड़ है। वर्ष 2021-22 में पूंजीगत व्यय कुल व्यय का 14 प्रतिशत है। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के विकास के लिए अनुसूचित जनजाति उपयोजना मद मे 34 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति उपयोजना मद में 13 प्रतिशत का बजट प्रावधान किया गया है। वर्ष 2021-22 के बजट में सामाजिक क्षेत्र के लिये 38 प्रतिशत, आर्थिक क्षेत्र के लिये 390प्रतिशत एवं सामान्य सेवा क्षेत्र के लिये 23 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है।
    अध्यक्ष महोदय, कोविड-19 के संक्रमण से बचाव हेतु मार्च 2020 में लागू किये गये लॉकडाउन के कारण केन्द्र एवं राज्य दोनों के राजस्व प्राप्तियों में कमी को देखते हुये राज्य के स्वयं के राजस्व को बढ़ाने की दिशा में सक्रिय प्रयास किये गये हैं। आबकारी विभाग द्वारा लगाये गये विशेष आबकारी शुल्क, अतिरिक्त आबकारी शुल्क एवं गोठान शुल्क से लगभग 6 सौ करोड़ का अतिरिक्त राजस्व अपेक्षित है। जल संसाधन विभाग द्वारा जल कर की दरों में वृद्धि, राजस्व विभाग द्वारा पर्यावरण एवं अधोसंरचना उपकर की दरों में वृद्धि तथा परिवहन विभाग द्वारा नये चेक पोस्ट की स्थापना संबंधी प्रयासों से राज्य के राजस्व प्राप्तियों में सुधार अनुमानित है। राज्य के आय-व्यय को संतुलित रखने की दृष्टि से व्यय में मितव्ययिता के भी प्रयास किये गये हैं। राज्य का सकल वित्तीय घाटा 17 हजार 461 करोड़ अनुमानित है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.56 प्रतिशत है।  वर्ष 2021-22 हेतु कुल प्राप्तियां 97 हजार 145 करोड़ के विरूद्ध शुद्ध व्यय 97 हजार 106 करोड़ अनुमानित है। इन वित्तीय संव्यवहारों के फलस्वरूप 39 करोड़ की बचत अनुमानित है। वर्ष 2021-22 में 3 हजार 702 करोड़ का राजस्व घाटा अनुमानित है। वर्ष 2021-22 का वार्षिक वित्तीय विवरण तथा अनुदान की मांगे इन दो पंक्तियों के साथ सदन के समक्ष प्रस्तुत हैः- ‘रास्ते की अड़चनों से, हम कभी डरते नहीं। बात हो जब न्याय की, पीछे कभी हटते नहीं।‘