बुधवार, 24 मार्च 2021

लोकतंत्र को बचाने के लिए निरंकुश शासन के खिलाफ लड़ने की जरूरत: गोपाल राय

 संवाददाता : नई दिल्ली

दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में आयोजित शहीदी दिवस समारोह में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह, महात्मा गांधी और डाॅ. अंबेडकर ने देश की आजादी के साथ लोकतंत्र और समानता के लिए संघर्ष किया था। कभी अंग्रेज सत्ता के अहंकार में जनता को कीड़ा-मकोड़ा समझते थे और आज भी देश में हुकूमत सत्ता के अहंकार में है कि हमारी हुकूमत कौन छीन सकता है। उन्होंने कहा कि कल भी हिंदुस्तान अपने विचारों के दम पर आजाद हुआ था और आज भी हिंदुस्तान अपने विचारों के दम पर ही नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। आज हमें शहीद भगत सिंह से सीखने और लोकतंत्र को बचाने के लिए निरंकुश शासन के खिलाफ लड़ने की जरूरत है। समारोह में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम और पंजाबी एकेडमी के पदाधिकारियों समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय आज कनाॅट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क में आयोजित शहीदी दिवस समारोह में सिरकत की। केजरीवाल सरकार आजादी का 75वां वर्ष धूमधाम से मानने के उद्देश्य से 75 सप्ताह तक ‘दिल्ली सेलिब्रेट्स फ्रीडम /75‘ कार्यक्रम आयोजित कर रही है। शहीदी दिवस के अवसर पर गोपाल राय ने देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली सरकार के सभी मंत्री और पूरी दिल्ली के निवासियों की तरफ से उनके बलिदान के लिए नमन किया। उन्होंने कहा कि भगत सिंह ने अंग्रेजों के बीच इंकलाब जिंदाबाद के नारे को बुलंद किया था। हिंदुस्तान की आजादी की लड़ाई के दौरान दो धाराएं थीं। भारत में भारतीयों के बीच में दो तरह की सोच थी। एक धारा थी, जो अंग्रेजो के तलवे चाटती थी, अपने स्वार्थ के लिए अंग्रेजों साथ मिलकर के हिंदुस्तानियों के साथ गद्दारी करती थी, जो हिंदुस्तान को बराबरी के रास्ते पर जाने से रोकना चाहती थी, जो हिंदुस्तान को आजादी के रास्ते पर जाने से रोकना चाहती थी। वहीं, दूसरी धारा वो थी, जो इस मुल्क को आजाद बना कर देश के अंदर बराबरी चाहती थी। एक नए भारत का निर्माण करना चाहती थी और उसके लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करना चाहती थी।

गोपाल राय ने कहा कि आमतौर पर नौजवानों के मन में यह प्रश्न है। जब हम इतिहास के पन्नों को पढ़ते हैं, तो हमारे सामने बाबा साहब डॉक्टर भीम राव अंबेडकर को अलग खड़ा किया जाता है। महात्मा गांधी को अलग खड़ा किया जाता है। शहीद ए आजम भगत सिंह को अलग खड़ा किया जाता है। स्वतंत्र सेनानियों के बीच में यह जो पाला अलग-अलग खड़ा किया गया, वह अंग्रेजो के द्वारा खड़ा किया गया। जितने उतने तलवे चाट नेता थे, उनका वो गुणगान करते रहे और जितने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, उनके अंदर विभेद पैदा करते रहे। देश को 1947 में आजादी मिली थी, लेकिन जिस दिन आजादी मिली उस दिन देश का बंटवारा भी हुआ। अंबेडकर साहब अपने समानता के अधिकार के लिए जो जाति उत्पीड़न था, उसके लिए लड़ते रहे, लेकिन देश के बारे में सोचते रहे। महात्मा गांधी आजादी की लड़ाई लड़ते रहे, लेकिन समाज के अंदर बराबरी हो, इसके लिए भी सोचते रहे। उसका परिणाम पूना पैक्ट है। पूरा पैक्ट के माध्यम से इस हिंदुस्तान दोनों वीर सपूतों ने इस बात को समझा कि हमें देश की आजादी और बराबरी के लिए लड़ना है, लेकिन एक ऐसा रास्ता निकालना है कि हिंदुस्तान आजाद भी हो और जो असमानता और गैर बराबरी है, उसको अभी दूर करने का रास्ता निकले।

गोपाल राय ने कहा कि आज हम कहां खड़े हैं, वहां नए तरह के दौर हैं, नई तरह की हुकूमत है और नए तरह की गुलामी है। अंग्रेज कभी अपने सत्ता के अहंकार में भारत के बेटे-बेटियों, किसानों, मजदूरों, नौजवानों, छात्रों को कीड़ा मकोड़ा समझते थे और उनमें एक ही अहंकार था कि हमारी सत्ता को कौन हिला देगा। इतिहास का चक्र दोबारा घूम रहा है। आज इस मुल्क के अंदर एक नए तरह का मंजर खड़ा हो रहा है। हुकूमत इस अहंकार में बैठी है कि किसानों के सामने हम कील ठोक देंगे, लेकिन हमारी हुकूमत को कौन हटा सकता है। 

मजदूरों का हम अधिकार छीन लेंगे, लेकिन हमारी हुकूमत को कौन हटा सकता है। नौजवानों को हम जेल में ठूस देंगे, हमारी हुकूमत कौन हटा सकता है। आज इन बलिदानों से हमें प्रेरणा लेनी है। कल भी हम लड़े थे, आज भी हम लड़ेंगे और कल भी मां भारती के अंदर लोकतंत्र और आजादी के लिए उस हुकूमत, इंसानियत और बराबरी के लिए लड़े थे। इसके लिए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का बलिदान हमें प्रेरित करता है। भगत सिंह के ऊपर अब तक बहुत सारी किताबें लिखी गई हैं। मेरा निवेदन है कि भगत सिंह के लिए अगर दिल में प्यार है, तो उन किताबों को या तो खुद पलट लेना या तो परिवार में जो बेटे-बेटियों नौजवान हैं, तो उनको जरूर एक बार पढ़ने के लिए कहें, क्योंकि भगत सिंह का शरीर हम से अलग नहीं थी, बल्कि भगत सिंह के विचार हमसे अलग थे। इसलिए कल भी हिंदुस्तान अपने विचार के दम पर आजाद हुआ और आज भी हिंदुस्तान अगर अपनी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा, तो अपने विचार के दम पर पहुंचेगा। सभी से निवेदन है कि उन किताबों को जरूर पढ़ना और लोगों को पढ़ाना, जिससे कि हम इस देश के अंदर उन स्वतंत्रता सेनानियों की भावनाओं और विचारों को जिंदा रख सकें।

दिल्ली सरकार ने तय किया है कि पूरी दिल्ली में घर-घर के अंदर शहीद-ए-आजम भगत सिंह के संदेश को पहुंचाया जाएगा। शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने किस तरह से कुर्बानी दी, उनकी जिंदगी के बारे में बताया जाएगा। बाबा साहब अंबेडकर के संघर्ष को घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। बाबा साहब अंबेडकर ने किस तरह से आधुनिक भारत के नींव रखी और हमारा संविधान बनाया, उनके संदेश को घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। पूरी दिल्ली में 500 जगहों पर बड़े-बड़े तिरंगे लगाए जाएंगे, ताकि जब लोग सुबह अपने घर से बाहर निकलें, तो रास्ते में 10-15 स्थानों पर तिरंगे दिखाई दें। इससे दिल देश भक्ति की भावना जागृत होगी और यह तिरंगा देश की सरक्षा करने वाले सैनिकों और बलिदानियों की याद दिलाएगा।