संवाददाता : देहरादून उत्तराखंड
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राज्यपाल बेबी रानी मौर्य जी ने डा0 भीमराव आम्बेडकर की जयन्ती के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में मौर्य ने कहा कि संविधान बनाने वाले बाबा साहेब का राष्ट्र के निर्माण में अहम योगदान रहा है। डा0 आंबेडकर एक महान राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, कानूनविद्, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, शिक्षक और क्रांतिकारी होने के साथ साथ एक कर्मठ समाज सुधारक भी थे। बाबा साहेब ने कहा था ‘‘न्याय, बंधुत्व, समता और स्वतंत्रता से युक्त समाज ही मेरा आदर्श समाज है’’। उन्होंने कहा कि युवाओं को बाबा साहेब की पुस्तकें पढ़नी चाहिए। उनके विचार तथा उनका जीवन चरित्र प्रेरणादायी है। कोविड-19 के कारण प्रभावित हुए कमजोर वर्ग की सहायता करके हम बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
बैशाखी के शुभ मुहूर्त पर हरकी पैड़ी में शाही स्नान शुरू होने से पहले गंगा मां की पूजा अर्चना और पवित्र जल का आचमन करते मेलाधिकारी दीपक रावत और पुलिस–प्रशासन के अन्य अधिकारी। मेलाधिकारी ने शाही स्नान के शांतिपूर्वक व निर्विघ्न संपन्न होने की प्रार्थना मां गंगा से की।
राज्यपाल बेबी रानी मौर्य जी ने मंगलवार को उत्तराखण्ड विधानसभा की अर्धवार्षिक पत्रिका ‘उद्भव’ का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को जनहित के कार्य पूरी संवेदनशीलता के साथ करने चाहिए। जनमानस की समस्याओं का समाधान तत्परता के साथ किया जाना चाहिए। कहा कि विधानसभा राज्य में लोकतन्त्र की प्रतिनिधि सभा है। यहाँ जनहित के प्रस्ताव पारित किये जाते हैं। सभी से अपेक्षा की जाती है कि वे आमजन के दुख-दर्द को अपना समझें तथा उनकी प्रगति एवं कल्याण के लिये कार्य करें। राज्यपाल महोदया ने आम जनता और कुंभ स्नान के लिए आने वाले संत समाज व श्रद्धालुओं से कोविड गाइडलाइन का पालन करने की भी अपील की।
मेलाधिकारी दीपक रावत ने हरिद्वार कुंभ मेला क्षेत्र में बने आस्था पथ पर सबसे बड़े दीपक (तेल का दिया) का उद्घाटन किया। दिये को स्थापित करने वाली कंपनी MI का दावा है कि यह दिया विश्व का सबसे बड़ा तेल से जलने वाला दिया है, जिसकी क्षमता 2247 लीटर है। इसे 19 oct 2020 को कलकत्ता में प्रज्जवलित किया गया था, जिसे अब आस्था पथ हरिद्वार में पुनर्स्थापित किया गया है। इस दिये का गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज है।
मेलाधिकारी दीपक रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को मेला नियंत्रण भवन में 14 अप्रैल को बैशाखी पर्व के शुभ अवसर पर होने वाले शाही स्नान की व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में एक अति-महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। जिसमें उन्होंने अधिकारियों से फीडबैक लेकर शाही स्नान के लिए सभी को पूरी गंभीरता से अपनी जिम्मेदारी निर्वाहन करने को कहा।