प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वार्षिक संदर्भ ग्रंथ इंडिया/भारत 2020 का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह पुस्तक प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले लोगों सहित सभी के लिए सम्पूर्ण संदर्भ ग्रंथ है। उन्होंने इसके प्रकाशन के लिए प्रकाशन विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह संदर्भ ग्रंथ एक परम्परा बन गया है और प्रतिदिन लोकप्रिय हो रहा है।
जावड़ेकर ने प्रकाशन का ई-संस्करण भी जारी किया। ई-संस्करण टैबलेट, कम्प्यूटरों, ई-रीडर्स तथा स्मार्ट फोन पर एक्सेस किया जा सकता है। ई-बुक तकनीकी रूप से श्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करती है और प्रिंट संस्करण का विश्वसनीय प्रतिकृति है। ई-इंडिया में पाठक अनुकूल कई विशेषताएं है, जैसे हाईपरलिंक, हाईलाइटिंग, बुकमार्किंग तथा इंटरएक्टिविटी।
इस पुस्तक का मूल्य 300 रूपये होगा और ई-बुक 225 रूपये में उपलब्ध होगी। यह पुस्तक 20 फरवरी 2020 से निम्मलिखित लिंक पर प्रकाशन प्रभाव की वेबसाइट से ऑनलाइन खरीदी जा सकती है।
https://www.publicationsdivision.nic.in/index.php?route=product/pbook
पुस्तकें अमेजन और गूगल प्ले स्टोर से भी खरीदी जा सकती है।
किताब के बारे में जानकारी
द रिफरेंस एनुअल – इंडिया/ भारत – 2020 में वर्ष के दौरान भारत और इसके विभिन्न सरकारी मंत्रालयों/विभागों/संगठनों की गतिविधियों प्रगति और उपलब्धियों के बारे में विस्तृत और व्यापक जानकारी उपलब्ध है। यह संकलन का 64 वां संस्करण है।
प्रकाशन विभाग राष्ट्रीय महत्व के विषयों, भारत की समृद्ध संस्कृति और साहित्यिक विरासत को दर्शाती पुस्तकों और पत्रिकाओं का संग्राहक है। 40 के दशक में अपनी स्थापना के बाद से प्रकाशन विभाग अंग्रेजी और हिन्दी के साथ-साथ सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में किफायती मूल्य पर पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में प्रकाशन विभाग ने साहित्य एवं साहित्यिक हस्तियों के साथ-साथ विभिन्न विषयों पर गुणवत्तापूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया है। ऐसी पुस्तकें संग्रह में ताजगी लाने के अलावा इसे पठनीय और प्रासंगिकता की बाधाओं से मुक्त बनाती हैं।
प्रकाशन प्रभाग में 2000 से अधिक डिजिटल पुस्तकें हैं। वर्तमान में डिजिटल अभिलेखागार में 2185 से अधिक पुस्तकों का भंडार है। इनमें से 405 ई-पुस्तकों को अमेजन और गूगल प्ले जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से बिक्री के लिए रखा गया था। ई-पुस्तकों की 35,000 से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। इसके अलावा डीपीडी ने विभिन्न ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर पुस्तकों की संख्या बढ़ाते हुए 370 से अधिक कर डिजिटल प्रकाशन पर अपनी उपस्थिति का विस्तार किया।