कवयित्री श्वेता सिंह की कलम से...
" कभी तो मुझ से मिल "
काश ! यूँ तुमसे मुहब्बत ना होती,
बेख़बर इन जज़्बात से बहुत ज़्यादा हूँ मैं,
तू भी फ़ुरसत से देखा कर आईना,
तेरी निगाहों में किस तरह मौजूद हूँ मैं,
कभी सुन मेरी ख़ामोशी ज़रा,
तेरे ज़हन में हर पल महफ़ूज हूँ मैं,
जब से देखा तुझे मैं ख़्वाहिशमंद हूँ,
कभी तू भी कह दे बहुत तुझे पसंद हूँ मैं,
तू ख़्वाब में भी बातें मेरी करता औरों से है,
कभी हक़ीक़त में मुझ से मिल, मुंतज़िर हूँ मैं...!