कवि नीरज त्यागी की कलम से...
" इंतजार क्यों "
जाने वाला चला गया,
अब उसका इंतजार क्यों।
उड़ गए पिंजरे से जो परिंदे,
उनसे अब भी इतना प्यार क्यों।।
रोशनी की चाहत की तूने,
लेकिन घनघोर अंधेरा छा गया।
अँधकार को जीवन क्यों ना बनाता,
बता तुझे उजाले से इतना प्यार क्यों।।
सूखे फूलो को किताबो में सजाता,
मुरझाए उन फूलो से इतना प्यार क्यों।
नए फूलो का एक बाग क्यों नही बनाता,
बता पुराने मुरझाए फूलो से इतना प्यार क्यों।।
हर दिन अगर नए सपने बुनना है,
तो कुछ टूटे सपनो से इतना प्यार क्यों।
प्रगतिपथ पर अगर तुझे आगे बढ़ना है ,
देगा कोई तुझे सहारा,इसका इंतजार क्यों।।
इंतजार भी अब पूछ रहा तुझसे
बता मुझ से तुझे इतना प्यार क्यों,
आने वाले कल में करूँगा काम ये अधूरा,
बता तुझे आने वाले पल का इंतजार है क्यों।।