संवाददाता : रांची झारखंड
दुमका स्थित धम्नीलता गांव के निवासी बंघाली पुजहर भी झारखण्ड के एक आम कमजोर जनजातिय समूह का युवक है। वह अपने परिवार के साथ अभावों के बीच जीवन गुजार रहा था। उसके परिवार की वार्षिक आय मात्र 25 हजार रूपये थी। जमीन भी बेहद कम। परिवार की जरूरते जैसे तैसे पूरी हो रहीं थीं। हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद बंघाली ने अपने परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी लेने और संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण स्कूल छोड़ दिया। इस बीच उसने 2014 में तत्कालीन और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा प्रारंभ किये गये कौशल विकास कार्यक्रम और कल्याण गुरुकुल के सम्बन्ध में जानकारी मिली।
उसे किसी ने बताया कि गुरूकुल में अलग अलग क्षेत्रों में प्रशिक्षण और प्रशिक्षण के बाद अलग-अलग कंपनियों में निश्चित रूप से काम मिलता है। फिर क्या था, उसने गुरूकुल में दाखिला लेकर हेवी मशीनरी ऑपरेशन में महारत हासिल की और वह नोयडा में 23 हजार सीटीसी पर काम कर रहा है। अब वह अपने परिवार के पालन-पोषण के साथ छोटे भाई की पढाई का खर्च भी वहन कर रहा है। बघाली का परिवार इन दिनों खुश है। खुशहाली इस परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर दिखती है। बघाली कौशल विकास के फायदे जान चुका है। वह अब कुशल कामगार के रूप में विदेश जाना चाहता है। झारखण्ड सरकार के कल्याण विभाग की महत्वाकांक्षी कल्याण-गुरूकुल योजना झारखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक तस्वीर बदल रही है। बघाली जैसे कुशल युवा कल्याण गुरूकुल के जरिये अपने परिवार की तस्वीर तो बदल ही रहें हैं साथ ही, अन्य युवाओं को भी कौशल प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
गरीब युवाओं को प्राथमिकता
झारखण्ड के युवाओं खासकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग के युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। युवाओं को स्किल डेवलपमेंट और उनके शत प्रतिशत प्लेसमेंट के लिए झारखण्ड सरकार पूरे राज्य में कल्याण गुरूकुल प्रोजेक्ट के तहत यूथ को कौशल प्रशिक्षण देने की महत्वाकांक्षी योजना को क्रियान्वित कर रही है। इस योजना के सफलतापूर्वक संचालन के लिए पैन आईआईटी अलुमिनी रीच फॉर इंडिया से कल्याण विभाग ने समझौता किया है। वर्तमान में कल्याण-गुरूकुल के 28 केंद्र चल रहे हैं। शीघ्र ही इसका विस्तार प्रदेश के साहिबगंज और लोहरदगा में भी होगा। आज कल्याण विभाग झारखण्ड सरकार और पैन आईआईटी एलुमिनी रीच फ़ॉर इंडिया फाउंडेशन द्वारा 23 ई गुरुकुल, आठ नर्सिंग कॉलेज और एक कैलिनरी एंड मैन्युफैक्चरिंग आईटीआई कॉलेज का संचालन भी किया जा रहा है।
हो रहा है कुशल मानव संसाधन तैयार
कल्याण गुरूकुल केन्द्रों पर अलग अलग ट्रेड में जैसे इलेक्ट्रिकल, कंस्ट्रक्शन, लोजिस्टिक्स, ड्राइविंग, टेक्सटाइल्स आदि में युवाओं और युवतियों को हुनरमंद बनाया जाता है। कौशल प्रशिक्षण के बाद हुनरमंद युवाओं को शत-प्रतिशत प्लेसमेंट मिलता है। देश और विदेश की कई कंपनियों में झारखण्ड के हुनरमंद युवा नौकरी कर और अपने- अपने परिवारों का जीवन स्तर बेहतर बना रहे हैं। इस तरह ये स्किल्ड यूथ आनेवाले समय में राज्य के विकास में अपना योगदान देंगे साथ ही, झारखण्ड में कुशल मानव संसाधन भी तैयार होगा।
आठ हजार नई नौकरी तय
कल्याण गुरूकुल केन्द्रों से वर्ष 2021–22 में करीब आठ हजार से अधिक कुशल मानव संसाधन की मांग की गई है। इसके लिए युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिया जाएगा और आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद पासिंग आउट के दिन ही नियुक्ति पत्र सौंप पूर्व की तरह ही नौकरी दी जायेगी।
देश भर में कर रहें हैं काम
वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान सात हजार से अधिक युवाओं ने कल्याण गुरुकुलों में प्रशिक्षण प्राप्त किया जिसमें से 2 हजार 332 युवा अल्पसंख्यक वर्ग से, 3 हजार 542 अनुसूचित जनजाति से, 226 अनुसूचित जाति से, 1 हजार 19 ओबीसी से और 75 अन्य श्रेणियों से थे। कुल मिलाकर 5 हजार 576 झारखण्ड के युवाओं को देश के विभिन्न संगठनों में रखा गया है।